जमीनी स्तर पर बदलाव ही मकसद

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लगभग 4,500 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ सेब की खेती हमारे राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती है और हमने पिछले साल कोविड प्रतिबंधों के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया था। अधिकांश बाग मालिकों के सामने चुनौती यह है कि जब सेब बाजार में पहुंचने लगते हैं, तो एकाएक बहुतायत पैदा हो जाती है और कीमतें गिर जाती हैं। सरकारी एजेंसियों के अलावा, हम निजी क्षेत्र के साथ मिलकर कोल्ड चेन सुविधाएं और अन्य बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इन इकाइयों को अगले सीजन में चालू कर दिया जाएगा और हमारे पास फलों की प्रोसेसिंग (प्रसंस्करण) की क्षमता होगी। ओलावृष्टि से फलों को सुरक्षित रखने के लिए हम बाग मालिकों को सुरक्षा जाल खरीदने में भी 80 प्रतिशत की ससिडी देकर सहायता कर रहे हैं। इसके अलावा, जंगली जानवरों को उनके फलों के पेड़ों से दूर रखने के लिए सोलर बाड़ लगाने में भी हम उनको मदद दे रहे हैं। जहां तक पर्यटन का सवाल है तो कोरोना महामारी ने बहुत बुरी तरह प्रभावित किया। पिछले साल पर्यटन राजस्व में कोई 75 प्रतिशत की गिरावट आई थी। लेकिन इस साल धीरे-धीरे चीजें सुधर रही हैं और राजस्व में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

हम तो यही प्रार्थना कर रहे हैं कि हालात जल्द सामान्य हो जाएं। हमने पहले राज्य में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को आरटी-पीसीआर जांच और टीकाकरण प्रमाण पत्र दिखाने के प्रतिबंधों में ढील दी थी। लेकिन अचानक पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इससे कोविड के सक्रिय मामलों में भी वृद्धि हुई. इसलिए हमें फिर से प्रतिबंध लगाने पड़े। हमने 2 अगस्त से राज्यों में शिक्षण संस्थान भी खोले थे, लेकिन उन्हें फिर से बंद करना पड़ा। हम अभी पूरा जोर टीकाकरण पर दे रहे हैं। हिमाचल प्रदेश अपनी वयस्क आबादी का 100 प्रतिशत टीकाकरण (पहली खुराक) करने वाला देश का पहला राज्य है। शुरू में हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, जब टीके के साइड इफेट की भ्रामक अफवाहें फैलने लगीं। इसलिए, हमने अपने स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से, साथ ही वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया। मैंने पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित सदस्यों से दो बार बात की और उनको अपने-अपने वार्डों और पंचायतों में हर घर तक पहुंचने को कहा। इलाका चाहे कितना भी दुर्गम हो, हम राज्य के कोने-कोने में पहुंचे हैं और कई मामलों में स्वास्थ्य कर्मियों ने दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचने के लिए तीन-चार दिनों तक ट्रेकिंग की है । नवंबर के अंत तक हमारे राज्य में पूर्ण टीकाकरण हो जाएगा।

अन्य राज्यों की तरह हमारी अर्थव्यवस्था भी कोविड के कारण बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई थी। 2019 में आर्थिक मंदी के बावजूद हमें 96,000 करोड़ रुपए के निवेश के एमओयू मिले थे, लेकिन इन परियोजनाओं पर कोविड का असर पड़ा। आखिरकार अब वे शुरू हो रही हैं। साथ ही, उत्पादन मोटे तौर पर संतोषजनक गति से हो रहा है। कीरतपुर—मनाली एसप्रेस वे सहित चार लेन के राजमार्गों की कुछ परियोजनाएं हैं, जिनमें कुछ दिकतें थीं और उसके कारण थोड़ा विलंब हुआ। अब हमने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के साथ, इन्हें सुलझा लिया है और हाल ही में नए टेंडर जारी किए गए थे। अब हम सभी राजमार्ग परियोजनाओं में तेजी ला रहे हैं। जहां तक हवाई संपर्क की बात है, हमारे पास शिमला, धर्मशाला और कांगड़ा में तीन हवाई अड्डे हैं लेकिन ये सारे छोटे हवाई अड्डे हैं और वहां लोड पेनाल्टी लगती है जिससे टिकट की कीमतें बढ़ जाती हैं। टिकट महंगे हो जाने से यात्री हवाई यात्राओं के लिए हतोत्साहित होते हैं। समाधान के तौर पर हम मंडी में एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा भी विकसित कर रहे हैं। संबंधित एजेंसियों ने उस स्थान का सर्वेक्षण किया है और मैंने इसे आगे बढ़ाने के लिए हाल ही में केंद्रीय वित्त और नागरिक उड्डयन मंत्रियों से मुलाकात की थी। लेकिन समस्या यह है कि भूमि अधिग्रहण के लिए राज्य को पैसे खर्च करने होंगे।

