खण्डग्रास चन्द्रग्रहण

0
388
चन्द्र ग्रहण
चन्द्र ग्रहण

ग्रहण का स्पर्श रात्रि 01:31 पर, मध्य रात्रि 3:01 पर, मोक्ष मध्य रात्रि 04:30 पर
वृष, कन्या, तुला और कुम्भ राशि वाले होंगे विशेष लाभान्वित

सम्पूर्ण भारत में दृश्य प्रथम खण्डग्रास चन्द्रग्रहण 16 जुलाई, मंगलवार को दिखाई देगा। यह ग्रहण पूर्वाषाढ़ा/उत्तराषाढ़ा नक्षत्र एवं धुन/मकर राशि पर लगेगा। ग्रहण स्पर्श के समय चन्द्रमा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, धनु राशि में और  मोक्ष के समय उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, मकर राशि में सूर्योदय के पूर्व हो रहा है। चन्द्रग्रहण के समय सूर्य-शुक्र-राहु मिथुन राशि में, मंगल – बुध कर्क राशि में, गुरु वृश्चिक राशि में, चन्द्रमा- शनि राशि – केतु धनु राशि में उपस्थित रहेंगे।

खण्डग्रास के रूप में यह चन्द्रग्रहण दक्षिण अमेरिका, स्केन्डिनेविया के ध्रुव उत्तरी भाग को छोड़कर सम्पूर्ण यूरोप में चन्द्रास्त के समय ग्रहण का स्पर्श न्यूजीलैण्ड के कुछ भाग, में दृश्य है। ग्रहण मोक्ष चन्द्रोदय के समय अर्जेन्टिना, चिली बोलविया, ब्राजील के पश्चिम भाग, पेरू और उत्तरी आन्ध्र महासागर में दृश्य है। आस्ट्रेलिया , प्रशान्त महासागर, हिन्द महासागर औ अन्टार्कटिका के दृश्य है।

प्राख्यात ज्योतिर्विद श्री विमल जैन जी ने बताया कि आषाढञ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 15 जुलाई, सोमवार को अर्धरात्रि के पश्चात 01 बजकर 49 मिनट पर लग रही है, जो कि 16 जुलाई, मंगलवार को अर्धरात्रि के पश्चात  03 बजकर 08 मिनट तक रहेगी। इस दिन लगने वाला चन्द्रग्रहण का स्पर्श रात्रि 01 बजकर 31 मिनट पर, ग्रहण का मध्य रात्रि 03 बजकर 01 मिनट पर तथा ग्रहण का मोक्ष मध्य रात्रि 04 बजकर 30 मिनट पर होगा। चन्द्रग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घण्टे पूर्व प्रारम्भ हो जाता है…. ग्रहण के स्पर्श, मध्य एवं मोक्ष के समय स्नान करना चाहिए। ज्योतिर्विद श्री विमल जैन ने बताया कि सूतक काल के आरम्भ होने के पूर्व मंदिरों के कपाट बन्द हो जाते हैं। सूतक काल में हास्य- विनोट, मनोरंजन, शयन, भोजन, देवी-देवताओं के मूर्ति या विग्रह का स्पर्श करना, व्यर्थ वार्तालाप, अकारण भ्रमण, वाद-विवाद करना आदि वर्जित है, इस काल में यथा सम्भव मौन-व्रत रहते हुए अपने दैनिक जरूरी कार्यों को सम्पन्न करना चाहिए । गर्भवती महिलाओं को ग्रहण देखना पूर्णतया वर्जित है।बालक व वृद्ध एवं रोगी पथ्य एवं दवा आदि ग्रहण कर सकते हैं। भोजन, दूध व जल की शिचिता के लिये  उसमें तुलतसी के पत्ते या कुश रखना चाहिए। यथासम्भव एकान्त स्थान पर अपने आराध्य देवी-देवता को स्मरण करके उनके मन्त्र का जप कना चाहिए। ग्रहण मोक्ष के पश्चात स्नानोपरान्त देव दर्शन करके यथासामर्थ्य दान करना चाहिए।

