हस्तिनापुर समेत महाभारत काल के शहरों की बदलेगी सूरत

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नई दिल्ली। आम बजट में किसके क्या हिस्से आया ये तो भले ही किसी को पता ना चले लेकिन कम से कम महाभारत काल के पांच पुरातात्विक स्थलों का विकास होना अब जरूर तय है। इनमें महाभारत काल की राजधानी हस्तिनापुर भी शामिल है। यही इस बजट की सबसे बड़ी खासियत है कि सरकार ने इस साल देश के इन पांच बड़े पुरातात्विक स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का फैसला किया है। केंद्रीय बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि पांच राज्यों में स्थित पांच प्रतिष्ठित पुरातात्विक स्थलों को संग्रहालयों के साथ विकसित किया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री ने जिन पांच पुरातात्विक स्थलों के विकास का ऐलान किया उसमें हरियाणा का राखीगढ़ी, महाभारत काल का हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश), शिवसागर (असम), धोलावीरा (गुजरात) और आदिचनल्लूर (तमिलनाडु) शामिल है।

हस्तिनापुर (मेरठ)
मेरठ के पास मौजूद हस्तिनापुर को महाभारत काल में कौरवों और पांडवों के पूर्वजों के साम्राज्य के तौर पर जाना जाता है। इसी राज्य के लिए महाभारत में वर्णित कुरुक्षेत्र की लड़ाई लड़ी गई थी। पुरातत्वविदों ने वहीं पास में एक गांव पाया है जिसको लेकर उन्होंने दावा किया है कि यह 2000 साल पहले का गांव है ।

राखीगढ़ी, हरियाणा:
अब तक मोहनजोदड़ो, हड़ह्रश्वपा सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल माना जाता रहा है लेकिन हरियाणा के हिसार जिले का राखीगढ़ी गांव ने उसे दूसरे नंबर पर लाकर खड़ा कर दिया है। इतना ही नहीं राखीगढ़ी की खोज ऐसे स्थलों के इतिहास को बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े कई सवालों के जवाब के राखीगढ़ी से मिल सकते हैं। राखीगढ़ी में 2015 सें अब तक हुए जेनेटिक (आनुवंशिक) खोज के नतीजे जल्द ही साइंस जर्नल में प्रकाशति किए जाएंगे। राखीगढ़ी में मिले 4500 साल पुराने कंकालों के परीक्षण से पता चला है कि प्राचीन राखीगढ़ी के लोग साउथ इंडिया में रहने वाले पूर्वजों और ईरान के खेतिहर लोगों के मिश्रति खून थे।

धोलावीरा, गुजरात:
गुजरात के धोलावीरा को भारत में स्थित दो हड़ह्रश्वपा शहरों में से दूसरा शहर माना जाता है। इस शहर को लेकर माना जाता है कि 1800 ईसा पूर्व से 3000 ईसा पूर्व के बीच 1,200 साल की अवधि में यह शहर बसा था। इस पुरातात्विक साइट का सबसे पहली बार पता साल 1967 में चला था। 1990 के बाद से इसकी पूरी जानकारी लेने के लिए व्यवस्थित रूप से खुदाई की जा रही है। खुदाई के बाद वहां से कई कलाकृतियों बरामद हुई हैं जिसमें टेराकोटा मिट्टी के बर्तन, मोती, सोने और तांबे के गहने और आयातित बर्तन शामिल हैं। यहां खुदाई से प्राचीन मेसोपोटामिया के साथ व्यापार लिंक के भी संकेत मिले हैं।

आदिचनल्लूर, तमिलनाडु:
तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में इस खुदाई स्थल पर पाए जाने वाले कलाकृतियों की कार्बन डेटिंग के बाद इसे प्राचीन तमिल सकयता के एक हिस्से के रूप में पुरातत्वविदों ने इंगित किया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि 905 ईसा पूर्व और 696 ईसा पूर्व के बीच की अवधि में यहां जीवन संभव था और तमिल सहायता के साथ लोग यहां रहा करते थे।

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