नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार में ठीक-ठाक काम कर रहे एक दर्जन मंत्रियों को बाहर कर दिया लेकिन देश की अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठा होने के बावजूद निर्मला सीतारमण विा मंत्री के पद पर बनी रहीं। अब कहा जा रहा है कि उनको और तरकी मिल सकती है। उनको भाजपा संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया जा सकता है। पहले उनको राज्यसभा में सदन का नेता बनाए जाने की चर्चा भी थी, लेकिन भाजपा ने उनकी बजाय पीयूष गोयल पर दांव लगाया है। गौरतलब है कि थावरचंद गहलोत ने कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने के बाद राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है और इसके साथ ही राज्यसभा में साापक्ष के नेता का पद खाली हो गया है। राज्यसभा में नेता पद के लिए भाजपा में निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान के नाम की चर्चा थी। ध्यान रहे पीयूष गोयल काफी समय से अरुण जेटली की जगह के दावेदार थे।
नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में जब जेटली बीमार हो गए थे तब कार्यकारी विा मंत्री के रूप में गोयल ने काम किया था। लेकिन दूसरे कार्यकाल में जब विा मंत्री बनाने की बारी आई तो मोदी ने निर्मला सीतारमण को यह जिम्मेदारी सौंपी। प्रधानमंत्री पीयूष गोयल को जेटली वाली वित्त मंत्री की जिम्मेदारी नहीं दे पाए थे इसलिए राज्यसभा में भाजपा का नेता पद उनको दे दिया है। बहरहाल, सीतारमण उच्च सदन में नेता नहीं बन सकीं, लेकिन वे भाजपा संसदीय बोर्ड की सदस्य बन सकती हैं। संसदीय बोर्ड में चार जगह खाली है। वेंकैया नायडू के उप राष्ट्रपति बनने के बाद एक जगह खाली हुई थी और उसके बाद अरुण जेटली और सुषमा स्वराज के निधन से भी दो जगह खाली हुई। अब थावरचंद गहलोत के इस्तीफे से एक और जगह खाली हो गई है। दूसरी बात यह है कि संसदीय बोर्ड में कोई महिला नहीं है।
इसलिए निर्मला सीतारमण की उसकी दावेदारी भी मजबूत बताई जा रही है। वैसे स्मृति ईरानी को भी हाल ही में राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति में शामिल किया गया है। वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामाजिक विकास का एजेंडा अपने भरोसे के और अपेक्षाकृत नए नेताओं को सौंपा है। ध्यान रहे कोरोना वायरस की महामारी फैलने के बाद से ही इस बात पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है कि सामाजिक विकास पर कैसे ध्यान दिया जाए, उस पर किस तरह से खर्च बढ़ाया जाए और लोगों तक लाभ पहुंचाया जाए। सामाजिक विकास के नजरिए से तीन सबसे अहम मंत्रालय हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और रोजगार। प्रधानमंत्री मोदी की नई कैबिनेट में शिक्षा मंत्रालय धर्मेंद्र प्रधान को मिला है और स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को बनाया गया है। वन व पर्यावरण और श्रम व रोजगार मंत्रालय भूपेंद्र यादव को सौंपा गया है।
भूपेंद्र यादव पहली बार मंत्री बने हैं और उनको ऐसा विभाग दिया गया है, जिस पर सबकी नजर है। पिछले कुछ समय से रोजगार में कमी सबसे बड़ा मुद्दा है और पर्यावरण सुरक्षा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मसला है। उनको इन दोनों मंत्रालयों में सरकारी खर्च बढ़ाना है और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसका लाभ पहुंचाना है। इसी तरह धर्मेंद्र प्रधान के ऊपर नई शिक्षा नीति को लागू करने की जिम्मेदारी है और साथ ही कौशल विकास पर भी ध्यान देना है। गुजरात से आने वाले मनसुख मंडाविया को स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के विकास का बहुत बड़ा काम करना है। ये तीनों नेता अपेक्षाकृत नए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों के भरोसेमंद हैं। इन तीन नेताओं की सफलता-विफलता से केंद्र सरकार के प्रति आम लोगों की धारणा बहुत प्रभावित होगी।