चीन ने प्रांत किया कुर्बान, खतरे में करोड़ों जान

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24 हजार से ज्यादा की मौत, भारत के निर्यात को गहरा झटका

बीजिंग। चीन का हुबेई प्रांत तबाही के कगार पर है। तकरीबन 6 करोड़ की आबादी को चीन की सरकार ने मरने के लिए उनकी किस्मत के सहारे छोड़ दिया है। चीनी सरकार का तर्क है कि अगर बाकी दुनिया को बचाना है तो ये हुबेई पर पाबंदी लगानी होंगी। कोई डाक्टर वहां इलाज करने को तैयार नहीं। कोरोना वायरस से मरने वाले 97 फीसदी लोग यहीं से हैं। चीन सरकार ने भी ये माना है कि सरकारी प्रयोगशाला से ही ये वायरस फैला। जिस डाक्टर ने इस वायरस के फैलने की जानकारी सबसे पहले दी वो भी अब इस दुनिया में नहीं रहे। चीन की एक कंपनी ने भी दावा किया है कि मरने वालों की संख्या भले ही 700 के आसपास बताई जा रही हो लेकिन ये वायरस अब तक 24 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। पूरी दुनिया में चीन इस समय अछूत की श्रेणी में खड़ा हो गया है। कोई उससे व्यापार तक नहीं करना चाहता। भारत को भी इसका बड़ा झटका झेलना पड़ रहा है। वैसे अच्छी खबर भी है कि आस्ट्रेलिया में एक भारतीय डाक्टर ने इस वायरस का इलाज तलाश लिया है। बढ़ रही है तादाद: मीडिया में चर्चा वुहान की है।

दरअसल हुबेई की राजधानी है वुहान। पूरे चीन में इस वायरस से संक्रमित जितने लोग हैं उनका 67 फीसदी हुबेई में है। मरने वालों की तादाद दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है। लोकल हेल्थ सिस्टम की हालत खराब हो चुकी है। मरीज इतने हैं कि अस्पताल में पांव रखने तक की जगह नहीं है। वायरस के रहस्यमय रोगाणु ने सबसे पहले यहीं दस्तक दी। 23 जनवरी को चीन की सरकार ने पूरे हुबेई प्रांत को ही अलग-थलग कर दिया। वुहान के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल यांग गांगहुन कहते हैं कि अगर पूरे राज्य की घेराबंदी नहीं की गई होती तो बीमार लोग इलाज के चक्कर में कहीं भी जा सकते थे। इससे पूरा चीन जानलेवा वायरस की जद में आ जाता। वुहान बदहाल: वुहान में एक करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। इसे दूसरे दर्जे का शहर माना जाता है। विकास के मामले में यह शंघाई, पेइचिंग और गुआंगझाऊ से पिछड़ा हुआ है। जब वायरस फैलना शुरू हुआ तो कुछ दिनों तक किसी को इसका अंदाजा नहीं था। इस वजह से ये तेजी से फैला। दिसंबर में लगा कि वुहान के फूड मार्केट से यह फैला है। डॉक्टरों ने बताया कि जानवरों से यह वायरस मनुष्यों में आया।

जनवरी तक सरकार ने सार्वजनिक समारोह कैंसल नहीं किए। इससे प्रकोप बढ़ता गया। चीन में लूनर न्यू ईयर के बाद सही तस्वीर सामने आई। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वुहान यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर जेंग यान कहते हैं, ये शांत तूफान की तरह आया। देखते ही देखते इसने पूरे हुबेई को अपनी चपेट ले लिया। हुबेई में आईसीयू वाले 110 अस्पताल हैं। यहां पैर रखने की जगह नहीं है। अलग-थलग पडऩे के कारण यहां ग्लव्स, प्रोटेक्टिव कपड़ों की कमी हो गई है। लोगों से कहा जा रहा है कि पानी कम पीएं ताकि टॉयलेट न जाना पड़े क्योंकि दस्ताने वगैरह बदलने पड़ेंगे। डाक्टर भी आना- कानी कर रहे हैं। चीन कंपनी का दावा: चीन की एक बड़ी कंपनी टेनसेंट के कथित लीक हुए आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है कि इस वायरस के कारण अब तक 24 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। जो मृतकों के सरकारी आंकड़ों से 80 गुना ज्यादा है। कंपनी टेनसेंट ने दावा किया है कि कोरोनावायरस से देश में 1,54,203 लोग संक्रमित हैं। जो एक फरवरी को सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़े से दस गुना ज्यादा है।

इसमें संदिग्ध मरीजों की संख्या भी 79,808 बताई गई है। यह भी सरकारी आंकड़े से चार गुना है। वहीं, इस रिपोर्ट के मुताबिक कोरोनावायरस से ठीक होने वाली मरीजों की संख्या 269 है, जबकि सरकार 300 मरीज के ठीक होने का दावा कर रही है। डाक्टर की मौत: नोवेल-कोरोनावायरस का सबसे पहले खुलासा करने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग की भी शुक्रवार को मौत हो गई। वे खुद भी इस वायरस से पीडि़त थे। सोशल मीडिया यूजर्स ने उनकी मौत की खबर पर गुस्सा जताया। लोगों ने मांग की कि अस्पताल के अफसरों को डॉक्टर ली को न बचा पाने के लिए उनके परिवार से माफी मांगनी चाहिए। पुलिस ने डॉक्टर ली से जनवरी के शुरुआत हते में ही पूछताछ शुरू कर दी थी। दरअसल, उन्होंने 30 दिसंबर को मेडिकल स्कूल में अपने साथियों को इस संक्रमण के बड़े स्तर पर फैलने के बारे में बताया था। जहाज में तीन हजार लोग कैद: जापान ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जिस क्रूज के यात्रियों को अलग रखा था, उनमें से 10 और लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं। क्रूज पर करीब 3700 यात्री सवार हैं, जो करीब 14 दिन तक नौका पर ही रहेंगे।

इलाज तलाशा: दुनियाभर में कहर बन कर बरसे इस वायरस का तोड़ ढूंढने के लिए दुनियाभर के साइंटिस्ट जुटे हैं। इन कोशिशों के बीच ऑस्ट्रेलिया से उम्मीद जगा देने वाली खबर आई है। ऑस्ट्रेलिया में प्रवासी भारतीय की अगुआई में इस वायरस की वैक्सीन बनाने के करीब पहुंचने का दावा किया गया है। ऑस्ट्रेलिया में कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन की एक हाई-सिक्यॉरिटी लैब में इस पर रिसर्च करने के लिए पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। भारतीय सही: दिल्ली व हरियाणा के दो अलग-अलग कैंपों में रह रहे चीन से आए सभी 645 भारतीय कोरोना वायरस से पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इन सभी 645 भारतीयों में वायरस का कोई विषाणु नहीं पाया गया है। ये वे भारतीय हैं जो करॉना वायरस के संक्रमण के बीच चीन के वुहान प्रांत में फंस गए थे। भारतीय कॉटन कारोबार को झटका: चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते भारत से कॉटन निर्यात पर विपरीत असर पडऩे की आशंका है। भारत दुनिया में कॉटन का सबसे बड़ा उत्पादक है और चीन प्रमुख आयातक देश है। इस महीने चीन को करीब पांच लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) कॉटन निर्यात की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है। भारत में इस साल कॉटन की बंपर पैदावार है।

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