19 जनवरी को गुरु ग्रह अस्त हो जाएगा। ज्योतिषीयों के मुताबिक, इस ग्रह के अस्त हो जाने से शादियां, गृह प्रवेश जैसे तमाम मांगलिक कामों पर रोक लग जाएगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार बृहस्पति ग्रह जब सूर्य के आगे या पीछे करीब 11 डिग्री पर होता है तो ये अस्त माना जाता है। देवगरू बृहस्पति धर्म और मांगलिक कार्यों का कारक ग्रह है। इसलिए गुरू तारा अस्त होने पर मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इस बार 19 जनवरी से 16 फरवरी तक गुरु तारा अस्त रहेगा। इसलिए इन 28 दिनों तक मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहेंगे। हालांकि 16 फरवरी को गुरु के उदय होने के कुछ ही मिनटों बाद शुक्र अस्त हो जाएगा। इस कारण अप्रैल से शुभ कामों की शुरुआत होगी। यही वजह है कि 18 जनवरी के बाद साल का दूसरा विवाह मुहूर्त 22 अप्रैल को रहेगा। काशी के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्र का कहना है कि 14 जनवरी को सुबह करीब साढ़े 8 बजे सूर्य मकर राशि में आया। इस राशि में पहले से ही बृहस्पति स्थित है। सूर्य के राशि बदलने के 4 दिन बाद ही यानी 19 जनवरी को बृहस्पति अस्त हो जाएंगे। सूर्य 12 फरवरी को बृहस्पति वाली राशि छोड़कर कुंभ में प्रवेश कर जाएगा।
इसके 4 दिन बाद यानी बसंत पंचमी पर बृहस्पति ग्रह का उदय हो जाएगा। वैदिक ज्योतिष में गुरु को शुभ कामों का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्रा के मुताबिक सूर्य जब गुरु की राशि धनु और मीन में आता है तो इससे गुरु का प्रभाव कम हो जाता है। वहीं, शुभ कामों के दौरान गुरु का प्रभावशाली होना जरूरी माना गया है। इसलिए इस एक महीने के दौरान शुभ कामों की मनाही होती है। खासतौर से इस समय शादियां तो बिल्कुल नहीं की जाती। क्योंकि विवाह के लिए सूर्य और गुरु दोनों की स्थिति मजबूत होनी चाहिए। साथ ही ज्योतिषीयों के मुताबिक, लगभग 12 साल में एकबार जब बृहस्पति ग्रह सूर्य की राशि यानी सिंह में आता है तो भी मांगलिक काम नहीं करने चाहिए। पं मिश्रा के मुताबिक, इस साल शादी के लिए 18 जनवरी को पहला विवाह मुहूर्त है। इसके बाद 22 अप्रैल से मुहूर्त रहेंगे। अप्रैल में 8, मई में 15, जून में 9 और जुलाई में 5 दिन शादियां हो सकेंगी। इसके बाद देवशयन होने से अगले 4 महीने के बाद नवंबर में शादी और मांगलिक कामों की शुरुआत हो सकेगी। इस साल नवंबर में 7 और दिसंबर में 6 दिन विवाह के मुहूर्त रहेंगे।