इस संसार की वास्तविकता है। एक व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है और चाहता है कि वह व्यक्ति भी उसे उतना ही प्रेम करें। परंतु विडंबना यह कि वह दूसरा व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है। इसका कारण यह है कि संसार व इसके सभी प्राणी अपू्रण हैं। सब में कुछ न कुछ कमी है। सिर्फ भगवान ही एक मात्र पूर्ण हैं। एक वहीं हैं जो हर जीव से उतना ही प्रेम करते हैं, जितना जीव उनसे करता है बल्कि उसस् कहीं अधिक। बस हम ही उन्हें सच्चा प्रेम करते हैं जि
इस संसार की वास्तविकता है। एक व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है और चाहता है कि वह व्यति भी उसे उतना ही प्रेम करे। परंतु विडंबना यह कि वह दूसरा व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है। इसका कारण यह है कि संसार व इसके सभी प्राणी अपूर्ण हैं। सब में कुछ न कुछ कमी है। सिर्फ भगवान् ही एक मात्र पूर्ण हैं। एक वही हैं जो हर जीव से उतना ही प्रेम करते हैं, जितना जीव उनसे करता है बल्कि उससे कहीं अधिक। बस हम ही उन्हें सच्चा प्रेम नहीं करते।
इस बारे में एक कथा प्रचालित है कि एक राजा भर्तृहरि के राज्य में एक ब्राह्मण को उसकी पूजा से प्रसन्न देवता ने उसे अमर फल देते हुए कहा कि इससे आप लंबे समय तक युवा रहोगे। ब्राह्मण ने सोचा कि हमारा राजा बहुत अच्छा है, उसे यह फल दे देता हूं। वह लंबे समय तक जीएगा तो प्रजा भी लंबे समय तक सुखी रहेगी। वह फल उन्हें दे आया। राजा फल पाकर प्रसन्न हो गया। राजा ने वह फल अपनी पत्नी को यह सोचते हुए दे दिया कि वह ज्यादा दिन युवा रहेगी तो ज्यादा दिनों तक उसके साहचर्य का लाभ मिलेगा। उसने वह फल अपनी पत्नी को दे दिया। लेकिन, रानी ने अपने प्रेमी कोतवाल को फल देते हुए इसे खाने को कहा , इससे तुम लंबी आयु प्राप्त करोगे और मुझे सदा प्रसन्न करते रहोगे। कोतवाल ने यह फल अपनी परम मित्र राज नर्तकी को दे देता हूं।
वह कभी मेरी कोई बात नहीं टालती। उसने वह फल अपनी उस नर्तकी मित्र को दे दिया। राज नर्तकी ने कोई उत्तर नहीं दिया और चुपचाप वह अमर फल अपने पास रख लिया। कोतवाल के जाने के बाद उसने सोचा कि कौन मूर्ख यह पाप भरा जीवन लंबा जीना चाहेगा। हमारे देश का राजा बहुत अच्छा है, उसे ही लंबा जीवन जीना चाहिए। यह सोच कर उसने किसी प्रकार से राजा से मिलने का समय लिया और एकांत में उस फल की महिमा सुना कर उसे राजा को दे दिया। और कहा कि महाराज, आप इसे खा लेना। राजा फल को देखते ही पहचान गया और भौंचक रह गया। पूछताछ करने से जब पूरी बात मालूम हुई, तो उसे वैराग्य हो गया और वह राजपाट छोड़ कर जंगल में चला गया। उसे आभास हो गया कि सांसारिक प्राणी से प्रेम अस्थाई है सच्चा प्रेम तो केवल ईश्वरीय है।