विश्व बिरादरी में हमारी किरकिरी

0
334

कश्मीर मसले पर इमरान खान अवाम की मदद मांग रहे हैं। वो कहते हैं-आप घर, ऑफिस या फिर जहां कहीं भी हों। हर शुक्रवार को आधे घंटे के लिए सडक़ों पर उतरें। इससे हर हफ्ते जनता का आधा घंटा ही खराब होगा। पीएम खुद को कश्मीर का एम्बेसेडर बता रहे हैं। कहते हैं कि वो हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसे उठाएंगे। लेकिन ये बयानबाजी से ज्यादा कुछ नहीं है। यह नई बात या पहल भी नहीं है क्योंकि इसमें नीति का अभाव है और गंभीरता नदारद है। उम्मीद थी कि सरकार कूटनीतिक और राजनीतिक मंचों पर तैयारी से मुद्दा उठाएगी। उसके पास विकल्प भी तो नहीं हैं। हम दुनिया को यह बताने में भी नाकाम रहे कि यह मसला परमाणु युद्ध की तरफ भी जा सकता है। कश्मीर मसले पर सबसे बड़ी हैरानी दुनिया की चुप्पी है। आठ करोड़ लोगों की आवाज उठाने के लिए कोई तैयार नहीं है।

हम मुस्लिम दुनिया का दम भरते हैं लेकिन कोई भी इस्लामिक देश हमारे साथ नहीं आया। मोदी की निंदा छोडि़ए, यूएई ने तो इसी दौरान अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान कर दिया। रोचक यह कि ईरान ने कश्मीर पर बयान जारी किया। भारत दुनिया में आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर है। यही वजह है कि खाड़ी देशों में उसका प्रभाव बहुत ज्यादा है। एक वक्त जो अरब देश पाकिस्तान के समर्थक थे, वो चुप हैं। बयान तक जारी नहीं करना चाहते। ओआईसी ने सिर्फ रस्म अदायगी के लिए बयान जारी किया। इस बात से खुश हो सकते हैं कि यूएन ने 50 साल बाद ही सही, एक मीटिंग की। दरअसल, दुनिया भारत पर दबाव नहीं डाल सकती और न इसके संकेत है। फोन पर विदेशी नेताओं से बात कर लेना कोई मायने नहीं रखता।

विदेश नीति बेहद गंभीर विषय है। इसमें पाकिस्तान की जहालत साफ नजर आती है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पैरोडी कर रहे हैं। टीवी पर नजर आ रहे हैं, हर मिनट ट्वीट कर रहे हैं। गंभीर मुद्दे को उन्होंने मजाक बना रखा है। मोदी-डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात के बाद कुरैशी ने झूठा बयान दिया। कहा- अमेरिका ने फिर मध्यस्थता की पेशकश की है। जबकि, वहां मोदी ने दो टूक कह दिया था कि इसमें किसी तीसरे देश को कष्ट देने की जरूरत नहीं है। इस मुद्दे पर अमेरिका से हमें सतर्ख रहने की जरूरत है। एक-दो बयान आने का मतलब ये नहीं है कि वो हमारे साथ है। बाकी देश भी यही कर रहे हैं। चीन ने जरूर साथ दिया है। सच्चाई ये है कि पाकिस्तान के पास विकल्प बहुत सीमित हैं। देश में अस्थिरता है। यह कूटनीतिक दिक्कतों को बढ़ाएगी।

जाहिद हुसैन
लेखक पाकिस्तानी पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here