पैसा आएगा कहां से?

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यह सरकार के लिए चिंता की बात होनी चाहिए कि उसका वित्तीय घाटा पूरे साल के लिए तय लक्ष्य को अभी ही पार कर गया है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष यानी 2019-20 के लिए वित्तीय़ घाटे का जो लक्ष्य तय किया था उससे नौ फीसदी ज्यादा पहले पांच महीने में ही हो चुका है। अगस्त 2020 तक सरकार का वित्तीय घाटा 109 फीसदी हो गया है। इस वित्त वर्ष में अप्रैल से लेकर अगस्त के बीच भारत सरकार को राजस्व वसूली से कुल दो लाख 84 हजार 495 करोड़ रुपए मिले हैं। जबकि इसी अवधि में सरकार ने 12 लाख 48 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया है। यानी जितना राजस्व मिला उससे चार गुना से ज्यादा खर्च हुआ।

यह स्थिति तब है, जब सरकार ने सारी योजनाओं पर अमल रोक रखा है और पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ा और उन पर भारी भरकम टैक्स लगा कर आम जनता से पैसे वसूले गए हैं। आयात का बिल घटा हुआ है और खर्च बंद हैं तब यह स्थिति है। तभी सवाल है कि अब सरकार अगले छह महीने कहां से काम चलाएगी? सरकार का राजस्व वसूली का लक्ष्य 22 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है और छह महीने में वसूली तीन लाख करोड़ है तो सोचा जा सकता है कि आगे क्या स्थिति होने वाली है। बताया जा रहा है कि वित्तीय घाटे को कम करने के लिए सरकार चार लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज ले सकती है।

आर्थिकी के जानकार बता रहे हैं कि सरकार लगातार जीएसटी और आय कर रिटर्न भरने की तारीख आगे बढ़ा रही है इस वजह से राजस्व वसूली कम हुई है। आय कर रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 30 नवंबर है और उम्मीद की जा रही है कि नवंबर के महीने में सरकार ठीक ठाक राजस्व जुटा लेगी। हालांकि इसके बावजूद वित्तीय घाटा कम करने के लिए सरकार को बाजार से कर्ज लेना होगा, जो चार लाख 34 हजार करोड़ रुपए के करीब होने की संभावना है। अगले वित्त वर्ष में राजस्व वसूली की स्थिति इससे बुरी रहने वाली है।

भारत सरकार भारतीय रिजर्व बैंक की जिम्मेदारी बढ़ाती जा रही है। मॉनसून सत्र में बैंकिंग बिल पास कराकर सरकार ने राज्यों के सहकारी बैंकों का नियामक भी आरबीआई को बना दिया। पर अभी आरबीआई जिन बैंकों की निगरानी कर रही है उनमें न तो फ्रॉड रूक रहे हैं और बैंकों के कर्ज का एनपीए होना रूक रहा है। देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक पंजाब नेशनल बैंक की हालत खास तौर से खराब है। बैंक में लगातार फ्रॉड का सिलसिला जारी है। नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के करीब 14 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाने के बाद भी इस बैंक में फ्रॉड बंद नहीं हुए हैं। ताजा मामला सिनटेस उद्योग का है।

पीएनबी ने भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस कंपनी ने 1,203 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया है। लगातार हो रहे फ्रॉड से पीएनबी की हालत बिगड़ी है और इस बीच खबर है कि दिवालिया होने की कगार पर पहुंचे लक्ष्मी विलास बैंक का विलय इसी बैंक में कराया जाएगा। ध्यान रहे लक्ष्मी विलास बैंक की स्थिति खराब होने के बाद आरबीआई ने उसमें से पैसे निकालने की सीमा तय कर दी थी पर अब कहा जा रहा है कि बैंक में जमा की स्थिति ठीक है। हो सकता है कि बैंक की जमा की स्थिति ठीक हो पर पीएनबी की स्थिति ठीक नहीं है और उसमें एक दिवालिया हो रहे बैंक का बोझ डालने से पता नहीं क्या होगा?

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