राज्यसभा को लेकर होना चाहिए विचार

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राज्यसभा के 250वें सत्र में सदन की महत्ता, उपयोगिता और कार्यों को लेकर आत्मावलोकन किया गया। राज्ससभा के सभापति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं ने सत्र को संबोधन करते हुए सदन की प्रासंगिकता और उपयोगिता पर विचार रखे। प्रधानमंत्री ने संघीय ढांचे और विविधताओं के बावजूद राज्यसभा में राष्ट्रीय दृष्टिकोण की महत्ता को आवश्यक बताया। राज्यसभा की महत्ता का वर्णन करते हुए प्रधानमंत्री ने सदन की भूमिका को उल्लेखनीय बताया।

राज्यसभा में राज्यों का प्रतिनिधित्व होने के कारण राज्यों की उपेक्षा न हो यह जिम्मेदारी भी सदन की होती है। इसी कारण राज्यसभा में ऐसे व्यक्तियों को सदस्य बनाने की परम्परा रही है जो किन्हीं कारणों से लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाते हैं। राष्ट्रहित में व्यक्ति की योग्यता, दृष्टिकोण और सुझाव देने की उपयोगिता के आधार पर राज्यसभा का सदस्य बनाने की परम्परा रही है। लोकसभा का चुनाव न जीतने वाले तमाम नेताओं ने राज्यसभा का सदस्य बनने और मंत्री रहते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संविधान निर्माताओं ने जिस उदेश्य से राज्यसभा में सदस्यों की योग्यता और उपयोगिता का महत्व समझते हुए यह व्यवस्था बनाई, उसे कुछ कारणों से ठेस पहुंची है। इसकी तरफ भी राज्यसभा के सभापति ने मंथन करने की आवश्यकता बताई।

लोकसभा चुनाव हारने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राज्यसभा की गरिमा बढ़ाई। कांग्रेस के नेता मनमोहन सिंह तो राज्यसभा के सदस्य रहते हुए 10 साल प्रधानमंत्री रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली लंबे समय तक राज्यसभा के सदस्य रहे। वेंकैयाजी लंबे समय तक सदन का सदस्य रहते हुए सभापति बने। अन्य राज्यों के कई नेताओं ने राज्यसभा का सदस्य रहते हुए लोकतंत्र को परिपक्व बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। साथ ही राज्यसभा के कुछ सदस्यों के आचरण के कारण सदस्यों की भूमिका पर मंथन करने की जरूरत बताई गई।

धन के बल पर राज्यसभा में पहुंचे कुछ सदस्यों ने अपना स्टेटस तो बढ़ाया पर उनकी कोई उपयोगिता न होने के कारण कई प्रश्न भी खड़े किए। मीडिया में और राजनीतिक क्षेत्र में कई बार चर्चा हुई कि केवल धन के बल पर पहुंचने वाले सदस्यों ने अपने निजी हितों को बढ़ाया दिया। राजनीति के सहारा लेते हुए अपने व्यापारिक हितों को लाभ पहुंचाया। इस कारण सदस्यों की उपयोगिता पर सवाल उठे। ऐसे सदस्यों की कम उपस्थिति के कारण सदन का कामकाज भी प्रभावित हुआ।

देश ने यह भी देखा कि केवल राजनीतिक कारणों से राष्ट्रहित में आने वाले कई विषयों को राज्यसभा में पारित नहीं किया गया। यह सही है कि लोकसभा में बहुमत पाकर सरकार बनाने वाले दलों की मनमानी पर राज्यसभा अंकुश लगाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और बीजू जनता दल के सदस्यों के सदन में वेल में न आने की प्रशंसा की। उनके मर्यादित आचरण की प्रशंसा की गई। हमने यह भी देखा कि कुछ दलों ने राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे सदस्यों को सदन में भेजा, जिन्हें अपने निजी हितों में लाभ उठाने के लिए जेल की सजा भुगतनी पड़ रही है। आज पश्चिम बंगाल इस मामले में सबसे बड़ा उदाहरण है। शारदा चिटफंड घोटाले में फंसे सदस्य जेल पहुंचे और कई सदस्य जांच में फंसे हुए हैं। कुछ व्यापारिक घरानों से राज्यसभा में पहुंचे सदस्य भी विभिन्न घोटालों के कारण विवादों में रहे। राज्यसभा में राज्यों में विधानसभा के अलावा विधान परिषद बनाने की जरूरत भी बताई।

राज्यसभा की बैठकों से नदारद रहने वाले सदस्यों के कारण कई बार विवाद भी हुए। राज्यसभा में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को उनकी उपयोगिता के आधार सदन का सदस्य मनोनीत किया जाता है। कुछ ऐसी हस्तियां पिछले कुछ वर्षों में सदस्य भी बने पर उनकी अनुपस्थिति के कारण उनके योग्यता और अनुभव का लाभ देश को नहीं मिल पाया। बेहतर होता कि अपने-अपने क्षेत्र में अपने अनुभव से ऐसे सदस्य सदन के माध्यम से कुछ योगदान देते।

सदन में सदस्यों की गैरहाजिरी के साथ ही प्रवर समितियों की बैठक में सदस्यों के हिस्सा न लेने के कारण सवाल उठते रहे हैं। सदन के सीमित समय के कारण विभिन्न विषयों पर गठित समितियों के सदस्य विचार करके निर्णय करते हैं। उनके निर्णयों के आधार पर सदन मेंविधेयक पारित किए जाते हैं। कई महत्वपूर्ण विषयों पर गठित प्रवर समितियों के सदस्यों की गैरहाजिरी के निर्णयों में देरी से देश का नुकसान होता है।

राज्यसभा के 250वें सत्र के अवसर भूमिका, प्रासंगिकता और उपयोगिता पर चर्चा के माध्यम से कमियों पर विचार करने की आवश्यकता बताई गई है। इस अवसर पर कमियों पर चर्चा करते हुए सदन के कामकाज को बेहतर बनाने की आवश्यकता बताई गई ताकि जिस उद्देश्य से सदन का निर्माण हुआ उसका लाभ देश को मिल सके। साथ ही राज्यों में विधान परिषदों के गठन के सुझाव के साथ ही मौजूदा विधान परिषदों की उपयोगिता और सदस्यों के आचरण पर मंथन की जरूरत देश महसूस कर रहा है।

कैलाश विजयवर्गीय
लेखक भाजपा से जुड़े हैं ये उनके निजी विचार हैं

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