नितिन गडकरी की साफगोई!

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केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि राजनीति में आने के लिए किसी क्वालिटी की जरूरत नहीं होती। वैसे यह कहकर उनकी मंशा क्या है वे ही जानें। पर इससे इतना स्पष्ट है कि कहीं न कहीं उनके भीरत कोई द्वन्द्व है जो असल को छिपाने में उलट, पुलट सा निकलकर सामने आता है। वैसे भी जिस प्रोफेशन में व्यक्ति होता है उसमें यदि किसी किस्म की गिरावट आ रही है तो उसके कारकों को किस तरह दूर किया जाए। इस पर चर्चा करता है। पर यहां तो खुद प्रोफेशन पर सवाल उठाया जा रहा है। एक बारगी लगता है यह बड़े साहस का काम है लेकिन इसकी तह में जाएं तो वजह कुछ और मालूम पड़ती है। यू तो भाजपा में भी कई प्रधानमंत्री पद के दावेदार है और यह बड़ी स्वाभाविक इच्छा है, होनी भी चाहिए।

इसी फेहरिस्त में गडकरी का भी नाम शामिल बताया जाता है। 2013 में भी उनको लेकर चर्चाएं थीं क्योंकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अत्यन्त निकट बताए जाते हैं। इसके अलावा गडकरी के अन्य दलों में ठीक-ठाक संबंध है जैसे राजनाथ सिंह के है। लिहाजा 2014 से पहले उन्हें पीएम मटीरियल माना जा रहा था। इधर कुछ माह पहले तक इस तरह की दोबारा चर्चा चल पड़ी और हुआ यह कि तब से चैनलों-अखबारों में गडकरी की पीएम महत्वाकांक्षा को जगह दी जाती रही उनकी बातचीत का ढंग भी कुछ ऐसा है कि जो जैसा अर्थ चाहे निकाल सकते है। यही हुआ जब उन्होंने कहा कि अब तक जो भी वादा किया, उसे पूरा किया है। इसी कड़ी में उनकी बात का अन्यथा अर्थ लेते हुए पीएम की महात्वाकांक्षी से जोड़कर देखा जाने लगा। ऐसा इसलिए भी कि 2014 में नरेन्द्र मोदी की तरफ से किये गये रोजगार और किसानों को दोगुनी आय जैसे वादे जमीन पर नहीं उतर पाये जिसको लेकर विपक्ष भी हमलावर है।

भाजपा के भीतर पीएम पद को लेकर किसी मनमुटाव की उम्मीद लिए विपक्ष की तरफ से गडकरी के कामकाज को तालियां भी मिली हैं। पी चिदंबरम जैसा नेता भी सड़क निर्माण और गंगा सफाई को लेकर गडकरी की पीठ थपथपा चुके हैं। तो ऐसी स्थिति में मीडिया के भीतर भी एक अवधारणा बनने लगी है कहीं कुछ पक रहा है। हालांकि मोटे तौर पर गडकरी पीएम पद की दौड़ में नहीं है। ऐसा कई बार कह चुके हैं, लेकिन जिस तरह अपनी बात रखते हैं। उससे प्रायः यही ध्वनित होता है कि उन्हें भी बड़ी कुर्सी की चाह है पर स्थितियां अनुकूल हों तभी बात बन सकती है। गडकरी की तरफ से इस मुद्दे पर बार-बार दी जाती रही सफाई से एक बात तो स्पष्ट है कि उनकी साफाई में कहीं न कहीं कोई उलझन है। वो क्या है वे ही जानें।

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