कोरोना महामारी ने फिर से अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढऩा लापरवाही का नतीजा है। कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने की सूचनाओं ने हमें सतर्क रहने की बजाय लापरवाह बना दिया। पिछले वर्ष इस महामारी का दंश हमने सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक व राजनीतिक स्तर पर झेला है। वर्ष के अंत में स्वास्थ्य संगठनों की सकारात्मक रिपोर्टों ने हमें और लापरवाह बना दिया इसके चलते इस महामारी ने एक बार फिर अपना नया रूप दिखाना शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप देश की आर्थिक संपन्न राज्य महाराष्ट्र सहित कई राज्य इसकी चपेट में आना शुरू हो गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही सतर्क किया था कि वैसीनेशन के बाद भी कोरोना की चेन तोडऩे के लिए लगभग दो वर्ष तक हमें कोविड के नियमों का पालन करना होगा। लेकिन जैसे-जैसे देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई वैसे ही हम भी कोरोना के प्रति लापरवाह होते चले गए। अभी तो देश के अंदर वैक्सीनेशन कार्य ठीक प्रकार से शुरू भी नहीं हुआ हमने अपनी लापरवाही दिखानी शुरू कर दी। आज कुछ लोग कोराना नामी बीमारी को झुठलाते हैं।
इस लापरवाही के लिए जहां आम जनता जिमेदार है वहीं हमारा तंत्र भी है। गत वर्ष बिहार में विधानसभा के चुनाव हुए जिसमें बिना खौफ के हमारे नेताओं का भीड़ वाली जनसभा को संबोधित करना, या अलग-अलग राज्यों में नगर निकाय और पंचायत चुनाव का होना या इसी दौरान बंगाल में विधानसभा चुनाव की तैयारी करना वहां जनसभाएं करना इस बात का प्रतीक है कि कोरोना खत्म हो गया। राजनेताओं इसी कृत्य से आम जनता में भी सतर्कता का भाव खत्म हो गया उसका स्थान लापरवाही ने ले लिया। इसी का परिणाम है कि आज कई राज्यों में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 10 राज्यों में हाई लेवल मल्टी डिसिप्लिनरी टीम भेजी हैं। अकेले महाराष्ट्र के अब सभी 36 जिलों में कोरोना ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है। यहां हर दिन मिलने वाले केसों में जबर्दस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कई जिलों में फिर से लॉकडाउन लगाने की स्थिति बन गई है। भारत में कोविड-19 वायरस के दो नए उपभेदों यानी की नए स्ट्रेन का पता चला है। पीजीआई चंडीगढ़ के डायरेक्टर ने इस बात की आशंका जताई है कि देश में कोरोना का नया स्ट्रेन ज्यादा संक्रामक हो सकता है।
हालांकि कोरोना महामारी को लेकर सरकार चिंतित है, इसी के चलते आगामी एक मार्च से कोरोना पर नियंत्रण पाने को वैक्सीनेशन का कार्य शुरू किया जा रहा है। इस अभियान में साठ साल से ऊपर के बुजुर्गों के अलावा 45 वर्ष तक वो लोग शामिल होंगे जो गंभीर बीमारी की जद में हैं। इनको सरकार की ओर से मुफ्त में टीका लगाया जाएगा। ऐसे में देश के लोगों की जिमेदारी बनती है कि वह बिना खौफ के वैसीनेशन अभियान में जनसहयोग करें। सरकारी प्रतिनिधियों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्रों पर नि:शुल्क वैक्सीनेशन होगा जबकि निजी अस्पतालों में कुछ चार्ज करके यह प्रक्रिया की जाएगी। सरकार को चाहिए कि जो निजी अस्पताल वैसीनेशन के नाम पर अधिक वसूली करते हैं उन पर विशेष निगाह रखनी होगी। जैसे कि अब से पहले वारंटाइन के नाम पर निजी अस्पतालों ने मरीजों से मनमर्जी का चार्ज लिया उस पर नियंत्रण करना जरूरी है। देश की जनता को भी चाहिए कि वह कोरोना की चेन तोडऩे के लिए जहां वैसीनेशन में सहयोग करे, वहीं वह महामारी के खत्म होने तक कोविड के नियमों का पालन सतर्कता के साथ करे। सतर्कता भी महामारी को खत्म करने में भूमिका निभाएगी।