जीत भारत की-चर्चा पाकिस्तान में

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पाकिस्तान की हॉकी टीम का एक स्वर्णिम इतिहास रहा है लेकिन आज आलम यह है कि पाकिस्तान की टीम न तो टोयो और न ही 2016 रियो ओलंपिक के लिए वालिफ़ाई कर सकी। इतना ही नहीं पाकिस्तान 2014 के वल्र्ड कप में भी वालिफाई नहीं कर सका था। तो 2018 वल्र्ड कप में उसे 12वां स्थान मिला था। गुरुवार को जब भारतीय हॉकी टीम ने टोयो में कांस्य पदक हासिल किया तो पाकिस्तान से भी कई बधाई संदेश आए लेकिन साथ ही वहां के लोगों ने अपनी टीम की दुर्दशा को लेकर मलाल भी जताया। कांस्य पदक के लिए खेल रही भारतीय टीम मैच में एक वत दो गोल से पिछड़ रही थी। उसके बाद भारत ने वापसी की और मैच 5-4 से जीत लिया। पाकिस्तान के दिग्गज हॉकी खिलाड़ी हसन सरदार ने जर्मनी के खिलाफ मैच में पिछडऩे के बाद भारतीय टीम की वापसी की सराहना की। उन्होंने कहा, वे दबाव में नहीं झुके, वे कांस्य पदक हासिल करना चाहते थे और यह इस उपमहाद्वीप में हॉकी के लिए अच्छे संकेत हैं। सरदार बीते वर्ष तक पाकिस्तान की राष्ट्रीय टीम के कोच थे।

पूर्व ओलंपियन वसीम फिरोज़ ने कहा कि उपमहाद्वीप की एक टीम को इतने लंबे अरसे के बाद जीतते हुए देख कर अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा, अच्छी बात यह है कि भारत यूरोपिय और एशियन स्टाइल को मिस कर रहा है ताकि परिणाम अच्छे आएं। जर्मनी के खिलाफ उन्होंने बहुत तेज़ खेल दिखाया। वे काफी आक्रामक रहे और उनके पास एक अच्छी फॉरवर्ड लाइन भी है। पूर्व ओलंपिक खिलाड़ी और पाकिस्तान हॉकी फेडरेशन के वर्तमान सचिव आसिफ बाजवा ने कहा कि भारत के कांस्य पदक जीतने से उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई है योंकि वो रैंकिंग के टॉप फ़ाइव में शामिल हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा, उनके पास बेहतरीन सुविधाएं और कोच हैं लेकिन लंबे अरसे के बाद उन्होंने ओलंपिक में अच्छा किया जो कि एशिया में इस खेल के लिए एक अच्छा प्रोत्साहन है। यहां बता दें कि इस वत जहां भारतीय हॉकी टीम की विश्व रैंकिंग तीन है तो वहीं पाकिस्तान 18वें पादयान पर है। बाजवा ने यह भी उमीद जताई कि भारत किसी तटस्थ आयोजन स्थल पर द्विपक्षीय सिरीज़ के पाकिस्तान हॉकी के प्रस्ताव पर कार्रवाई करेगा जो बीते कई वर्षों से आयोजित नहीं की गई है।

हॉकी दिग्गजों के अलावा पाकिस्तान की आवाम ने भी भारतीय टीम को बधाई दी है। पाक का सफर: जहां भारत ने ओलंपिक में अब तक आठ स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक समेत 10 मेडल जीते हैं। वहीं ओलंपिक में पाकिस्तान हॉकी ने अपना सफऱ मेलबर्न 1956 में रजत पदक जीतने के साथ शुरू किया था। इसके चार साल बाद उसने भारतीय टीम की लगातार छह जीत पर ब्रेक लगाते हुए रोम ओलंपिक का स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। अगले तीन ओलंपिक खेलों में उसे एक स्वर्ण और दो रजत पदक मिले। फिर 1976 में उसे कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। 1984 में पाकिस्तान ने आखिरी बार ओलंपिक हॉकी में स्वर्ण पदक हासिल किया। 1988 का सियोल ओलंपिक ऐसा पहला मौका था जब पाकिस्तान शीर्ष तीन टीमों में नहीं आ सका। और चार साल बाद यानी 1992 का बार्सिलोना ओलंपिक आज की तारीख़ में पाकिस्तान का वो आखिरी ओलंपिक है जब उसने हॉकी में मेडल हासिल किए थे। तब पाकिस्तान को कांस्य पदक मिला था।

पाकिस्तान में हॉकी की दुर्दशा: जहां एक ओर पाकिस्तान से भारतीय टीम के लिए बधाइयां आ रही हैं वहीं वहां के लोग अपनी टीम के ओलंपिक में वालिफ़ाइ नहीं कर पाने पर दुख भी जता रहे हैं। तो दिग्गज ये बता रहे हैं कि आखिर पाकिस्तान को अपनी हॉकी में सुधार के लिए या करना चाहिए? पाकिस्तान के वरिष्ठ खेल पत्रकार अब्दुल गफ्फ़़ार ने भारतीय टीम की जीत पर लिखा, 50, 60 और 70 के दशक में भारत और पाकिस्तान हॉकी के बादशाह थे। भारत ने 41 साल बाद ओलंपिक मेडल जीत कर उस सूखे को आज ख़त्म किया है। भारत की जीत से पाकिस्तान हॉकी को सबक लेनी चाहिए। सबसे पहले पाकिस्तान हॉकी में और पैसा निवेश करें और विदेशी कोच लाएं।

सरकार भी पिछले मुद्दों की वजह से पाकिस्तान हॉकी को अधिक पैसे मुहैया कराने को लेकर अनिच्छुक है। एक अन्य पूर्व ओलंपिक खिलाड़ी राणा मुजाहिद कहते हैं कि भारत के साथ पाकिस्तान हॉकी की तुलना नहीं की जा सकती। वे कहते हैं, आप तुलना कैसे कर सकते हैं? मुझे याद है जब मैं सचिव था तो किसी खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए हमें बड़ी मुश्किल से सरकार और निजी प्रायोजकों से पैसे मिल पाते थे। लेकिन भारतीय हॉकी के लिए पैसे और बड़े टूर्नामेंट में खेलने को लेकर कोई कमी नहीं है। सिंध से नवीद आलम ट्विटर पर लिखते हैं, 1948 से 10 ओलंपिक मेडल और इनमें 8 अकेले हॉकी में मिले हैं! और अब हमारी हॉकी टीम ओलंपिक के लिए वालिफ़ाई भी नहीं करती है। कई पदकें जीतना ताना नहीं हैं! वास्तव में यह खेलों के लिए कुछ करने का अहसास है।

अभिजीत श्रीवास्तव
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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