राजा जैसा लगना भी चाहिए

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तोतराम ने बिना किसी भूमिका के, बड़ा गोलमोल-सा प्रश्न किया- कुछ ज्यादा नहीं हो गया? हमने पूछा – ज्यादा क्या? कैसे बताएं? पता तो चले कि तुम कर्नाटक के सिद्धांतवादी लोकतंत्र की बात कर रहे हो या मोदी जी के पांच ट्रिलियन डॉलर के जीडीपी की बात कर रहे हो?

बोला – मैं तो भाजपा के अतिवादी दृष्टिकोण की बात कर रहा हूं। क्या सत्रह वर्ष से लहातार जुने जाते रहे लोकप्रिय जनसेवक, लंधौरा और कुंज बहादुरपुर रियासत के राजा रामदयाल सिंह के पौत और स्वतंत्रता सेनानी राजा विजय सिंह गुज्जर के 53 वर्षीय बॉडी बिल्डर, बहादुर सुपुत्र, नारायण दत्त तिवारी, बहुगुणा और हरीश रावत के मंत्रीमंडल में मंत्री रहे, 2016 में लोकतंत्र की रक्षा के लिए आत्मा की आवाज पर भाजपा में शामिल हुए और कल तक मंत्री रहे कुंवर प्रताप सिंह चैम्पियन को जरा सी बात पर इस तरह निष्काषित करना क्या उचित है? हमने कहा- चिंता मत कर। जिस तरह बार-बार आत्मा एक शरीर से दूसरे में आती-जाती रहती है वैसे ही ये फिर किसी न किसी पार्टी में जाकर फिर सेवा करने लग जायेंगे। बोला -मेरा कहने का मतलब यह था कि क्या जुर्म इतना बड़ा है?

हमने कहा – तोताराम जुर्म कभी छोटा-बड़ा नहीं होता। छोटा-बड़ा होता है आदमी। आदमी छोटा है तो रोटी चुराने पर भी उम्र कैद की सजा हो सकती है। मदोी जी के नाम से पहले ‘माननीय’ और ‘श्री’ न लगाने पर बीएसफ के एक जवान का सात दिन का वेतन काट लिया गया। निमंत्रण -पत्र में राबर्ट वाड्रा के नाम की स्पेलिंग सहीन न होने पर क्लर्क को लेफ्ट-राईव करवा दिया गया। दिल्ली में ही महात्मा गांधी की हत्या करने वाले का महिमा मंडन हो रहै है। राजीव गांधी की हत्या पर उम्र कैद। हमने कहा- हमें तो व्यक्तिगत रूप से कोई ऐतराज नहीं है। वैसे ऐतराज तो तथाकथित शुचितावादियों को भी नहीं हैं लेकिन फिलहाल इमेज के लिए ऐसा करना पड़ रा है।

कभी लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा तो इन्हीं को माला पहनाकर फिर घर वापसी करना लेंगे। हम तो यह कह सकते हैं कि कोर्ट इन्हें कोई सजा नहीं दे सकता। शराब वैध है। टेस्ट करवा लो 99 फीसदी नेताओं और धार्मिधिकारियों के खून में अल्कोहल मिलेगा। बंदूक का लाइसेंस है, किसी का खून नहीं किया। क्षत्रिय हैं तो क्या लूडो खेलेंगे? क्या तवलारें लेकर सड़कों पर जुलूस निकालना कोई गांधी जी वाला ‘दांडी मार्च’ है? और नाच, सो मंदिरों से लेकर सरकारी उत्सवों में तक में कहा नहीं होता? और तमंचा डांस की प्ररेणा देने वाले फिल्म को सेंसर ने पास क्यों किया? बोला- मेरा भी यही मानना है और फिर देखा नहीं, कैसा बढ़िया नृत्य कर रहे है? कितने स्वस्थ और प्रसन्न लग रहे है? कुठावहीन, सहज, सरल और मासूम। हमने कहा – और फिर राजा को राजा जैसा लगना भी चाहिए। सिंह इज सिंह।

रमेश जोशी
लेखक वरिष्ठ व्यंगकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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