जम्मू एयरफोर्स स्टेशन के टेनिकल एरिया के पास ड्रोन से आतंकी हमला होना कायराना हरकत है। यूं तो हमलावरों का पता नहीं चल पाया है, न ही किसी गुट ने हमले की जिमेदारी ली है, लेकिन जमू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने घटना को आतंकी हमला करार दिया। दोनों धमाकों में पेलोड के साथ ड्रोन के इस्तेमाल से विस्फोटक सामग्री गिराने की आशंका है। पुलिसए आईएएफ व राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के साथ अन्य एजोसियां मामले की जांच कर रही हैं। जमू एयर फील्ड पर जमू पुलिस ने 5.6 किलोग्राम आईईडी भी बरामद किया है। यह आझंडी लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव द्वारा प्राप्त किया गया था और इसे किसी भीड़-भाड़ वाली जगह पर लगाया जाना था। यह आतंकियों की सुनियोजित करतूत ही लगती है, योंकि असर देखा गया है कि जब भी कश्मीर पर कोई वार्ता होती है, उसके पहले या बाद में वहां आतंकी हमला होता है। कश्मीर स्थित आतंकी गुट, अलगाववादी हमेशा इस कोशिश में रहते हैं कि वहां माहौल सामान्य न लगे, अमन-चैन बहाली न हो, राजनीतिक गतिविधि शांति से न चले।
इसलिए इस हमले को भी नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ कश्मीरी नेताओं की सकारात्मक वार्ता के बाद आतकियों की प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा सकता है। चूंकि केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से कश्मीर को अलगाववादी नेताओं को हाशिए पर धकेल दिया गया है और वहां प्रशासनिक व व्यवस्थागत बदलाव पर अधिक ध्यान दिया गया है। आतंकवाद के नाम पर केंद्र को डराने वालों के खिलाफ एशन व आतंकियों के सफाए के लिए शुरू किए गए ऑपरेशन लीन की सफलता है कि कश्मीर में आतंकवाद पर अंकुश लगा है। हालांकि अपनी शतिका एहसास कराने के लिए पिछले कुछेक सालों में आतंकी गुटों ने बड़े हमले भी किए है, जिसका सुरक्षा बलों ने करारा जवाब दिया है। देश में पहली बार ड्रोन से आतंकी हमला हुआ है। आतंकी वारदात में ड्रोन का इस्तेमाल हमारी सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती साबित होने वाला है। यह लो कॉस्ट मानव रहित तकनीक है और लक्ष्य साधने में प्रभावी भी है। आशंका है कि विस्फोट वाले इलाके में खड़े एयरक्राफ्ट आतंकियों के निशाने पर थे। जमू एयरपोर्ट पर विस्फोटकों से लदे ड्रोन से हमले के मामले में अनलॉफुल एटिविटीज (प्रोवेशन) एट (यूएपीए) के तहत केस दर्ज किया गया है।
उसी कैंपस में जमू का मुख्य एयरपोर्ट भी आता है। किसी भी उपकरण को कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जमू के वायु सेना स्टेशन पर हुई घटना के संबंध में वाइस एयर चीफ एवर मार्शल एचएस अरोड़ा से बात की। रक्षा मंत्री कार्यालय के मुताबिक, एयर मार्शल विक्रम सिंह जमू में स्थिति का जायजा लेंगे। यह साफ है कि सरकार इस हमले को गंभीरता से ले रही है। जमू के जिस एयरफोर्स बेस पर यह आतंकी धमाके हुए हैं, वहां से अंतरराष्ट्रीय सीमा का इलाका 14 किलोमीटर दूरी पर है। इस हमले ने एयरफोर्स स्टेशन की सुरक्षा पर बेहद गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ड्रोन के जरिए पाकिस्तान की ओर से कई बार हथियार भेजने की साजिशों को बीएसएफ और सेना ने नाकाम किया है। जमू से सटे हीरानगर और सांबा जिलों में पाकिस्तान के कई ड्रोन हथियारों के साथ गिराए जा चुके हैं। कहीं इस हमले में पाक स्थित किसी आतंकी गुट का तो हाथ नहीं है? इसलिए इस हमले की हर एंगिल से जांच होनी चाहिए।