हिन्दू धर्म में माघ मास स्नान, तप व उपवास के लिए श्रेष्ट माना गया है। इस बार माघ मास का प्रारंभ 22 जनवरी मंगलवार से हो रहा है, जो 12 फरवरी, मंगलवार तक रहेगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस महीने में यदि विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। माघ मास में विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से पहले सुबह तिल, जल, फूल, कुश लेकर इस प्रकार संकल्प लेना चाहिए – ऊं तत्सत् अद्द माघे मासि कृष्णपक्षे प्रतिपदा तिथिमारभ्य मकरस्त रविं यावत् अमुकगोत्र (अपना गोत्र बोलें) अमुकशर्मा (अपना पूरा नाम बोलें) वैकुण्ठनिवासपूर्वक श्रीविष्णुप्रीत्यर्थ प्रातः स्नानं करिष्ये।
इसके बाद ये प्रार्थना करें –
दुःखदारिद्रयनाशाय श्रीविष्मोस्तोषणाचय।
प्रातः स्नानं करोम्यद्द माघे पापविनाशनम।
मकरस्थे रवौ माघे गोविन्दाच्युत माधव ।
दिवाकर जगन्नथ प्रभाकर मनोस्तु ते।
परिपूर्ण कुरुष्वेदं माधस्नानं महाव्रतम।
माधमासमिमं पुण्यं स्नानम्यहं देव माधव।
तीर्थस्यास्य जले नित्यं प्रसीद भगवनहरे ।।
इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण का स्वच्छ पानी से अभिषेक करें। अबीर, गुलाल, चंदन, चावल आदि चढ़ाएं। गाय के शुद्ध घी का दीपक लगाएं। भगवान श्रीकृष्ण को घर में शुद्धतापूर्वक बने पकवानों का भोग लगाएं। उसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें इस तरह पूरे माघ मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से दुख दूर होता हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। माघ मास की ऐसी महिमा है कि इसमें जहां कहीं भी जल हो, वह गंगाजल के समान होता है, फिर भी प्रयाग, काशी नैमिषारण्य, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार तथा अन्य पवित्र नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है।।