पुलिस में कई देवेन्द्र सिंह

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हमें यह सोचने की ज्यादा जरूरत नहीं है कि जम्मू-कश्मीर के डीएसपी देवेन्द्र सिंह की गिरफ्तारी पर कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बेतुका बयान क्यों दिया कि देविंदर सिंह यदि देविंदर खान होता तो आरएसएस के समर्थकों की प्रतिक्रिया कहीं ज्यादा तीखी होती! लोकसभा में उन की अब तक की कारगुजारी यह साबित करती है कि वह हर बात को हिन्दू -मुस्लिम करके और प्रधानमंत्री पर मर्यादाहीन टिप्पणियाँ कर के कांग्रेस की ही छवि खराब कर रहे हैं । इसलिए अधीर रंजन चौधरी अगर कोई समझदारी वाला बयान देते तो सोचना पड़ता कि यह कैसे हुआ?समझदारी होती कि अगर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलामनबी आज़ाद यह सवाल उठाते कि पिछले 18 साल से देवेन्द्र सिंह को कौन राजनीतिक संरक्षण दे रहा था? हिजबुल के 2 आतंकियों के साथ गिरफ्तार हुए डीएसपी (निलम्बित) देवेंदर सिंह को किसी न किसी का तो राजनीतिक आश्रय जरुर था।

नहीं तो दिसम्बर 2001 में संसद पर आतंकी हमले के बाद ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाता। तब केंद्र में वाजपेयी सरकार थी और जम्मू कश्मीर में फारूख अदुला मुख्यमंत्री थे। फारूख का बेटा उमर अदुल्ला केंद्र की वाजपेयी सरकार में मंत्री था। तब एनआईए की स्थापना नहीं हुई थी , अन्यथा देवेन्द्र सिंह संसद पर हमले के बाद बच नहीं पाता। संसद पर हुए हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरु ने अपने वकील को लिखी एक चिठ्ठी में कहा था कि जम्मू कश्मीर के पुलिस ऑफिसर देवेंदर सिंह ने उसे टॉर्चर किया था और वह उसी के निर्देशों का पालन कर रहा था।उसी ने ही उन्हें बॉर्डर पार कराने में मदद की थी। अब अफजल गुरु की पत्नी के इस बयान से इस बात की पुष्टि भी होती है कि संसद पर हमले से एक साल पहले देवेंदर सिंह को एक लाख रुपए देने के लिए उसने सन 2000 में अपने गहने भी बेच दिए थे।

अब यह गंभीर सवाल खड़ा होता है कि 2001 में देवेन्द्र सिंह कैसे बच निकला और उस के बाद भी उस पर निगरानी क्यों नहीं रखी गई?इससे भी गंभीर सवाल यह पैदा होता है कि जम्मू कश्मीर पुलिस में और कितने ऐसे लोग हैं ,जो आतंकवादियों से मिले हुए हैं। अदुल्ला–महबूबा परिवारों का शिकंजा कमजोर किए बिना यह सम्भव ही न होता कि देवेन्द्र सिंह गिरफ्त में आता। जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित होने के बाद पुलिस और प्रशासन पर इन दो परिवारों और आतंकवादी संगठनों की पकड़ कमजोर हुई है तो नतीजे सामने आने लगे हैं। जहां एक तरफ दोनों राजनीतिक परिवार बर्फ में लगे हैं , वहीं हुरिर्यत कांफ्रेंस भी बर्फ में लगी है। अभी दर्जनों ऐसे और पुलिस कर्मी भी होंगे जिन पर शिकंजा कसा जाना जरूरी होगा। श्रीनगर के पॉश इंद्र नगर में देवेन्द्र सिंह के घर में तलाशी के दौरान एक रूस निर्मित एके -47, ग्रेनेड और भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया गया है।

अब पुलिस इसकी जांच कर रही है कि जम्मू कश्मीर पुलिस में सब इंस्पेटर के पद से नौकरी की शुरुआत करते हुए अब तक और कितनी बार देवेंदर सिंह ने आतंकियों की मदद की है? शायद अब जांच में यह बात भी निकले कि अफजल गुरु के आरोपों के बाद उस पर जांच क्यों नहीं बिठाई गई थी , उस समय क्या किसी ने देवेंदर सिंह की मदद की थी?अफजल गुरु ने अपने वकील को लिखे खत में यह भी कहा था कि देवेंदर सिंह ने ही उसे मोहम्मद नाम के शख्स से मिलवाया था , जिस ने उसे दिल्ली में किराए का घर दिलवाने में मदद की थी। 13 दिसंबर 2001 को हुए संसद में हमले के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए जिन पांच आतंकियों को पकड़ा था उसमें एक मोहम्मद भी था। आश्चर्य होता है कि मोहम्मद की गिरफ्तारी के बाद भी देवेन्द्र सिंह कैसे छूट गया था?

अजय सेतिया
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

 

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