तोताराम ने आते ही हालचाल पूछा और मिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ा दिया। हालांकि उसका यह अंदाद अभूतपूर्व था, लेकिन क्या करते? सामान्य रूप से हाथ मिलाया और कहा- हालचाल ठीक – ठाक ही हैं। तोताराम ने कहा- रोता जाए और मरे की खबर लाए। अरे, क्या मनमोहन जी की तरह अतिरिक्त शालीनता से हाथ मिला रहा है। न सही 56 इंच का सीना लेकिन हाथ तो ट्रंप और मोदीजी की तरह झटके से, ठसके से मिलाया कर कि मिलाते ही करंट-सा दौड़ जाए। हमने क हा- ट्रंप प्रॉपर्टी डीलर हैं ऊपर से रंगीले स्वभाव के और उम्र में भी हमसे छह साल छोटे। रही मोदीजी की बात सो वे हर क्षण उत्साह से लबरेज़, विकास और नव निर्माण संकल्प से भरे हुए, अखंड ब्रह्मचारी, योगी और राष्ट्र को समर्पित।
इन लोगों की ऊर्जा का क्या ठिकाना ? बोला- तेरी तरह ज्यादा गणित लगाना ठीक नहीं। मनमोहन सिंहजी ने काम तो बहुत किया लेकिन बने ऐसे रहे जैसे किसी से कर्जा ले रखा हो। अपने उत्साह के बल पर सबसे धनवान लोक तंत्र के ट्रंप और सबसे बड़े लोक तंत्र के मोदीजी का क्या बढिय़ा समीकरण बैठा है। दुनिया दीवानी हो रही है। तेरे जैसों की औकात ही क्या है। बड़े-बड़े फन्ने खां पत्रकारों को बाहर का दरवाजा दिखा देते हैं। अमरीका के विदेश मंत्री पोह्यिपओ का कमेन्ट पढ़ा कि नहीं? हमने कहा- किस-किस को पढ़ें, अब तू ही बता दे। बोला – उन्होंने कहा है कि दोनों नेता रिस्क लेने से नहीं डरते। मतलब कि दोनो ‘रिस्किया नेता’ है जैसे इश्क में इश्किया, जूते में जूताया। अब आगे पाठकों पर निर्भर है कि वे इसमें और कौन-कौन से काफिये जोड़ते हैं।
उन्होंने कहा कि इस दोनों देशों को अपने वैसे ही देखना और दिखाना चाहिए जैसे वे हैं, मतलब हर समय अपनी सिक्स पैक बॉडी दिखाते रहना चाहिए। चाहे वह घर में घुसकर मारना हो या कोरिया के लिए अणुबम का बड़ा बटन दबाने की धमकी हो। और बड़ा सोचना चाहिए जैसे नोटबंदी या मेक्सिको क सीमा पर दीवार बनाना। हमने कहा – ये सब जुआरियों और शराबियों के लक्षण हैं। जुआरी और शराबी पति के घर में घुसते ही पत्नी और बच्चे सहम जाते हैं और हिम्मत करके कुछ पूछ भी लें तो जवाब ऊटपटांग मिले।
रमेश जोशी
लेखक वरिष्ठ व्यंगकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं…