अर्थ व्यवस्था उभारेगी एनएमपी योजना

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केंद्र सरकार का अपनी अतिरित संपत्तियों और प्रयोग ना हो ती रही संपत्तियों को नियत अवधि के लिए देने का फैसला पूंजी धन जुटाने में मददगार होगा। सरकार के पास एयरपोर्ट, हाईवे, रेल आदि सेगमेंटम निजी निवेश को आमंत्रित करने के लिए काफी गंजाइश है। सरकार ने आवधिक निजीकरण की इस योजना को एनएमपी का नाम दिया गया है। पुराने और चालू हालत की संपत्तियों में निजी निवेश आकर्षित करने को इस योजना के महासड़क और रेलवे की संपत्तियों एयरपोर्ट, पावर ट्रांसमिशन लाइने और गैस पाइप लाइनों को पूर्णतया बेचे बिना उनमें निजी क्षेत्र का निवेश अपनाया जाएगा। सरकारी संपत्तियों से फंड जुटाने का सबसे सुरक्षित तरीका है। सरकार अपनी संपत्तियों को बेचे बिना निजी क्षेत्र से फंड जुटाएगी। केंद्र सरकार अपनी संपनियों के नियत अवधि तक इस्तेमाल का अधिकार देकर और इनविट जैसे निवेश के अन्य तरीकों से अगले 4 साल में 6 लाख करोड़ रुपये जुटाएगी। सरकार को इससे अपना खजाना भरने और वित्तीय घाटे को काबू मरखने में मदद मिलेगी, साथ ही इंफ्रास्ट्रचर सेटर को लांग टर्म में सपोर्ट भी मिलेगा।

सरकार की रियल सेटर में बड़े निवेश की आवश्यकता है। पिछले बजट में करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये आवंटन की घोषणा की गई थी। सरकार का राजकोषीय घाटा व वित्तीय घाटा लक्ष्य से बहुत अधिक है। सरकार अपने रिसोर्स से इसकी भरपाई नहीं कर पा रही है। चूंकि कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए इंफ्रा सेटर अहम रोल निभाएगा। सरकार सार्वनिक प्रापर्टी में निजी निवेश लाने के लिए उनको मॉनेटाइज करेगी, इससे जो भी रकम आएगी उसका इस्तेमाल देश के वीफ्रास्ट्रचर को बढ़ाने में किया जाएगा। प्राइवेट इनवेस्टमेंट ब्राउनफील्ड यानी चाल एसेट में लाया जाएगा। यानी जिन एसेट का पूरा विाीय इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है, उनको बेहतर बनाने के लिए निजी क्षेत्र को साथ लाया जाएगा। एनएमपी योजना चिनिवेश से अलग है। इसमें सरकारी संपत्ति को मनों बेचा जाएगा, उनका मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा। खरीदने वाल को नियत समय के लिए इस्तेमाल की अनुमति मिलेगी। यह लीज की तरह काम करेगा। एमएनपी योजना के तहत केंद्र सरकार की संपत्तियों का मॉनेटाइजेशन किया जाएगा। हालांकि राज्यों को अपने एसेट मॉनेटाइज करने को बढ़ावा देने के लिए केंद्र उनको इनटिव देगा।

उनको 50 साल का बिना ब्याज का लोन दिया जाएगा, जिसके लिए इस विच धर्म के बजट में 5,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। अगर राज्य अपनी किसी कंपनी को बेचते हैं तो केंद्र उससे मिलने वाली रकम के बराबर वित्तीय सहायता देगा। अगर वे उसको शेयर बाजार में लिस्ट कराते हैं, तो उससे मिलने वाली रकम का आधा हिस्सा और अगर उसको मॉनेटाइज करते हैं, तो केंद्र 33 प्रतिशत हिस्सा सहायता के तौर पर देगा। एनएमपी के टॉप 3 सेटर में रोड, रेलवे और पावर सेक्टर शामिल होंगे। इसका मकसद पब्लिक प्रॉपर्टी में सरकारी निवेश की पूरी कीमत वसूल करना है। अगले चार साल में 15 रेलवे स्टेडियम, 25 एयरपोर्ट और मौजूद एयरपोर्ट में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी और 160 कोयले की खानों को मॉनेटाइज किया जाएगा। योजना के सहा 20 से ज्यादा एसेट लास को मॉनेटाइज किया जाएगा। इसके तहत पहले साल यानी मौजूदा विा वर्ष में 88,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई गई है। निजी क्षेत्र से पूजी जुटाने का यह नायब तरीका सरकार को अपने घाटे पूरे करने वाले एसिट सेटर के लिए फंड का इंतजाम करेगा। देखने वाली बात होगी, उसे निजी क्षेत्र इसे कितनी गंभीरता सेलेता है।

