शनैश्चरी अमावस्या : 4 दिसम्बर, शनिवार को

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शनिवार के दिन शनि अमावस्या का अनूठा संयोग करें शनिदेव की पूजा – बदलेगी किस्मत, मिलेगी सुख-समृद्धि, खुशहाली

  1. शनैश्चरी अमावस्या से दिखेगी प्राकृतिक व दैविक आपदाओं की भरमार
  2. मौसम में दिखेगा अजीबो-गरीब परिवर्तन
  3. राजनेताओं में रहेगी आपसी खींचतान एवं मतैक्य का अभाव
  4. कालसर्पदोष, शनिग्रहदोष व पितृदोष निवारण का है सर्वश्रेष्ठ दिन
  • ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन सृष्टि के संचालक प्रत्यक्षदेव भगवान सूर्यदेव के सुपुत्र श्रीशनिदेव जी की आराधना का विशेष महत्व है। वैसे तो शनिदेव जी की पूजा प्रत्येक शनिवार को विधि-विधानपूर्वक की जाती है। यदि शनिवार के दिन अमावस्या तिथि का संयोग मिल जाए तो पूजा अधिक पुण्य फलदायी होती है। प्रख्यात ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि इस बार वर्ष की अन्तिम अमावस्या शनिवार, 4 दिसम्बर को पड़ रही है। मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शुक्रवार, 3 दिसम्बर को सायं 4 बजकर 56 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन शनिवार, 4 दिसम्बर को दिन में 1 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। इस दिन अनुराधा नक्षत्र दिन में 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनिग्रह की विधि-विधानपूर्वक की गई पूजा सुख, समृद्धिकारक होती है, साथ ही शनिग्रहजनित दोष से मुक्ति भी मिलती है। पितृदोष की शान्ति के लिए भी अमावस्या तिथि श्रेयस्कर मानी गई है। शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनिग्रह की विधि-विधान से की गई पूजा सुख, समृद्धिकारक होती है। मिथुन एवं तुला राशि पर शनिग्रह की अद्वैया धनु, मकर एवं कुम्भ राशि पर शनिग्रह की साढ़ेसाती ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनैश्चरी अमावस्या कठिन व विषम प्रभाव दिखानेवाली होती है। शनैश्चरी अमावस्या से प्राकृतिक एवं दैविक आपदाएँ अधिक आती हैं। विश्व के प्रशासकों को शासन चलाने में मुश्किलें आ सकती हैं। इससे छत्रभंग की आशंका भी रहती है। राजनेताओं में आपसी मतैक्य का अभाव बना रहेगा। सम्भव है कि राजनीति में नये समीकरण सामने आएँ। शेयर मार्केट, वायदा व धातु बाजार में विशेष उथल-पुथल देखने को मिलेगी। ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न-श्री विमल जैन जी ने बताया कि आस्थावान व्रतकर्ता को प्रात:काल स्नान ध्यान व अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् शनिव्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहकर सायंकाल पुनः स्नान करके शनिदेव की विधि-विधान से पूजा करने के पश्चात् उनको काले रंग की वस्तुएँ जैसे-काला वस्त्र, काला साबूत उड़द, काला तिल, सरसों का तेल या तिल का तेल, काला छाता, लोहे का बर्तन एवं अन्य काले रंग की वस्तुएँ अर्पित करना लाभकारी रहता है। इस दिन शनिदेव के मंदिर में सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करना तथा तेल की अखण्ड ज्योति जलाना उत्तम फलदायी माना गया है। सायंकाल शनिदेव के मन्दिर में पूजा करके दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। शनिग्रह के मन्त्रों का जप करना रहेगा लाभदायक
  1. ॐ शं शनैश्चराय नमः।
  2. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
  3. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सं शनैश्चराय नमः।
  4. ॐ नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नमः।
  5. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः।

शनि भगवान् से सम्बन्धित राजा दशरथ कृत शनिस्तोत्र, शनि चालीसा का पाठ व शनिदेव जी की आरती करनी चाहिए। इस दिन काले उड़द के दाल की खिचड़ी गरीबों में अवश्य वितरित करनी चाहिए। साथ ही काले रंग की वस्तुओं का दान भी करना चाहिए। शनिग्रहजनित दोषों के शमन के लिए आज अमावस्या तिथि के दिन शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना करके गरीबों में काले रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए। किन-किन वस्तुओं का करें दान-शनिग्रह से सम्बन्धित वस्तुओं का दान सायंकाल पश्चिम दिशा की ओर मुख करके करने का विधान है। दान करने से शनिदेव प्रसन्न होकर भक्त को मंगल कल्याण के आशीर्वाद से अभिभूत करते हैं। जन्मकुण्डली में शनिग्रह की उत्तम स्थिति ऐश्वर्य एवं वैभव प्रदाता होती है। व्यक्ति को समस्त भौतिक सुख मिलते हैं। जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार शनिग्रह प्रतिकूल हों या शनिग्रह की महादशा का अनुकूल फल न मिल रहा हो, उन्हें अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् शनिदेव की पूजा का संकल्प लेकर व्रत उपवास रखकर शनिदेव की आराधना अवश्य करनी चाहिए। जिससे उसका जीवन सुखमय होता है। इस दिन पीपल के वृक्ष व भगवान् शिवजी व श्रीविष्णु जी की पूजा-अर्चना के साथ पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करने पर आरोग्य व सुखसौभाग्य में वृद्धि होती है।

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