जावेद साहब, बोलिये भी अच्छा

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पूर्व राज्यसभा सदस्य और देश के प्रमुख पटकथा लेखक तथा गीतकार जावेद अख्तर ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह गरीबों, दलितों और आदिवासियों से मतदान का अधिकार छीनना चाह रही है। जावेद अख्तर यहीं नहीं रूके, एक भविष्यवक्ता की तरह उन्होंने संभावना जताई है कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले सरकार नागरिकता कानून और एनआरसी के बहाने सिर्फ उन्हीं लोगों के वोट कायम रखेगी जिनके वोट सत्तारुढ़ पार्टी को मिलने की उम्मीद है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार देश को हिंदू पाकिस्तान बनाने का प्रयास कर रही है। लोगों की आवाज दबाई जा रही है। वाह जावेद साहब वाह ! कमाल का लिखते और बोलते हैं आप ! यह जो कुछ आपने आरोप लगाये वह किसी फिल्म की पटकथा के संवाद होते तो कुछ और बात होती लेकेन संसद का सदस्य रह चुके जावेद साहब से भारत की सरकार पर इस तरह के आरोप की कोई उम्मीद नहीं थी। जावेद साहब आप तो कोई भी विधेयक पेश किये जाने और उस पर चर्चा होने के बाद उसके पारित होने तक की प्रक्रिया से भलीभांति अवगत हैं। आप छह साल तक संसद के ऊपरी सदन के सदस्य रहे, जरा अपने अनुभव से यह बता दीजिये क्या किसी भी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार संसद से किसी भी भारतीय के हितों पर कुठाराघात करने वाला कानून पारित कर सकती है ?

जरा अपने अनुभव से यह बता दीजिये जावेद साहब क्या भारत का संविधान किसी भी सरकार को नागरिकों के हितों को नुकसान पहुँचाने की इजाजत देता है ? जरा अपने अनुभव से यह बता दीजिये जावेद साहब क्या संविधान के संरक्षक राष्ट्रपति और उच्चतम न्यायालय के रहते कोई भी सरकार या प्रधानमंत्री या गृहमंत्री किसी भी नागरिक के हितों को नुकसान पहुँचा सकता है ? जावेद साहब इन सभी प्रश्नों का जवाब है नहीं। और जब जवाब नहीं है तो क्यों नहीं हम आप जैसे बुद्धिजीवी से यह अपेक्षा कर सकते हैं कि वह जाकर मुस्लिम समाज के लोगों को समझाये कि नागरिकता संशोधन कानून से भारत के मुस्लिमों या किसी भी नागरिक का कोई लेना-देना ही नहीं है। क्यों नहीं आप जैसे बुद्धिजीवी से हम यह अपेक्षा कर सकते हैं कि वह मुस्लिम समाज में भ्रम फैला रहे लोगों के प्रयासों को नेस्तनाबूद करे। यह दुर्भाग्यूपर्ण है कि हमारे देश के मुस्लिम समाज को उसके नेता ही तरह-तरह का खौफ दिखाकर पीछे धकलने में लगे रहते हैं। सरकार पर भारत को विभाजित करने की साजिश का आरोप लगाने वालों जरा खुद की गिरेबां में झांक कर देखिये कहीं आप देशविरोधी ताकतों क हाथों का खिलौना तो नहीं बन रहे। सरकार बार-बार यह स्पष्ट कर चुकी है कि नागरिकता संशोधन कानून किसी भी भारतीय के खिलाफ नहीं है और एनआरसी पर सरकार के भीतर कोई भी चर्चा नहीं हुई है।

एनपीआर को खाली अपडेट करने का काम चल रहा है और इस काम को संप्रग सरकार ने शुरू किया था। ऐसे में हर नागरिक को चाहिए कि वह भारत विरोधी ताकतों के मंसूबों के कामयाब नहीं होने दे। लेकिन कुछ लोग हैं जो दिन-रात लोगों को भड़काने के अपने पुराने काम पर लगे हुए हैं। अब कुछ हिन्दी फिल्मों में काम कर चुकी अभिनेत्री स्वरा भास्कर को ही लीजिये, आप सरकारी नीतियों को कोसिये, सरकार के किसी फैसले में यदि कुछ जनविरोधी है तो उसे सामने ले आइये लेकिन जिस फैसले में कुछ जनविरोधी है ही नहीं, उसके खिलाफ दुष्प्रचार क्यों करना ? दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों को स्वरा भास्कर ने सरकार के खिलाफ भड़काने का काम किया है। बुधवार को स्वरा भास्कर ने नागरिकता संशोधन कानून की आलोचना करते हुए दावा किया कि यह ‘खास मकसद से लाया गया’ कानून है। स्वरा भास्कर यहीं नहीं रूकी, उन्होंने कहा कि जो लोग इस नए कानून का समर्थन करते हैं, वे ‘देश के विरुद्ध’ हैं। स्वरा जी देश के अधिकांश लोग इस कानून का समर्थन करते हैं वह देश के विरुद्ध नहीं देश के विरुद्ध आप जैसे चंद लोग हैं। आप लोगों की इस प्रकार की हरकतें ही अरबन नक्सली और टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसे शब्दों को जन्म देती हैं।

नीजर कुमार दुबे
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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