भेड़ियों का कैमरावतार

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भेड़ियों ने कैमरावतार ले लिया है । वे अब टेलीविजन चैनलों और यू ट्यूब चैनलों में काम करते हैं ! उनका भोजन भी बदल गया है , मोदीजी ने उनमें लोगों की खोपड़ी खा जाने की अद्भुत क्षमता का विकास कर दिया है । वे झूठ को सच बना देते हैं , कल्पना को असलियत और किसी को पता भी नहीं चलता । पिछले छ: बरसों में ये इतने क्षमतावान हो चुके हैं कि इनका मारा भूखा भूख भूल सकता है , किसान फसल भूल सकता है, मज़दूर मज़दूरी भूल सकता है , बेरोज़गार नौकरी भूल सकता है पर वह नहीं भूल सकता जो ये दिखा सुना रहे हों ! पूरा देश बीते तीन महीनों से एक ऐसे कत्ल के क़ातिलों को पकड़ने में मशगूल था जो कत्ल था ही नहीं पर कत्ल था । यहाँ तक कि एक झूठे कत्ल को कत्ल साबित करते करते एक और मौत को दूसरा कत्ल साबित कर दिया गया । क़ातिलों के नाम देश के बच्चे बच्चे की ज़ुबान पर चढ़ा दिये गये । चैनलों और यू ट्यूबियों पर चीखते ऐंकरों ने मृतक को न्याय दिलाने का बीड़ा हाथ में ले लिया । हज़ारों फ़ेसबुक पेज सैकड़ों ट्विटर हैशटैग और हर न्यूज़ चैनल को सिर्फ एक ही तलाश थी , वे क़ातिलों को चौराहे पर सूली देना चाहते थे ।

तीन महीने पूरा देश इसी में पागल रहा , सबसे ज़ोर से चिल्लाने वाले ऐंकरों वाला एक टीवी चैनल सबसे बड़ी टीआरपी छीनकर नंबर वन हो गया , बाक़ी भी पीछे पीछे थे , जो कम चिल्ला पाये वे रेस से बाहर हो गये । यू ट्यूब पर झूठ परोसने की ऐसी होड चली कि तमाम मुर्दे यूट्यूबिये लाखों डालर बना गये । सबके पास क़ातिलों की लिस्ट थी चित्र थे सबूत थे गवाह थे ! पर कातिल न थे न पकड़े गये बल्कि पकड़ा गया गाँजा । साबित हुआ कि मकतूल गाँजा पीता था और नौकरों चाकरों व गर्लफ़्रेंड से मँगवा कर पीता था । उसकी गर्लफ़्रेंड और नौकर उसकी “गांजा सेवा”में जेल में हैं । सामने आया कि कई और गर्लफ़्रेंड उसके जीवन में आईं गईं जिन पर हाथ खोलकर खर्च करता था , काफ़ी पुराना कुछ मानसिक विकार भी था जिसका ज़ोर कोरोना काल में ख़तरनाक हो गया ! बाक़ी एजेंसियों की रपट में पढ़ लीजियेगा जब भी वे लिख लेंगी ! तो कत्ल तीन महीने बिका और अब गाँजा बिक रहा है हशीश और न जाने किस किस के साथ ! बालीवुड के गंजेड़िये राडार पर हैं , वे अय्याश भी हैं , वहाँ कासटिंग काउच भी है यह देश को बताया जा रहा है जैसे पहली बार पता चला हो !

कौन कौन सी अभिनेत्री गाँजा पीती है इसके लीक एक ऐसी केंद्रीय एजेंसी टीवी चैनलों में बाँट रही है जिसका काम है देश में ड्रग्स के धंधे पर नकेल रखना । और देश गाँजा सूंघ रहा है । इस हबड़ा तबड़ी में बिहार के डीजीपी साहेब ने मुक़दमा लिखने की फ़ीस के तौर पर विधायकी का टिकट / बाद में मंत्रिपरिषद हथिया ली । कंगना ने Y श्रेणी की सुरक्षा झपट ली । रिपब्लिक और टाइम्स नाऊ ने आसमान छूती टीआरपी ले ली । यू ट्यूबियों ने लाखों डालर जीम लिये , फ़ेसबुक पेजों ने लाखों फ़ॉलोवर ले लिये ।सुशांत की बहनों / बहनोइयों के पोस्ट डिजिटल मीडिया के लिये मोस्ट इक्सक्लूसिव हो गये और उन्हें सुप्रीम कोर्ट में रिप्रेजेंट कर रहे सीनियर एडवोकेट विकास सिंह सभी चैनलों पर तीन महीने पूरी शाम सम्मान पाते रहे !

जबकि मरहूम सुशांत सिंह को क्या इंसाफ मिला ? सारी दुनिया जान गई कि वह गाँजे के नशे का गुलाम था , मानसिक बीमारी के गंभीर हो चुके ख़तरे में था , तमाम गर्लफ़्रेंड्स रहीं , शाहखर्च था और परिवार से रिश्तों के बारे में कन्फ्यूजन पसर गया । उसकी आख़िरी गर्लफ़्रेंड , उसका भाई और आख़िरी दिनों के नौकर उसके लिये गाँजा जुटाने के अपराध में जेल में हैं । यह सब भेड़ियों के कैमरावतार का प्रतिफल है । वे सर्वत्र हैं । ड्राइंग रूम से लेकर आपके हाथ के स्मार्ट फ़ोन में । आप उनसे बच ही नहीं सकते । और उनकी चाभी सीधे पीएमओ में है । वे जो चाहते हैं वही होता है । तो फ़िलहाल वे फ़िल्म इंडस्ट्री में ड्रग ढूँढ रहे हैं , आप भी ढूंडिये!

शीतल पी सिंह
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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