पाकिस्तान की फितरत

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अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलक पड़ने के बाद पाकिस्तान की तरफ से बिना शर्त भारत से बाचतीच की पेशकश हुई है। यह अगल बात है कि भारत की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया है कि जब तक सीमा पार से आतंकियों को यहां भेजने का सिलसिला नहीं थमता, बातचीत नहीं होगी। गृहमंत्री अमित शाह से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तक ने भी खुले रूप से कह दिया है कि बात होगी भी तो पीओके अर्थात गुलाम कश्मीर पर जिसका एक भाग पाकिस्तान ने चीन को सीपेक प्रोजेक्ट के लिए दिया हुआ है। शायद इसी वजह से चीन, पाकिस्तान के पक्ष में दिखाई देता है। वैदेशिक मोर्चे पर मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहा। अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर आये दिन गोलाबारी आम बात है, हालांकि भारतीय सेना की तरफ से मुंहतोड़ जवाब दिए जाने से आतंकियों को कश्मीर में दाखिल कराने का मिशन कामयाब नहीं हो पा रहा, इससे पाकिस्तान की सैन्य निर्देशित सरकार के लिए घरेलू मोर्चे पर भी काफी लानत-मलामत झेलनी पड़ रही है।

शायद यही वजह है इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस की ताकीद के बाद पाकिस्तान, भारतीय नागरिक जाधव को कांसुलर ऐक्सेस देने पर राजी तो हो गया है लेकिन उसकी खुराफाती हरकत पीठ पीछे बदस्तूर जारी है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक राजनयिकों से मुलाकात के दौरान जाधव काफी दबाव में नजर आ रहे थे। समझा जाता है उन पर जासूसी के कथित फर्जी आरोपों को स्वीकारने का दबाव डाले जाने का खेल नये सिरे से शुरू हो गया है। आईसीजे के फैसले में जाधव को फांसी की सजा पर भी रोक लग गई है। इससे भी पाक बौखलाया हुआ है। उसकी मांग थी कि भारत उसके देश के भीतर आतंकी कार्रवाइयों को सह देता है। बलुचिस्तान में पाक सरकार के खिलाफ कुछ विद्रोही बलोच गुट काफी समय से आंदोलन चला रहे हैं। उनकी मांग है कि उन्हें स्वायसत्ता दी जाए। इसी तरह की आग सिंध में भी फैली हुई है। दरअसल पाक दुनिया को यह बताना चाहता है कि भारत उसके यहां अशान्ति फैलाने के लिए गुप्तचरों के जरिये फंडिंग करता है। इसी आरोप को अमलीजामा पहनाने के लिए जाधव को निशाना बनाने की कोशिश पाक की तरफ से हो रही है।

हालांकि दुनिया भारत की बात पर यकीन करती है, पकिस्तान पर नहीं। आतंकियों का लांचिंग पैड रहा पाकिस्तान आर्थिक कंगाली के दौर से गुजर रहा है और जेहादियों के बल पर भारत को पटकनी देने की कोशिश कर रहा है। जम्मू-कश्मीर की कथित आजादी को लेकर पाकिस्तान दशकों से अपनों के बीच नफरत की जहनीयत तैयार करता रहा है। इसी के ओट में उसके यहां आतंकियों की फैक्ट्री खुली और पूरी दुनिया के लिए एक्सपोर्टर बन गया। अब दिक्कत यह है कि आतंक वाद एक उद्योग के तौर पर फलता-फूलता आया है। जम्मू-कश्मीर में सेना की सतर्कता से उसकी दाल नहीं गल रही है। इन हालात में तैयार आतंकी खुद उसके लिए बड़ी मुसीबत बनेंगे, यह उसे पता है। यही वजह है कि उसका चिड़चिड़ापन पूरी दुनिया के सामने आ रहा है। वैसे भी उसके यहां धार्मिक अंधता का आलम यह है कि पाकिस्तान में सभी को एक खास सम्प्रदाय में तब्दील करने की बरसों से चल रही मुहिम पर अब तीखे सवाल उठने लगे हैं।

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