इस साल का पहला सूर्यग्रहण 10 जून को होगा। ये पिछले महीने 26 मई को हुए चंद्रग्रहण के बाद 15 दिन बाद साल का दूसरा ग्रहण होगा। 10 जून को होना वाला सूर्य ग्रहण भारतीय पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को लगेगा। लेकिन यह देश में नहीं दिखेगा। इसलिए सूतक भी नहीं रहेगा। खास बात यह है कि इस दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती भी है। यह कंकणाकृति सूर्यग्रहण होगा। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र ने बताया कि सूर्य, चंद्र और धरती जब एक सीध में होते हैं या चंद्र के ठीक राहु और केतु बिंदु पर ना होकर ऊंचे या नीचे होते हैं, तब खंड ग्रहण होता और जब चंद्रमा दूर होते हैं, तब उसकी परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती और बिंब छोटे दिखाई देते हैं। उसके बिब्ब के छोटे होने से सूर्य का मध्यम भाग ढंक जाता है। जिससे चारों और कंकणाकार सूर्य प्रकाश दिखाई पड़ता है।
भारतीय समयानुसार ग्रहण दोपहर 1 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगा। दोपहर 3 बजकर 25 मिनट पर कंकणाकृति आरंभ होकर 4 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। ग्रहण का मध्य 4 बजकर 12 मिनट पर होगा। समाप्ति शाम 6 बजकर 41 मिनट पर होगी। अधिकतम 3 मिनट 48 सैकंड के दौरान कंकणाकृति दृश्यमान रहेगी। अमेरिका के उत्तरी भाग, उत्तरी कनाड़ा, उत्तरी यूरोप और एशिया, रूस, ग्रीनलैंड और उत्तरी अटलांटिक महासागर क्षेत्र में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। ग्रहण देशभर में नहीं होने से सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। जिन स्थानों पर ग्रहण दृश्यमान होता है, केवल वहीं ग्रहण सूतक लगता है। ज्योतिषिविद के अनुसार, पूर्ण सूर्य ग्रहण में सूतक काल मान्य होता है। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है। जिसमें यज्ञ, अनुष्ठान आदि कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं। इससे पहले 26 मई को हुआ चंद्र ग्रहण भी देश में नहीं दिखाई दिया था। इसलिए तब भी सूतक नहीं लगा।