उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागरिकता संशोधन कानून की आड़ में प्रदेश को उपद्रव की आग में झोंकने वालों और दंगा-आगजनी की साजिश को पर्दे के पीछे से अंजाम देने वाली देश विरोधी ताकतों के खिलाफ एक साथ मोर्चा खोलकर यह साबित कर दिया है कि उनकी सरकार प्रदेश में अमन-चैन रहे इसके लिए लोगों को शांति का पाठ भी पढ़ाती है और जरूरत पडऩे पर शांति भंग करने वालों के खिलाफ उसे दण्ड देने में भी कोई गुरेज नहीं है। योगी ने अपने सगत तेवरों से यह साबित कर दिया है कि उन्हें उन लोगों के साथ बिल्कुल भी हमदर्दी नहीं है जो विरोध के नाम पर हिंसा के दौरान सरकारी सम्पत्ति को बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं। दंगा करने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ के सगत कदम से ठीक वैसे ही भयभीत हो गए हैं, जैसे कभी योगी के सीएम बनने के बाद अपराधियों में भय व्याप्त हो गया था। योगी ने जिस तरह से दंगाइयों और दंगे के पीछे काम कर ही शक्तियों को कुचला, उसी का परिणाम था कि 27 दिसंबर को जुम्मे के बाद प्रदेश के कई जिलों में हिंसा की आशंका निर्मूल साबित हुई। गौरतलब है कि खुफिया विभाग से योगी सरकार को पुगता जानकारी मिली थी कि प्रदेश को बड़े पैमानें पर दंगे की आग में झोंक ने की साजिश कुछ नेताओं और देशद्रोही शक्ति यों द्वारा रची जा रही है।
योगी की सख्ती का नजारा गत दिनों बुलंदशहर में देखने को मिला, जब वहां कुछ लोगों रो इस बात का अहसास हुआ कि धरना प्रदर्शन के नाम पर सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना गलत है। दरअसल बुलंदशहर जिला प्रशासन ने पिछले दिनों की हिंसा, बवाल से हुए नुकसान की भरपाई के लिए चिन्हित उपद्रवियों को नोटिस जारी करने का फैसला लिया था। इस पर कुछ सभासदों ने प्रशासन से नोटिसन भेजने का आग्रह करते हुए स्वयं ही सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने के लिए कहा था। 27 दिंसबर को सभासदों और समाज के अन्य लोगों ने नुकसान की भरपाई का डिमांड ड्राफ्ट सौंप दिया है। बताते चलें कि सीएए के विरोध की आड़ में बुलंदशहर के ऊपर कोट मोहल्ले में 20 दिसंबर को उन्मादी भीड़ ने कोतवाली देहात इंस्पेक्टर अखिलेश कुमार की जीप फूंक दी थी। आगजनी में स्कूटी भी जल गई थी। पुलिस का वायरलेस सेट और एंटी रॉयट गन भी लूट ली गई थी। जुमे की नमाज के बाद कोतवाली नगर में पहुंचे सभासद पति अकरम गाजी ने मुस्लिम समाज के अन्य लोगों के साथ डीएम रविंद्र कुमार और एसएसपी संतोष कुमार सिंह को नुकसान की भरपाई के रूप में छह लाख 27 हजार 507 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट सौंप दिया। नुकसान की भरपाई होने के बाद आगे क्या किया जाए यह फैसला जल्द प्रशासन को करना है।
बहरहाल, एक तरफ योगी सरकार की सख्ती से प्रदेश में अमन-चैन कामय हो रहा है तो दूसरी तरफ वह नेता भी सक्रिय हो गए हैं जिन्हें लगता है कि अगर उन्होंने दंगाइयों को बचाने की कोशिश नहीं की तो उनका मुस्लिम वोट बैंक कमजोर पड़ सकता है। कल जो नेता दंगे के समय पुलिस पर कथित तौर पर अत्याचार का आरोप लगा रहे थे, आज वह यह ढिंढोरा पीट रहे हैं कि पुलिस दंगाइयों के नाम पर निर्दोषों को परेशान कर रही हैं। कांग्रेस, सपा, बसपा सब मुस्लिम वोट बैंक के चक्कर में दुबले हुए जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव तो राजभवन तक पहुंच गए। अखिलेश ने महामहिम आनंदी बेन पटेल से मांग की है कि निर्दोषों का तत्काल उत्पीडऩ बंद किया जाए। अखिलेश का कहना था कि पुलिस लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है। ऐसा कहते समय शायद वह यह भूल गए कि उनके भी कई नेताओं पर दंगा भडक़ाने के मामले दर्ज हैं। अच्छा होता कि अखिलेश यह भी बता देते कि जब पुलिस पर दंगाइयों ने पत्थर बरसाए थे, तब उन्हें मानवाधिकार की याद क्यों नहीं आई। उधर, योगी आदित्यनाथ के कार्यालय से ट्वीट किया गया है कि सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने वाले उपद्रवियों से ही क्षतिपूर्ति के सिंहनाद में उपद्रवियों ने अपना संभावित अंजाम देख लिया। यूपी अब पूर्णत: शांत है।
अजय कुमार
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)