मफलरमैन से ही फिर लड़े दिल्ली के नैन

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूरी सरकार और भाजपा की सारी फौज मिलकर भी आम आदमी पार्टी को तीसरी बार दिल्ली के ताज से दूर नहीं धकेल पाई। ताज छीनना तो दूर भाजपा अपनी लाज भी नहीं बचा पाई। 22 साल का सत्ता का सूखा अभी पांच साल और पार्टी को झेलना पड़ेगा। ईवीएम दबाने से शाहीन बाग की जनता को तो करंट नहीं लगा लेकिन भाजपा जरूर आप के तेज झटके से कंपकंपा रही है। सारे घोड़े खोलने के बावजूद जैसे-तैसे आठ सीटों पर ही भाजपा जीत पाई। आप को 6२ सीटें मिली। कांग्रेस लगातार दूसरी बार विधानसभा में खाता नहीं खोल पाई। मंगलवार को आए नतीजों ने साफ कर दिया कि दिल्ली की जनता के नैन पूरी तरह अरविंद केजरीवाल से ही लड़े हुए हैं, वो तीसरी बार सीएम बनेंगे। कांग्रेस की शीला दीक्षित के बाद वह यह मुकाम हासिल करने वाले दूसरे शस होंगे।

केजरीवाल पिछली बार की तरह 14 फरवरी यानी वेलेंटाइन डे पर ही शपथ लेंगे इसके पूरे आसार हैं। भाजपा ने हार मान ली है और कहा कि वो सकारात्मक विपक्षी की भूमिका निभाएगी। इस बीच एलजी अनिल बैजल ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की छठी विधानसभा को भंग कर दिया है। एलजी आप को सरकार बनाने का न्यौता भेजने की तैयारी में हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तीसरी बार सीएम बनने जा रहे हैं। वे पहली बार 2013 में 48 दिन इस पद पर रहे, फिर इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने दूसरी बार 14 फरवरी 2015 को सत्ता संभाली थी। आप के सभी मंत्री चुनाव जीत गए हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया हार के कगार पर थे लेकिन किसी तरह इज्जत बचाने में कायमाब रहे। उन्होंने रहा रि भाजपा ने नफरत की राजनीति की और जनता ने काम करने वालों को चुना।

राजेंद्र नगर से आम आदमी प्रत्याशी राघव चड्ढा और आतिशी मर्लेना कालकाजी से जीतीं। चड्ढा ने कहा कि लोगों ने साबित कर दिया कि दिल्ली का बेटा आतंकवादी नहीं, बल्कि सच्चा राष्ट्रवादी है।  चतुराई भरी रणनीति: दिल्ली की जनता ने शाहीन बाग और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए ) के मुद्दे को नकारते हुए स्थानीय मुद्दे के आधार पर वोट दिया। इन चुनावों में आप ने बड़ी चतुराई से विवादित मुद्दों के किनारा करते हुए स्थानीय मुद्दों पर लोगों से वोट मांगे। केजरीवाल ने चुनावों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे को उठाया और जनता के बीच इसी आधार पर वोट मांगा।  जीत में है शीला दीक्षित का मंत्र: या केजरीवाल भी शीला की तरह ही स्थानीय मुद्दे पर अपनी राजनीति और आगे बढ़ाएंगे? आने वाले 5 साल निश्चित तौर पर केजरीवाल की तुलना शीला से होगी।

अगर कहा जाए कि केजरीवाल ने शीला के मंत्र से तीसरी बार सत्ता हासिल की है तो गलत नहीं होगा। शीला 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार दिल्ली की सीएम रही थीं। इस दौरान में उन्होंने स्थानीय मुद्दों को तवज्जो दिया और बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए तीन बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थीं। शीला को दिल्ली में मेट्रो, फ्लाइओवर और सड़कों का जाल बिछाने का भी श्रेय दिया जाता है।  बीजेपी ने आंकड़ा सुधारा: 2015 चुनावों बीजेपी को 3 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इस बार भगवा दल ने अपनी टैली को मजबूत किया है। बीजेपी ने इस चुनाव में शाहीन बाग और सीएए को मुद्दा बनाया था लेकिन उसे इससे ज्यादा फायदा होता नहीं दिखा। पार्टी को इस मुद्दे के भरोसे जीत का भरोसा था।

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