एक तीर से दो शिकार

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महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट की संपत्ति हैं। उनका कब और कैसे इस्तेमाल करना है ये सौरव गांगुली की अध्यक्षता वाली बीसीसीआई ने दिखा दिया है। बोर्ड ने पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को अगले महीने से शुरू हो रहे आईसीसी टी20 वल्र्ड कप के लिए टीम इंडिया का मेंटोर नियुत किया है। कहा जा सकता है कि बीसीसीआई के कप्तान सौरभ गांगुली ने इस फैसले से एक तीर से दो शिकार कर लिए हैं। कोहली भी अब अंकुश में रहेंगे और खुद को सबसे बड़ी तीरंदाज नहीं मानेंगे वहीं कोच रवि शास्त्री भी अंकुश में रहेंगे। गांगुली और शास्त्री की पुरानी अदावत जग जाहिर है। सब जानते हैं कि आईसीसी टूर्नामेंट में धोनी की सफलता ने ही उन्हें ये बड़ी जिम्मेदारी दिलाई है। धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने 2007 का टी20 वल्र्ड कप, 2011 वल्र्ड कप और 2013 आईसीसी चैम्पियन्स ट्रॉफी पर कब्जा किया था। धोनी की कप्तानी में ही टीम इंडिया ने आखिरी बार आईसीसी की ट्रॉफी अपने नाम की थी।

8 साल पहले इंग्लैंड में आयोजित हुई चैम्पियन्स ट्रॉफी के फाइनल में टीम इंडिया इंग्लैंड को मात देकर चैम्पियन बनी थी। इसके बाद टीम इंडिया के पास आईसीसी इवेंट में इतिहास रचने के कई मौके आए, लेकिन वो चूक गई। धोनी को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है तो इसके पीछे एक बड़ी वजह आईसीसी टूर्नामेंट में कप्तान विराट कोहली की नाकामी भी रही है। कोहली टेस्ट क्रिकेट में भारत ही नहीं दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक बनते जा रहे हैं। उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने 38 टेस्ट मैच जीते हैं और सबसे सफल कप्तानों के मामले में वह चौथे स्थान पर हैं। लेकिन बात जब सीमित ओवरों की कप्तानी की आती है तो यहां पर कोहली मात खा जाते हैं। कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने एक बार भी आईसीसी के किसी टूर्नामेंट पर कब्जा नहीं किया है। उसके पास जून में आयोजित हुई वल्र्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल जीतने का मौका था, लेकिन एक बार फिर बड़े मुकाबले में विराट ब्रिगेड ने निराश किया। सारे परिणाम बताते हैं कि कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया बड़े टूर्नामेंट के दबाव को नहीं झेल पाती है।

यही नहीं इंडियन प्रीमियर लीग में भी कोहली कप्तान के तौर पर नाकाम रहे हैं। उनकी कप्तानी में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु आईपीएल का एक भी खिताब नहीं जीत पाई है। वहीं धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स आईपीएल की सबसे सफल टीमों में से एक है। उनके नेतृत्व में सीएसके तीन बार आईपीएल की चैम्पियन बन चुकी है। वनडे और टी20 फॉर्मेट में कप्तान के तौर पर कोहली की नाकामी ने ही धोनी को मेंटर बनाने पर मजबूर किया। धोनी के सहारे कोहली के पास आईसीसी टी20 वल्र्ड कप जीतने का बेहतरीन मौका है। कोहली अगर इस बार चूक जाते हैं तो इसके बाद टी20 और वनडे फॉर्मेट में शायद ही वह कप्तानी करते दिखें, योंकि दो साल बाद वनडे वल्र्ड कप भी होना और बीसीसीआई उससे पहले नए कप्तान का चयन कर उसे दो साल का समय देना चाहेगी।

धोनी को मेंटर बनाकर कोहली को भी इस बात का एहसास करा दिया गया है कि अब टीम के सुपर बास धोनी ही होंगे। टी 20 विश्वकप की असफलता पर कप्तानी छिनना तय है। जहां तक रवि शास्त्री का सवाल है तो बीसीसीआई उनसे तबसे ही खफा है जबसे गांगुली मुखिया बने हैं। गांगुली व शास्त्री में अदावत 1997 से है। शास्त्री के होते हुए भी भारत कोई प्रतियोगिता नहीं जीत पाया लिहाजा गांगुली कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। धोनी को इसी वजह से बैठाया गया है कि वो अपने अनुभव से तस्वीर बदल सकें। धोनी के नाम पर देश में किसी को एतराज नहीं हो सकता। अगर विश्व कप भारत जीत जाता है तो भी शास्त्री का जाना तय है और हार गया तब तो कोई गुंजाइश ही नहीं बचेगी।

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