बिहार में सीटों का बंटवारा सत्तारूढ़ गठबंधन से ज्यादा महागठबंधन को झेलना होगा। इसका कारण यह है कि महागठबंधन में शामिल पार्टियों की संख्या बढ़ रही है। गठबंधन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय जनता दल ने पहले से तय किया हुआ है कि इस बार राज्य की तीनों बड़ी वामपंथी पार्टियों के साथ में रखा जाएगा। इसके लिए सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई एमएल के साथ बातचीत भी शुरू हो गई है। इन पार्टियों ने अपनी सीटों की संख्या राजद को बता दी है और अपनी पसंद की सीटों की जानकारी भी दे दी है। जैसे सबसे ज्यादा आधार वाली पार्टी सीपीआई एमएल का दावा अपनी जीती तीन सीटों के साथ साथ उन 16 सीटों पर है, जहां उसका प्रदर्शन अच्छा रहा था। तीनों वामपंथी पार्टियों का दावा 40-45 सीटों पर होगा। मुश्किल यह है कि राजद 160 से कम सीटों पर नहीं लड़ना चाह रही है। इसका मतलब है कि सारी सहयोगी पार्टियों के लिए 83 सीटें बचेंगी। पिछली बार नीतीश कुमार की पार्टी जब इस गठबंधन में शामिल थी, तब भी कांग्रेस पार्टी 43 सीटों पर लड़ी थी।
इसलिए अगर वह कम से कम 43 सीटों पर भी अड़ जाती है तो इसका मतलब होगा कि तीनों वामपंथी पार्टियों और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के लिए सिर्फ 40 सीटें बचेंगी। पिछली बार कुशवाहा भाजपा के साथ थे और 23 सीटों पर लड़े थे। सो, वे भी कम से कम इतनी सीटों की मांग कर रहे हैं। ऐसे में अगर राजद और कांग्रेस अपनी सीटों से समझौता नहीं करते हैं तो सीट बंटवारा बहुत मुश्किल हो जाएगा। खटपट उधर भी है। बिहार में नीतीश कुमार के नंबर एक सिपहसालार रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह हैं। बिहार में चुनावी तैयारी तेज हो गई है और आरसीपी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। हालांकि वे पहले भी पर्दे के पीछे काम करते थे और दिखते कम थे पर पिछले तीन साल से वे खुलकर राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने जदयू के कार्यकर्ता सम्मेलनों में हिस्सा लिया और सीधे जमीनी राजनीति से जुड़ गए थे। तभी लोगों को हैरानी है कि चुनाव के बीच वे कहां गायब हो गए हैं? पहले उनकी तबियत खराब थी इस वजह से वे काफी समय अपने गांव रहे। अब खबर है कि पिछले हफ्ते वे दिल्ली आ गए। सोचें, जिस समय भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सीट बंटवारे की बात करने पटना गए, उस समय आरसीपी दिल्ली आ गए!
उनके इस तरह पीछे हटने से टिकट के लिए उनपर भरोसा किए नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों कांग्रेस और दूसरी पार्टियों से जिन नेताओं, विधायकों को पार्टी में लाया गया है, उनकी वजह से वे नाराज हैं। ध्यान रहे पिछले एक महीने में राजद और कांग्रेस के आधा दर्जन से ज्यादा विधायक जदयू में शामिल हुए हैं और सबको टिकट देने का वादा किया गया है। इन नेताओं के जदयू में शामिल होने के मौके पर राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, अशोक चौधरी और नीरज कुमार ज्यादा सक्रिय रहे। बताया जा रहा है कि जदयू में आए दो नेताओं की वजह से आरसीपी को ज्यादा नाराजगी है। बिहार के कद्दावर यादव नेता रहे रामलखन सिंह यादव के पोते जयवर्धन को पार्टी में लाया गया है। उनको जिस सीट से टिकट देने का वादा किया गया है उस सीट पर एक महिला नेता को आरसीपी ने टिकट देने का वादा किया था। विवाद की दूसरी सीट कांग्रेस विधायक सुदर्शन की वजह से है। वे कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे राजो सिंह के पौत्र हैं। बहरहाल, आरसीपी की गैरहाजिरी में जेपी नड्डा के साथ बातचीत के दौरान जदयू की ओर से नीतीश के साथ अकेले ललन सिंह मौजूद थे।