मोदी जैसा प्रचार कोई नहीं कर सकता?

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विरोधी दल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर यह आरोप लगाते रहते हैं कि मोदी हमेशा चुनावी मोड़ में रहते हैं। आरोप लगाते-लगाते विरोधी यहां तक बोल जाते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने और प्रधानमंत्री बनने के बावजूद भी मोदी चुनाव प्रचार के मोड़ में ही रहते है। संसद हो या कोई सार्वजनिक कार्यक्रम मोदी हमेशा चुनावी सोच को ही ध्यान में रखते हुए अपनी सरकार की प्रशंसा करते हैं और विरोधी दलों पर तीखें हमले करते रहते हैं। देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई नेता विदेशी धरती पर पीएम मोदी नरेन्द्र मोदी द्वारा पूर्ववर्ती कांग्रेसी सरकार और उनके प्रधानमंत्रियों पर राजनीतिक हमला बोलने को लेकर पीएम की आलोचना कर चुके हैं।

राजनीतिक स्तर पर पीएम मोदी के भाषणों को लेकर चाहे जितनी आचोलना की जाए लेकिन यह बात तो बिल्कुल साफ है कि 10 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहने वाले मनमोहन सिंह के हाथ में सक्रिय तौर पर पार्टी की कमान नहीं थी। यानी कांग्रेस को चुनावों में जीत दिलाने की जिम्मेदारी सोनिया गांधी और बाद में राहुल गांधी पर आ गई। यही वजह थी कि मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के रूप में भले ही कितना भी काम करते दिखाई दिए हो लेक न एक नेता के तौर पर वह बहुत ज्यादा सक्रिय कभी नजर नहीं आए क्योंकि पार्टी की कमान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी सूरत में उनके हाथ में नहीं थी कांग्रेस के पहले की सरकारों में इस तरह के हालात नहीं थे। जवाहर लाल नेहरू हो या इंदिरा गांधी या फिर राजीव गांधी ये तीनों दिग्गज सरकार के साथ-साथ पार्टी के भी सर्वे-सर्वा थे। सरकार चलाना भी इनकी जिम्मेदारी थी और पार्टी का अध्यक्ष कोई भी रहा हो, पार्टी को जीत दिलाना भी इनकी प्राथमिक जिम्मेदारी थी। हालांक इन तीनों कांग्रेजी प्रधानमंत्रियों की सक्रियता बनाम वर्तमान प्रधानमंत्री की सक्रियता के तुलनात्मक अध्ययन को लेकर राजनीतिक विवाद पैदा हो सकता है लेकिन यहां कुछ बाते तो बिल्कुल साफ है।

2014 में राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में दिल्ली की राजनीति की शुरूआत करने वाले नरेन्द्र मोदी आज गुजरात के अपने पुराने सहयोगी अमित शाह की अध्यक्षता में चुनावी जीत हासिल करने के मिशन में लगे हुए हैं। राजनीतिक बयानबाजी को लेकर चाहे जितने साफ-साफ नजर आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने लोकसभा चुनावी अभियान को इतने बड़े स्तर तक पहुंचा दिया है कि भविष्य में तमाम राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बन गया है। अमित शाह को वैसे भी चुनावी राजनीति और बूथ प्रबंधन का मास्टर माजा जाता है। 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने कितने बड़े स्तर पर तैयारी की थी, इसका खुलासा खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों के साथ बातचीत में किया। इस प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद थे।

विधानसभाओं और लोकसभा में तीन हजार से ज्यादा विस्तारक पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में लगभग डेढ़ वर्षो से काम कर रहे थे। 899 संगठनात्मक जिलें, 11427 मंडल, 863661 बूथ तक बीजेपी के कार्यकर्ता लगे हुए थे, संगठन बना दिया था। चुनावी प्रचार अभियान के दौरान मोदी है तो मुमकिन है फिर एक बार मोदी सरकार, मैं भी चौकीदार जैसे 14 प्रमुख अभियान चलाए गए। मेरा बूथ सबसे मजबूत, मेरा परिवार भाजपा परिवार, कमल संदेश बाइक रैली, मकल ज्योति संकल्प जैसे अभियानों में बीजेपी ने लाखों-करोड़ो कार्यकर्ताओं और नेताओं का देशभर में आक्रामक अंदाज में उतार दिया था और इसकी योजना काफी पहले ही दिल्ली में बैठ कर तैयार कर ली गई थी, जिसकी तरफ पीएम मोदी ने इशारा भी किया। जरा इन आंकड़ो पर गौर कीजिए 2 करोड़ 38 लाख लोगों से संकल्प पत्र बनाने के लिए सुझाव लिए गए। देशभर में संपर्क हेतु 161 संवाद केन्द्र बनाए गए।

संतोष पाठक
लेखक पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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