अकेले इस एयरपोर्ट की जमीन पर 4,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा। हमें आर्थिक मदद की जरूरत होगी। इस बार बारिश सामान्य और अपेक्षा के अनुरूप रही पर भूस्खलन असामान्य रूप से हुआ। यहां तक कि शुष्क और खिली धूप के दिनों में भी भूस्खलन की कुछ घटनाएं हुईं, जो असामान्य हैं। हमने गृह मंत्रालय के सामने मुद्दे को रखते हुए इन मामलों के वैज्ञानिक अध्ययन का अनुरोध किया है ताकि पता लगाया जा सके कि या भूस्खलन की अग्रिम चेतावनी की कोई व्यवस्था बन सकती है। चूंकि कोविड प्रतिबंधों के कारण बहुत-से संवाद और संपर्क आभासी तरीके से हो रहे थे इसलिए हमने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि लोगों के साथ व्यतिगत जुड़ाव फिर से कैसे शुरू किया जाए? राज्य इस वर्ष अपनी स्थापना के 50वें वर्ष का जश्न मना रहा है और जनवरी 2022 में हम विधानसभा का एक विशेष सत्र आयोजित करेंगे जिसके लिए हमने राष्ट्रपति महोदय को संबोधन के लिए आमंत्रित किया है । 2 अतूबर से हम हिमाचल तब और हिमाचल अब यात्रा शुरू कर रहे हैं, जो राज्य के 68 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी। यह जनता को समर्पित होगी और इसमें उन्हें राज्य में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण का श्रेय दिया जाएगा। जहां तक अगले साल विधानसभा चुनाव का मसला है तो ऐसा पहली बार है कि सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं है।

कुछ सत्ता विरोधी भावना हो सकती है लेकिन ऐसा कोई बड़ा मुद्दा नहीं जिसका विपक्ष फायदा उठा सके। जहां तक चुनाव की योजना और रणनीति बनाने का सवाल है, पार्टी के पास इसके लिए अभी पर्याप्त समय है। हिमाचल में हमने जमीनी स्तर पर बदलाव लाने पर ध्यान केंद्रित किया है। हमारी सरकार ने इस बार यह सुनिश्चित किया कि विकास अंतिम दरवाजे तक पहुंचे और उसके रास्ते में कोई अड़ंगा न लगने पाए। विकास कार्यों के आवंटन में कोई क्षेत्रीय पूर्वाग्रह (ऊपरी और निचले हिमाचल के बीच) नहीं है। राज्य में कोई प्रतिशोध की राजनीति नहीं हो रही है। मेरा एकमात्र ध्यान विकास पर है और यह पका करना है कि परियोजनाओं को कुशलता से क्रियान्वित किया जाए। हम सर्वसुलभ हैं । मेरे सभी मंत्री नियमित रूप से लोगों के साथ संवाद करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करिश्माई नेता हैं और उन्होंने देश में भाजपा के विस्तार में योगदान दिया है। वे निश्चित रूप से हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव में एक फैटर होंगे और मतदाता राज्य के विकास में सरकार के योगदान को देखकर वोट करेंगे। अभी चार उपचुनाव होने हैं, तीन विधानसभा सीटों के लिए और एक लोकसभा के लिए। अकेले मंडी लोकसभा क्षेत्र 17 विधानसभा क्षेत्रों में फैला हुआ है। हम सीट बरकरार रखने को लेकर आश्वस्त हैं। विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से थोड़ा अधिक शेष है और अगर उपचुनाव नवंबर तक नहीं हो पाते, तो चुनाव आयोग शायद खुद ही इन चुनावों को कराने के बारे में दोबारा सोचे। हम चुनाव आयोग के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं।

जयराम ठाकुर
(लेखक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं ये उनके निजी विचार हैं,वरिष्ठ पत्रकार राज चेंगप्पा और अनिलेश एस महाजन की मुख्यमंत्री लंबी बातचीत के आधार पर ही ये लेख तैयार हुआ है,साभार प्रकाशित)

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