केंद्र सरकार का अपनी अतिरित संपत्तियों और प्रयोग ना हो ती रही संपत्तियों को नियत अवधि के लिए देने का फैसला पूंजी धन जुटाने में मददगार होगा। सरकार के पास एयरपोर्ट, हाईवे, रेल आदि सेगमेंटम निजी निवेश को आमंत्रित करने के लिए काफी गंजाइश है। सरकार ने आवधिक निजीकरण की इस योजना को एनएमपी का नाम दिया गया है। पुराने और चालू हालत की संपत्तियों में निजी निवेश आकर्षित करने को इस योजना के महासड़क और रेलवे की संपत्तियों एयरपोर्ट, पावर ट्रांसमिशन लाइने और गैस पाइप लाइनों को पूर्णतया बेचे बिना उनमें निजी क्षेत्र का निवेश अपनाया जाएगा। सरकारी संपत्तियों से फंड जुटाने का सबसे सुरक्षित तरीका है। सरकार अपनी संपत्तियों को बेचे बिना निजी क्षेत्र से फंड जुटाएगी। केंद्र सरकार अपनी संपनियों के नियत अवधि तक इस्तेमाल का अधिकार देकर और इनविट जैसे निवेश के अन्य तरीकों से अगले 4 साल में 6 लाख करोड़ रुपये जुटाएगी। सरकार को इससे अपना खजाना भरने और वित्तीय घाटे को काबू मरखने में मदद मिलेगी, साथ ही इंफ्रास्ट्रचर सेटर को लांग टर्म में सपोर्ट भी मिलेगा।

सरकार की रियल सेटर में बड़े निवेश की आवश्यकता है। पिछले बजट में करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये आवंटन की घोषणा की गई थी। सरकार का राजकोषीय घाटा व वित्तीय घाटा लक्ष्य से बहुत अधिक है। सरकार अपने रिसोर्स से इसकी भरपाई नहीं कर पा रही है। चूंकि कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए इंफ्रा सेटर अहम रोल निभाएगा। सरकार सार्वनिक प्रापर्टी में निजी निवेश लाने के लिए उनको मॉनेटाइज करेगी, इससे जो भी रकम आएगी उसका इस्तेमाल देश के वीफ्रास्ट्रचर को बढ़ाने में किया जाएगा। प्राइवेट इनवेस्टमेंट ब्राउनफील्ड यानी चाल एसेट में लाया जाएगा। यानी जिन एसेट का पूरा विाीय इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है, उनको बेहतर बनाने के लिए निजी क्षेत्र को साथ लाया जाएगा। एनएमपी योजना चिनिवेश से अलग है। इसमें सरकारी संपत्ति को मनों बेचा जाएगा, उनका मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा। खरीदने वाल को नियत समय के लिए इस्तेमाल की अनुमति मिलेगी। यह लीज की तरह काम करेगा। एमएनपी योजना के तहत केंद्र सरकार की संपत्तियों का मॉनेटाइजेशन किया जाएगा। हालांकि राज्यों को अपने एसेट मॉनेटाइज करने को बढ़ावा देने के लिए केंद्र उनको इनटिव देगा।

उनको 50 साल का बिना ब्याज का लोन दिया जाएगा, जिसके लिए इस विच धर्म के बजट में 5,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। अगर राज्य अपनी किसी कंपनी को बेचते हैं तो केंद्र उससे मिलने वाली रकम के बराबर वित्तीय सहायता देगा। अगर वे उसको शेयर बाजार में लिस्ट कराते हैं, तो उससे मिलने वाली रकम का आधा हिस्सा और अगर उसको मॉनेटाइज करते हैं, तो केंद्र 33 प्रतिशत हिस्सा सहायता के तौर पर देगा। एनएमपी के टॉप 3 सेटर में रोड, रेलवे और पावर सेक्टर शामिल होंगे। इसका मकसद पब्लिक प्रॉपर्टी में सरकारी निवेश की पूरी कीमत वसूल करना है। अगले चार साल में 15 रेलवे स्टेडियम, 25 एयरपोर्ट और मौजूद एयरपोर्ट में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी और 160 कोयले की खानों को मॉनेटाइज किया जाएगा। योजना के सहा 20 से ज्यादा एसेट लास को मॉनेटाइज किया जाएगा। इसके तहत पहले साल यानी मौजूदा विा वर्ष में 88,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई गई है। निजी क्षेत्र से पूजी जुटाने का यह नायब तरीका सरकार को अपने घाटे पूरे करने वाले एसिट सेटर के लिए फंड का इंतजाम करेगा। देखने वाली बात होगी, उसे निजी क्षेत्र इसे कितनी गंभीरता सेलेता है।

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