हरियाली अमावस्या

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श्रद्धा की अमावस्या
स्नान-दान व श्राद्ध कृत्य कल्याणकारी, साथ ही पितृदोष का भी होगा निवारण
पीपल वृक्ष की परिक्रमा से मिलेगी खुशहाली

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह के तिथि पर्व की विशेष महिमा है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि ‘हरियाली अमावस्या’ के नाम से जानी जाती है। श्रावण मास की अमावस्या तिथि के दिन भगवान श्रीविष्णु जी की पूजा-अर्चना के साथ दुर्गाजी एवं श्री हनुमान जी के दर्शन-पूजन एवं पीपल के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। आज के दिन शिवपूजा विशेष कल्याणकारी होती है। शिवजी का रुद्राभिषेक भी आज के दिन करवाना लाभकारी माना गया है। इस बार गुरुवार, 01 अगस्त को हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा।

ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि बुधवार, 31 जुलाई को दिन में 11 बजकर 58 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन गुरुवार 01 अगस्त को प्रातः 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। श्राद्ध की अमावस्या बुधवार, 31 जुलाई को मनाया जाएगा, जिन्हें पितृदोष हो, उन्हें आज के दिन विधि-विधानपूर्वक कर्मकाण्डी ब्राह्मण से पितृदोष की शान्ति करवानी चाहिए। उदयातिथि के अनुसार स्नान-दान-व्रत की अमावस्या गुरुवार, 01 अगस्त को मनाया जाएगा।

पूजा का विधान – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि अमावस्या तिथि पर स्नान-दान के पश्चात विधि-विधानपूर्वक पितरों की भी पूजा-अर्चना करने का विधान है। पितरों के आशीर्वाद से जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है। ऐसी मान्यता है कि पीपल वृक्ष में समस्त देवता विराजते हैं। पीपल के वृक्ष की पूजा का आज विशेष महत्व है। पीपल वृक्ष को जल से सिंचन करके धूप-दीप से पूजा के पश्चात ‘ऊ मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्य विष्णुरूपिमे अग्रतो शिवरूपाय पीपलाय नमो नमः।’ इस मन्त्र का जप अधिकतम संख्या में करना चाहिए। पीपल वृक्ष की विधि-विधानपूर्वक पूजा के पश्चात 11, 21 अथवा 108 बार परिक्रमा करने पर आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्ट-देवी देवता एवं आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए। ब्रह्मण को घर पर निमन्त्रित करके उन्हें रुचि के अनुसार शुद्ध भोजन करवाकर सफेद रंग की वस्तुओं का दान करें जैसे- चावल, दूध, मिश्री, चिनी, खोवे से बने सफेद मिष्ठान, सफेद वस्त्र, चांदी एवं अन्य सफेद रंग की वस्तुएं दक्षिणा के साथ देनी चाहिए। तत्पश्चात उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए। ब्रह्मण को भोजन न करा पाने की स्थिति में उन्हें भोजन सामग्री (सिद्धा) के साथ नकद द्रव्य देकर पुण्य लाभ अर्जित करना चाहिए, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और खुशहाली मिलती रहे।

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