दर्शकों में मनोरंजन की जबरदस्त चाहत

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साल 2020 चुनौतीपूर्ण रहा है। यह भावनाओं और अनुभूतियों में कभी उत्साह तो कभी हताशा का वर्ष रहा। बीते साल हमारा हंसने का मन किया, रोने का भी और हमें एडवेंचर पर जाने की और घूमने की भी इच्छा हुई। लेकिन इन सबके बीच एक चीज, जिसके सहारे हमारा समय कुछ अच्छा बीता, वह थी कहानियां। उनका आनंद हमने कभी अकेले तो कभी परिवार और दोस्तों के साथ उठाया।

2020 में दर्शकों ने जिन कहानियों का लुत्फ उठाया, उनके बारे में दो चीजों ने मुझे चकित किया। पहली, नेटफ्लिक्स की लोकप्रिय स्पेनिश सीरीज मनी हाइस्ट भारत में 170 दिनों तक टॉप-10 में बनी रही, यानी लगभग आधा साल। और दूसरा, भारत में कोरिया में बनी कहानियां देखने में 2019 के मुकाबले 2020 में 370 फीसदी से अधिक वृद्धि हुई। यह भारत में मनोरंजन की जबरदस्त चाहत ही तो है! इससे यह भी पता चलता है कि भारतीय दर्शक विभिन्न भाषाओं में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों की कहानियों के प्रति कितने उत्सुक हैं।

कहानियां सार्वलौकिक होती हैं। ब्राजील हो या टोक्यो, किसी शिशु के जन्म लेने की कहानी हममें एक समान खुशी की भावना जगाएगी। इसी प्रकार किसी स्कूल में एक बच्चे के साथ हुई कोई मजेदार घटना वैसी ही फनी होगी, चाहे वो कहानी हिंदी में बताई जाए या फिर जापानी में। सच्चाई से कही हुई कहानी हंसी, आनंद, पीड़ा या शोक की जो भावना पैदा करती है, वह हर कोई महसूस करता है, चाहे वह किसी भी भाषा में बात करता हो।

स्ट्रीमिंग सेवाओं के साथ विशेष लाभ यह है कि वे वैश्विक मनोरंजन को वास्तविक बनाने के लिए तकनीक का प्रयोग करती हैं। दर्शकों के पास कब देखें, क्या देखें और किस उपकरण पर देखें, इन सभी का विकल्प होता है। विभिन्न फॉर्मेट और शैलियों में कही गई कहानियों को एक ही दिन पूरे विश्व में उपलब्ध कराया जाता है। बेहतरीन गुणवत्ता के सब-टाइटल्स और डबिंग के प्रयोग से दर्शक उन कहानियों की खोज करते हैं और पसंद करते हैं, जिनकी रचना दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग भाषाओं में की गई है।

क्रिस हेम्सवर्थ अभिनीत एक्सट्रैक्शन और विश्व स्तर पर लोकप्रिय सीरीज, स्ट्रेंजर थिंग्स अंग्रेजी फिल्मों और सीरीज के कुछ उदाहरण हैं, जिन्हें भारत में हिंदी भाषा में काफी पसंद किया गया। सब-टाइटल्स और डबिंग से न केवल भारत में अंतरराष्ट्रीय कहानियों को अपनी पसंदीदा भाषा में देखने की क्षमता हासिल हुई है, बल्कि भारतीय कहानियों का पूरे विश्व में देखा जाना भी संभव हुआ है। पहली बार निर्देशन में कदम रखने वाले हनी त्रेहान ने हाल में एक चर्चा के दौरान बताया कि उनकी फिल्म रिलीज होने के बाद सबसे पहले प्राप्त होने वाले प्रशंसा का संदेश भारत से नहीं, बल्कि सऊदी अरब से था।

हम मनोरंजन के स्वर्ण युग में हैं जिससे भारतीय कहानियों और कथावाचकों में ज्यादा निवेश हो रहा है। सब-टाइटल्स और डबिंग के कारण वैश्विक भाषाओं में बनी कहानियों को समझना आसान हो गया है। यही वजह है कि हर कोने से नए और अनुभवी वाचकों और रचनाकारों के सामने अपनी मनपसंद विषयवस्तु पर तथा भाषा में कहानियों को जीवंत करने का अवसर उत्पन्न हो रहा है। मनोरंजन के इस स्वर्ण युग के हिस्से के तौर पर पोस्ट-प्रोडक्शन अवसरों में, विशेषकर कहानी डबिंग और सब-टाइटलिंग से जुड़े लोगों के लिए तेज वृद्धि हुई है।

ध्वनि कलाकारों, डबिंग और सब-टाइटलिंग विशेषज्ञों, भाषा विशेषज्ञों, लेखकों, डबिंग सुपरवाइजरों और डबिंग निर्देशकों की नई भूमिका पैदा हुई है और उनकी मांग बढ़ रही है। हम कहानियों की 30 से अधिक भाषाओं में सब-टाइटल और डबिंग तैयार करते हैं और सबसे सार्थक तरीके से विभिन्न भाषाओं में कहानियों को अनूदित करने के लिए स्थानीय, विश्वसनीय सहयोगियों के साथ मिलकर काम करते हैं। क्योंकि आज यह पहले से कहीं ज्यादा सच है कि अच्छी कहानियां कहीं से भी आ सकती हैं और हर जगह पसंद की जा सकती हैं।

मोनिका शेरगिल
(लेखिका वाइस प्रेसिडेंट-कंटेंट, नेटफ्लिक्स इंडिया हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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