दूसरों के प्रति अच्छा सोचें

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एक बार की बात है कि राजा अकबर और बीरबल में इस बात को लेकर बहस छिड़ गई कि यदि एक आदमी दूसरे आदमी के प्रति अच्छा सोचता है तो दूसरे आदमी के मन में भी सामने वाले के प्रति अच्छे विचार आते हैं। यदि कोई आदमी सामने वाले आदमी के प्रति अपनी छिन्न सोच रखता है तो यह कुदरत का ही कानून है कि उस व्यक्ति के मन में भी सामने वाले व्यक्ति के मन में उसके प्रति बुरे विचार आ जाते हैं। यह अटूट सतत्य है। परंतु इस बात को राजा अकबर मानने के लिये तैयार नहीं हुए। एक दिन बीरबल ने यह सोचने के लिये कि एक व्यक्ति के मन में सामने वाले के मन में क्या विचार उत्पन्न होते हैं इसका उदाहरण दिखाने के लिये दोनों प्रातः साढे़ चार बजे अपने राज्य में भ्रमण के लिये चल दिये।

राजा अकबर और बीरबल ने भेस बदल रखा था। बीरबल ने अपनी दाढ़ी काफी बड़ी कर ली और भेस बदलकर राजा के साथ चल दिये। अकबल और बीरबल जैसे ही किसी गांव के बाहर पहुंचे तो उन्हें रास्ते में एक किसान मिला। बीरबल बोला इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। बीरबल उस किसान से बोला जिसके कंधे पर हल रखा हुआ था और चला आ रहा था। बीरबल ने उससे कहा कि भाई साहब एक बात सुनेंगे क्या। किसान बोला हां जरूर सुनूंगा। बोलो क्या बात है। बीरबल बोला, वो सामने वाला एक आदमी आपकी ओर चला आ रहा है उसके प्रति आपके मन में क्या भाव उत्पन्न हो रहे हैं। किसान बोला मेरा जी करता है इसकी दाढ़ी उखाड़ दूं। अब बीरबल बोला आप थोड़ा यहीं रूक जाईये। मैं उस सामने वाले व्यक्ति से आपके बारे में पूछकर आता हूं कि उसके मन में आपके प्रति क्या भाव उत्पन्न हो रहे हैं।

बीरबल राजा अकबर के पास गया और बोला राजा साहब वह जो सामने वाला आदमी कंधे पर हल लिये आपकी तरफ आ रहा है उसके प्रति आपके मन में क्या भाव उत्पन्न हो रहे हैं। राजा बोले मेरा जी करता है कि इसको सूली पर चढ़ा दूं। अब दोनों व्यक्ति पास आ गये और बीरबल ने दोनों से आपस में विचार कहने के लिये। ठीक वैसा ही बोले जैसा उन्होंने बीरबल से बोला था। इसीलिये अच्छे एवं सांस्कारिक एवं सभ्य पारिवारिक व्यक्ति की पहचान उसके अच्छे आचार-विचारों से होती है। व्यक्ति धनाढ़य परिवार में जन्म लेने से महान नहीं बनता बल्कि अपने विचारों से ही महान बनता है और कहां से मिलेंगी यह सब आपके स्वभाव आपके परिवार से ही मिलेंगी।

कहानी का तात्पर्य यह है कि आप स्वयं अच्छे हो तो आपको सारा संसार अच्छा लगेगा और आप अच्छे नहीं हैं तो आपको सारा संसार ही बुरा लगेगा। हर व्यक्ति को अपने मन में दूसरों के प्रति अच्छे विचार लाने चाहिएं। क्योंकि इसी से पता चल जाता है कि आप किस प्रवृत्ति के हैं या आप कैसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं। क्योंकि आपका परिवार जुड़ा हुआ होता है। किसी भी व्यक्ति के कहने से नहीं अपितु उसके हावभाव से ही पता चल जाता है जो प्रकृति का नियम है उसे कोई आज तक झुठला नहीं सका है। आप भी नहीं झुठला सकेगें।

– सुदेश वर्मा

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