ग्रह योगों के फलस्वरूप चन्द्रग्रहण का प्रभाव विश्वपटल पर भी अपना विशेष प्रभाव छोड़ेगा। जिसके फलस्वरूप विश्व के अनेक राष्ट्र प्रभावित होंगे। राजनैति परिपेक्ष्य में विशेष हलचल, शेयर वायदा व धातु बाजार में घटा- बढ़ी के साथ उतार चढ़ाव देखने को मिलेगा। दैविक आपदाएं, जल-थल वायु दुर्घटनाओं का प्रकोप तथा कहीं-कहीं पर आगजनी की आशंका रहेगी । कई देशों में सत्ता परिवर्तन व पक्ष-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप बढ़ेंगे। मौसम में भी अजीबों-गरीब परिवर्तन होगा। दैविक आपदाएं भी प्रभावी रहेंगी। आर्थिक व राजनैतिक घोटालं भी शासक प्रशासक पक्ष के लिये सिरदर्द बनेंगे।

ज्योतिर्विद विमल जैन ने बताया कि जिन जातकों को शनिग्रह की अढ़ैया अथवा साढ़ेसाती हो या जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा या प्रत्यन्तर दशा प्रतिकूल हो तथा चन्द्रग्रह के साथ राहु या केतु हों, उन्हें ग्रहण काल में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। साथ ही चन्द्रग्रह से सम्बन्धित मन्त्र का मानसिक जप करें तथा अपने इष्ट देवी -देवता की मानसिक आराधना करें। चन्द्रग्रहण से स्वादश राशियां भी प्रभावित होंगी जिनका

प्रभाव इस प्रकार हैः-

मेष – कार्यों में बाधा। क्रोध की अधिकता। दाम्पत्य जीवन में कटुता । आय में न्यूनता । योजना पूर्ति में बाधा। यात्रा निराशाजनक।

वृषभ – नवीन कार्यों की योजना. प्रगति का मार्ग प्रशस्त । धन का लाभ जीवन में मधुरता। आरोग्य सुख। यशमान प्रतिष्टा में वृद्धि ।

मिथुन – ग्रहस्थिति निराशाजनक । विचारों में उग्रता। जीवनसाथी को कष्ट। समस्याओं से परेशानी। आशाएं अधूरी। आत्मविश्वास में वृद्धि ।

कर्क – कार्य व्यवस्था में निराशा। स्पष्टवादिता घातक। स्वास्थ्य प्रतिकूल वाहन से कष्ट वाद-विवाद से हानि मित्रों से अनबन

सिंह – नवयोजना अधूरी धन का अभाव विचारों में उग्रता वाद-विवाद की आशंका कार्यों में उदासीनता दुर्घटना संभव।

कन्या – भाग्योन्नति का मार्ग प्रशस्त । आरोग्य सुख जीवनसाथी से सामंजसय, यात्रा का प्रसंग, बौद्धिक क्षमता का विकास।

तुला – धार्मिक गतिविधियों में रूचि। कार्यों के बनने से प्रसन्नता, उच्चाधिकारियों से सम्पर्क, लाभ की स्थिति, धार्मिक यात्रा का प्रसंग।

वृष्चिक – विश्वासघात की आशंका। प्रियजनों से अनबन वादविवाद की आशंका व्यवसाय में अड़चनें यात्रा असंतोषजनक।

धनु – लाभ में कमी। जोखिम से नुकसान। विश्वासघात की आशंका। एकाग्रता का अभाव मानसिक अशांति यात्रा से हानि।

मकर – विरोधी प्रभावी। लाभार्जन का मार्ग अवरूद्ध राजकीय पक्ष से कष्ट कार्य क्षमता में कमी धनागम में बाधा। मनोबल में कमी।

कुम्भ – कार्य प्रगति पर। दाम्पत्य जीवन में सुख शांति धन संचय में रूचि आनन्द की अनुभूति बौद्धिक क्षमता का विकास हर्ष भी।

मीन – प्रतिष्ठा पर आघात। क्रोध की अधिकता दुर्घटना की सम्भावना धन का अभाव विश्वासघात की आशंका व्यर्त भ्रमण।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here