वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी

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वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत से होगी सौभाग्य में अभिवृद्धि
श्रीगणपति की विशेष पूजा होती है दूर्वा व मोदक से

सनातन धर्म में पौराणिक मान्यता के मुताबिक सर्वविघ्नविनाशक अनन्तगुण विभूषित बुद्धिप्रदायक सुखदाता मंगलमूर्ति प्रथम पूज्यदेव भगवान श्रीगणेशजी की महिमा अपरम्पार है। भगवान श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना से जीवन में सुख-समृद्धि व सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। श्रीगणेश चतुर्थी तिथि के दिन की गई पूजा विशेष लाभकारी होती है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि प्रत्येक मास में शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाने वाला वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत इस बार 10 मार्च, रविवार को रखा जाएगा। फाल्गुन शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि 9 मार्च, शनिवार की अर्द्धरात्रि के पश्चात 3 बजकर 3 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 10 मार्च, रविवार की अर्द्धरात्रि के पश्चात 4 बजकर 7 मिनट तक रहेगी। मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी तिथि का मान 10 मार्च, रविवार को है, जिसके फलस्वरूप वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत इसी दिन रखा जाएगा। इस दिन श्रीगणेश भक्त व्रत-उपवार रखकर श्रीगणेशजी की विधि-विधानपूर्वक व्रत-उपवास रखकर श्रीगणेश जी की पूजा-आराधना करेक लाभान्वित होंगे।।

कैसे करें श्रीगणेशजी को प्रसन्न – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतक्रर्ता को प्रातःकाल अपने समस्त दैनिक नित्य कृत्यों के निवृत्त होने के उपरान्त अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करके वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। श्रीगणेश का श्रृंगार करके उन्हें दूर्वा एवं दूर्वा की माला, मोदक (लड्डू) अन्य मिष्ठान ऋतुफल आदि अर्पित करना चाहिए। धूप-दीप, नवैद्य के साथ की गई पूजा शीघ्र फलित होती है।।

किस पाठ से होंगे मनोरथ पूरे – श्रीगणेश जी की महिमा में उनकी विशेष अनुकम्पा प्राप्ति के लिए श्रीगणेश स्तुति, श्रीगणेश चालीसा, श्रीगणेश सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। साथ ही श्रीगणेश जी के सम्बन्धित विभिन्न मन्त्रों का जप करना लाभकारी रहता है। श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत महिला-पुरुष तथा विद्यार्थियों के लिए समानरूप से फलदायी है। जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार राहों की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा चल रही हो, उन्हें वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखकर श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए। श्रीगणेश पुराण के अनुसार भक्तिभाव व पूर्ण आस्था के साथ किए गए वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत से जीवन में सौभाग्य की अभिवृद्धि होती है, साथ ही जीवन में मंगल कल्याण होता रहता है।

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