दावों की नहीं, रोजगार की दरकार

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अभी देश में बेरोजगारी का मुद्दा सबसे अधिक चर्चा में है। 5 फरवरी को राज्यसभा में बताया गया कि पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के आंकड़ों के अनुसार देश में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी है। सरकार भी इसे लेकर चिंतित है। आम बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रोजगार का जिक्र सात बार और नौकरी का आठ बार किया। वैसे तो नए बजट में रोजगार के रास्ते दिखाए गए हैं, लेकिन कितने लोगों को रोजगार मिलेंगे, इसका कोई आंकड़ा प्रस्तुत नहीं किया गया है। वित्त मंत्री का दावा है कि नए बजट के माध्यम से देश में रोजगार की दशा और दिशा दोनों को सुधारने को प्राथमिकता दी गई है। वित्त मंत्री ने रोजगार के लिए किसी नई योजना और नई संभावित नौकरियों की संख्या के बारे में कोई ऐलान नहीं किया है, फिर भी रोजगार निर्माण के रास्ते तलाशे गए हैं।

कौशल विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और नई रोजगारमूलक शिक्षा नीति शीघ्र लाने की बात कही गई है। वित्त मंत्री ने रोजगार वृद्धि के लिए नए बजट के तहत बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर फोकस किया है। सौ लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से युवाओं को रोजगार मिलेगा। ऊर्जा, सड़क, रेल, परिवहन, सिंचाई, एयरपोर्ट तथा डिजिटल क्षेत्रों में निश्चित रूप से रोजगार के नए अवसर तेजी से बढऩे की संभावना है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में अस्पतालों की स्थापना से भी रोजगार पैदा करने की बात कही गई है। पीपीपी मोड में 5 नई स्मार्ट सिटीज बनाई जाएंगी। कहा गया है कि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी जल्द जारी होगी जिसका जोर रोजगार पैदा करने, कौशल विकसित करने और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को ज्यादा सक्षम बनाने पर रहेगा।

एमएसएमई की आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को बढ़ाने के लिए फैक्टरी रेगुलेशन ऐक्ट 2011 में संशोधन होगा और कर्ज में भी राहत दी जाएगी। इससे रोजगार बढ़ेंगे। एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए फुटवेयर और फर्नीचर जैसे आइटम्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई गई है। युवा उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिए इनवेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल की स्थापना उपयुक्त कदम है। यह लैंड बैंक इत्यादि से जुड़ी जानकारियां मुहैया कराएगा, साथ ही केंद्र और राज्य के स्तर पर क्लीयरेंस लेने में मदद करेगा। नए बजट में एक जिला, एक उत्पाद की नीति को लागू करके जिला स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए अतिरिक्त धन आवंटित किया गया है। मछली पालन में अधिक रोजगार के लिए भारी प्रोत्साहन दिए गए हैं।

साथ ही ऐसे नए कृषिगत उद्यमों को प्रोत्साहन दिया गया है, जिनसे ग्रामीण क्षेत्र का आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचा बदलेगा और कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों का विकास होगा। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि नए बजट के तहत देश में स्वरोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) को तेजी से आगे बढ़ाने का लक्ष्य है। सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत वर्ष 2015 से लेकर 2018 के बीच 4.25 करोड़ नए उद्यमियों को कर्ज बांटे गए और इन कर्जों ने कुल 11.2 करोड़ नए रोजगार पैदा किए। यह संख्या स्वरोजगार में लगे लोगों की 55 फीसदी है। ऐसे में नए बजट के तहत मुद्रा योजना को और अधिक विस्तारित करके रोजगार के अवसर बढ़ाए गए हैं। इसी तरह नए बजट में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत भी आवंटन बढ़ाया गया है। इस योजना के तहत वर्ष 2016 से 2020 के बीच करीब 73.47 लाख लोगों को प्रशिक्षण देकर रोजगार दिलाया गया।

नए बजट में शिक्षण-प्रशिक्षण संबंधी नई जरूरतों की पूर्ति हेतु आबंटन राशि बढ़ाई गई है। सरकार ने डिप्लोमा के लिए नए संस्थान तथा इंजीनियरिंग छात्रों के कौशल विकास पर ध्यान दिया है। शिक्षा क्षेत्र के लिए करीब 99,300 करोड़ उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और बाहरी वाणिज्यिक उधारी (ईसीवी) के जरिए शिक्षा के लिए फंडिंग का ऐलान किया है। साथ ही उच्च शिक्षा तक पहुंच न रखने वाले वंचित वर्गों के छात्रों के लिए डिग्री स्तर पर गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव किया है। निस्संदेह, नए बजट में वित्त मंत्री देश में मौजूद रोजगार चुनौतियों के बीच रोजगार अवसर बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील दिखाई दे रही हैं, लेकिन जिस तरह वैश्विक रिपोर्टों में आगामी दशक यानी वर्ष 2030 तक भारत की नई पीढ़ी के लिए देश और दुनिया में कौशल वाले नए अवसरों की संभावनाएं बताई जा रही है, उन तक पहुंच बनाने के लिए सरकार द्वारा नए रणनीतिक कदम उठाने जरूरी होंगे।

जयंतीलाल भंडारी
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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