डर में चीन

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मुंबई। भारत के आम बजट के ऐलान से बैठा शेयर बाजार तो सोमवार को सुधर गया लेकिन कोरोनावायरस के असर की चिंताओं से चीन के शेयर बाजार में सोमवार को भारी बिकवाली हुई। शंघाई कपोजिट इंडेस 7.7 फीसद गिरकर एक साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। यह चार साल की सबसे बड़ी गिरावट भी है। शेनझेन कंपोजिट इंडेस में 8.5 फीसद गिरावट आ गई। यह 13 साल में सबसे ज्यादा है। दोनों इंडेस की गिरावट से निवेशकों को 445 अरब डॉलर (32 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान हो गया।

चीन के शेयर बाजार के रेग्युलेटर ने कहा है कि बाजार की गिरावट से प्रभावित कंपनियों को 2019 के सालाना और 2020 के तिमाही नतीजे घोषित करने के तय समय में छूट दी जाएगी। कोरोना वायरस की वजह से दुनिया पर मंदी का खतरा भी मंडराने लगा है। करेंसी में गिरावट: चीन की करेंसी में भी सोमवार को तेज गिरावट आई। वहां की मुद्रा युआन 1.5 फीसद गिरकर 7 युआन प्रति डॉलर के नीचे आ गई। चीन के केंद्रीय बैंक ने सिस्टम में नकदी बढ़ाकर गिरावट रोकने की कोशिश की, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।

सेंट्रल बैंक ने रविवार को ही कह दिया था कि शॉर्ट टर्म बॉन्ड की खरीदारी के जरिए बैंकिंग सिस्टम में 173 अरब डॉलर (12.36 लाख करोड़ रुपए) की रकम डाली जाएगी, ताकि बैंकों की कर्ज क्षमता बढ़ सके और करंसी बाजार स्थिर रहे। प्याज दरें घटी: चीन में नए साल की छुट्टियों के बाद शेयर बाजार में कारोबार का सोमवार को पहला दिन था। हालांकि, शुक्रवार को बाजार खुलना था, लेकिन सरकार ने छुट्टी बढ़ा दी थी। चीन में कोरोनावायरस के संक्रमण के 17 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।

केंद्रीय और स्थानीय सरकारें पीडि़तों के इलाज और मेडिकल उपकरणों पर खर्च के लिए अब तक 12.6 अरब डॉलर (90 हजार करोड़ रुपए) की रकम जारी कर चुकी हैं। इकोनॉमी पर कोरोनावायरस का असर कम करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। ज्यादा प्रभावित इलाकों में प्रमुख बैंकों ने कर्ज की प्याज दरें घटा दी हैं, ताकि लोगों को आर्थिक रूप से दिक्कतें नहीं हो। बैंक ऑफ चाइना ने कहा है कि लोगों का रोजगार छिनता है तो उन्हें कर्ज के भुगतान में फिलहाल राहत देते हुए ज्यादा समय दिया जाएगा।

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