कोरोना से जैसा युद्ध भारत करेगा, वैसा कोई और देश करने की स्थिति में नहीं है। 30 करोड़ लोगों को फिलहाल टीका लगाने की तैयारी है। इतने लोग तो बस दो-तीन देशों में ही हैं। धीरे-धीरे भारत में 140 करोड़ लोगों को भी कोरोना का टीका मिल सकेगा। मकर संक्राति के दिन से टीकाकरण की यह क्रांति शुरु हो जाएगी। इस टीका-क्रांति को लेकर दो टीका-टिप्पणी हो रही है। एक तो पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच और दूसरी टीकानिर्माता दो भारतीय कंपनियों के बीच। दोनों कंपनियों– भारत बायोटेक और सीरम-इंस्टीट्यूट– ने एक-दूसरे के टीके के बारे में जो विवाद खड़ा किया था, उसे अब उन्होंने खुद ही सुलझा लिया है। इन दोनों के टीके दुनिया के सबसे सस्ते टीके होंगे। ये टीके भारत के वातावरण के भी अनुकूल होंगे।
इन्हें सदा 200 या 300 डिग्री ठंडे शीतमान में रखने की जरुरत नहीं होगी। इन्हें सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने हजारों शीतयंत्र तैयार कर लिये हैं। 37 राज्यों के 41 हवाई अड्डों पर इस टीके को भिजवाने का इंतजाम हो गया है। हवाई अड्डे से टीका-केंद्र तक भी टीका मिनटों में सुरक्षित पहुंचवाने की व्यवस्था की जा रही है। हर प्रदेश में हजारों टीका-केंद्र बनाए जा रहे हैं ताकि बुजुर्ग और कमजोर लोगों की भी समुचित सेवा हो सके।सरकार को इस अभियान में अभी 13,500 करोड़ रु. खर्च करने होंगे। अंदाज है कि सरकार को लगभग 30 हजार कोल्ड चेनों, 45 हजार बर्फीले रेफ्रीजरेटरों और 41 हजार डीप फ्रीजरों का प्रबंध करना होगा। यह टीका बुजुर्गों और बीमारों को पहले दिया जाएगा। इस गणित को भी स्वास्थ्य मंत्रालय सुलझा रहा है। वास्तव में कई मंत्रालयों के सहयोग से ही यह अभियान सफल होगा।
यह अभियान लगभग वैसा ही है, बल्कि उससे भी ज्यादा गंभीर है, जो हमारे देश में चुनावों के दौर में होता है। इस अभियान में देश के सभी लोग का अधिकतम सहयोग होना चाहिए लेकिन हमारे विपक्षी नेताओं ने इस राष्ट्रसेवा के मामले में भी विवाद खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि इस टीके का तीसरे परीक्षण के पहले ही उपयोग करना खतरनाक है। क्या हम अपने वैज्ञानिकों से भी ज्यादा उनकी बात को प्रामणिक मानें ? यदि कुछ खतरा होगा तो उसका पता तुरंत चलेगा और तत्काल समुचित कार्रवाई होगी। कुछ लोग टीके के बारे में यह भ्रम भी फैला रहे हैं कि इसमें सूअर या गाय की चर्बी है और उसको लगवानेवाला नपुंसक हो जाएगां इन विघ्नसंतोषी टीका-टिप्पणियों को दरकिनार करके इस अभियान को सफल बनाना हर भारतीय का कर्तव्य है।
डा. वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)