नई दिल्ली. प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने रविवार को कहा कि भारत को बेहतर विपक्ष की जरूरत है जो किसी भी लोकतंत्र का हृदय है और सत्तारूढ़ पार्टी को भी नियंत्रण में रहने के लिए इसे स्वीकार करना चाहिए. जयपुर साहित्य महोत्सव के सत्र को संबोधित करते हुए 58 वर्षीय भारतीय अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कहा कि अधिनायकवाद और आर्थिक सफलता में कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा, आप आसानी से तर्क कर सकते हैं कि सिंगापुर में सफल तानाशाह था. जिम्बाब्वे की बात भी की जा सकती है. हम इस घृणा उत्पन्न करने वालों के बारे में बात कर सकते हैं. एक स्तर पर सत्ता भ्रम होता है. बनर्जी ने कहा, भारत को बेहतर विपक्ष की जरूरत है. विपक्ष लोकतंत्र का दिल होता है और सत्तारूढ़ पार्टी को भी नियंत्रित करने के लिए अच्छे विपक्ष की जरूरत होती है।
उल्लेखनीय है मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में नवोन्मेषी अर्थशास्त्री और उनकी पत्नी एस्थर डुफलो और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर माइकल क्रेमर को वैश्विक गरीबी उन्मूलन की खातिर प्रायोगिक तरीके अपनाने के लिए संयुक्त रूप से 2019 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. गरीबी कैंसर की तरह हैं, इससे कई समस्याएं होती हैं बनर्जी ने कहा, गरीबी कैंसर की तरह है और इससे कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं. इससे कई बीमारियां होती हैं. कुछ लोग शिक्षा के मामले में गरीब हैं, कुछ सेहत से गरीब हैं और कुछ पूंजी के मामले में गरीब हैं. आपको पता लगाना है कि क्या कमी रह गई है. सभी का एक तरह से समाधान नहीं किया जा सकता. उन्होंने उस रूढ़िवादिता को भी चुनौती दी, जिसके मुताबिक अगर गरीब लोगों को पैसा दिया गया तो वे उसका अपव्यय करेंगे एवं आलसी हो जाएंगे और फिर गरीबी की दलदल में फंस जाएंगे. बनर्जी ने घोर गरीबी में रह रहे लोगों को पूंजी देने और मुफ्त में सुविधाएं देने का समर्थन किया.इसे भी पढ़ें