कोरोना वायरस के घनघोर संकट के बीच में आर्थिक गतिविधियां शुरू कराने के लिए बेकरार सरकारों को ऐसा लग रहा है कि सद्बुद्धि आई है। पिछले दो-तीन दिन में केंद्र और राज्यों की सरकारों ने ऐसे फैसले किए हैं, जिनसे लग रहा है कि सरकारों को खतरे का अहसास हुआ है और यह भी समझ में आया है कि अभी हर तरह की आर्थिक गतिविधियां शुरू कराना उचित नहीं होगा। तभी पहले से किए गए फैसलों को पलटा गया।
इसमें सबसे अहम ई-कॉमर्स कंपनियों को हर तरह के सामान बेचने की छूट देने का फैसला था। सरकार ने तय कर लिया था कि 20 अप्रैल से ई-कॉमर्स पूरी तरह से खोल दिया जाएगा। इस फैसले के बाद ई-कॉमर्स की कंपनियों फ्लिपकार्ट, अमजेन आदि ने हर तरह के सामान की बुकिंग भी शुरू कर दी थी। फोन, फ्रिज, सिलेसिलाए कपड़े आदि की भी बुकिंग होने लगी थी। पर यह शुरू होने से एक दिन पहले 19 अप्रैल को सरकार को सद्बुद्धि आई और उसने आदेश जारी किया कि गैर जरूरी सामानों की बिक्री ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से नहीं होगी, सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति ही हो सकती है।
सरकार के इस फैसले के दो आधार दिख रहे हैं। पहला तो यह है कि कोरोना वायरस से लड़ने की रणनीति बनाने में सरकार की मदद कर रहे विशेषज्ञों ने बताया हो कि अगर गैर जरूरी सामानों की आपूर्ति शुरू हुई तो फिर पीछे लंबी चेन चालू होगी। फिर गैर जरूरी सामानों का उत्पादन भी शुरू होगा, उनकी ढुलाई भी होगी और फिर उनकी आपूर्ति में बड़ा मैनपावर लगेगा। जबकि हाल ही में एक पिज्जा डिलीवरी करने वाले लड़के की वजह से दिल्ली में 72 परिवारों को क्वरैंटाइन में भेजना पड़ा है। इस वजह से सरकार पीछे हटी हो सकती है। दूसरा कारण कारोबारी है, जिसका खास तौर से वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वे खुदरा कारोबारियों को बराबरी का मैदान उपलब्ध कराएंगी। गौरतलब है कि खुदरा दुकानें बंद होने और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से हर सामान की डिलीवरी की मंजूरी देने से खुदरा कारोबारियों का बचा खुचा कारोबार भी ऑनलाइन बिक्री करने वाली कंपनियों को मिला जाता। इसलिए कारोबारियों के कई संगठनों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया था। इस वजह से भी सरकार ने फैसले पर यू-टर्न करने का फैसला किया हो सकता है। बहरहाल, कारण कोई भी हो पर फैसला सही किया गया है।
इसी तरह का एक फैसला दिल्ली सरकार ने अपने यहां आर्थिक गतिविधियों के बारे में किया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दो टूक अंदाज में कह दिया कि दिल्ली में पहले की तरह लॉकडाउन रहेगा और किसी नई गतिविधि को मंजूरी नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में अभी कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। जाहिर है, जब राज्य में संक्रमितों की संख्या नियंत्रित नहीं हो रही है तो ऐसे में लॉकडाउन में ढील देना आत्मघाती हो सकता है। सो, उन्होंने इसे एक हफ्ते और टाल दिया। दिल्ली जैसी सघन आबादी वाले राज्य में इसका और भी टला रहना ही ठीक है। ध्यान रहे कोविड-19 संक्रमितों की संख्या के मामले में दिल्ली दो हजार से ज्यादा मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस दिन लॉकडाउन तीन मई तक बढ़ाने का ऐलान किया उसी दिन से विमानन कंपनियों ने बुकिंग शुरू कर दी। उन्होंने लॉकडाउन खत्म होने की तिथि से अगली तारीख यानी चार मई और उससे आगे की बुकिंग शुरू कर दी। निजी विमानन कंपनियों ने तो लॉकडाउन के पहले चरण में भी इस तरह की बुकिंग की थी पर इस बार सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया ने भी बुकिंग करनी शुरू कर दी। इससे यह संकेत मिलने लगा कि तीन मई के बाद लॉकडाउन नहीं बढ़ेगा। एयर इंडिया के बुकिंग शुरू करने के बाद लोग निजी कंपनियों में भी बुकिंग कराने लगे, जबकि पहले चरण की बुकिंग रद्द होने के बाद उनका पैसा मिलने में भी दिक्कत हो रही थी। केंद्र सरकार ने निर्देश देकर लोगों के पैसे वापस कराने की व्यवस्था बनवाई है। तभी नागरिक विमानन मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिया कि बुकिंग नहीं की जाए। इससे भी कंफ्यूजन दूर हुई है
सुशांत कुमार