इसमें ‘भंयकर’, ‘भयंकर’ जैसा क्या है?

0
315

कांग्रेस के चुनाव घोषणा-पत्र पर आज मैं अपनी प्रतिक्रिया देना चाहता था लेकिन हमारे उपग्रहभेदी प्रक्षेपास्त्र पर अमेरिका ने एक नई बहस छेड़ दी है। यह बहस कुछ ऐसी ही है, जैसे हमारी फौज के बालाकोट हमले पर चल पड़ी थी। अमेरिकी अंतरिक्ष प्रशासन संस्था (नासा) के मुखिया जिम ब्राइडन्सटाइन ने एक बयान में भारत द्वारा छोड़े गए उपग्रहभेदी प्रक्षेपास्त्र को ‘भयंकर, भयंकर’ कहा है। उनकी भाषा बिल्कुल वैसी ही है, जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की होती है।

उन्होंने कहा है कि भारत के इस प्रयोग से अंतरिक्ष में स्थापित अमेरिकी अंतरिक्ष स्टेशन के लिए भयंकर खतरा पैदा हो गया है। यदि भारतीय प्रक्षेपास्त्र का मलबा उस स्टेशन से जाकर टकरा गया तो बड़ी तबाही मच जाएगी। इस तरह के काम राष्ट्रों को नहीं करने चाहिए। जिम के इस बयान को अब कांग्रेस भुनाए बिना नहीं रहेगी। वह कह सकती है कि मोदी सरकार ने बालाकोट-जैसी एक गलती और कर दी है। इस गलती को वह अमेरिकी सरकार बता रही है, जिसके तारीफ पेलते हुए मोदी का तालू सूख जाता है। लेकिन इस तरह की आलोचना बिल्कुल बेबुनियाद है।

अमेरिकी वैज्ञानिक ने भारत की आलोचना करते वक्त यह नहीं बताया कि अमेरिका, रुस और चीन ने कितने उपग्रह छोड़े हैं और उनका कितना मलबा अंतरिक्ष में पहले से तैर रहा है। इन तीनों देशों के उपग्रहों के लाखों टुकड़े वर्षों से मलबे के रुप में घूम रहे हैं। इसके अलावा वह अंतरिक्ष स्टेशन 400 किमी ऊपर है जबकि भारतीय उपग्रह 300 किमी से भी कम ऊंचाई पर था। जिम का कहना है कि उसके 24 टेकड़े स्टेशन की तरफ बढ़ रहे हैं।

भारतीय वैज्ञानिकों का दावा है कि भारतीय मलवे के सारे टुकड़े अगले एक-डेढ़ माह में चूरा होकर जमीन पर गिर जाएंगे। यह ठीक है कि भारत के पास उस मलवे के चूरे पर निगरानी रखने की सुविधा नहीं है लेकिन नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी पूरी निगरानी रख रही हैं। इसके अलावा 400 टन का वह अंतरिक्ष स्टेशन इतना मजबूत है कि मलबे के 20-25 टुकड़े उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इसीलिए अमेरिकी ‘नासा’ के मुखिया के बयान का भारत को कड़ा जवाब देना चाहिए। उसे इस तथ्य से ईर्ष्या हो सकती है कि वह उपग्रहभेदी प्रक्षेपास्त्र पूर्णरुपेण भारतीय था। लेकिन इसका तो कोई इलाज नहीं है।

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here