जनादेश को सलाम। चमत्कार को नमस्कार। आजाद भारती की राजनीति में ऐसे करिश्मे होते ही कब हैं जो अमित शाह और नरेन्द्र मोदी को जीड़ी ने कर दिखाया हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती इंदिरा गांधी के बाद नरेन्द्र मोदी ऐसे राजनेता हो गए हैं जिन्होंने लगातार दूसरी बार बहुमत से सरकार बनाई। बहुमत भी ऐसा जिसमें सारा विपक्ष ही तकरीबन साफ हो गया। जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक केवल भगवा लहर-विपक्ष पर कहर। ममता के गढ़ को भी फतह किया और बुआ-बबुआ की यूपी मंशा भी पूरी नहीं होने दी। लग नहीं रहा था लेकिन पूरी तरह एकतरफा चुनाव। 17 वीं लोकसभा के नतीजों में भाजपा ने अकेले 300 का आंकड़ा भी पार किया और गठजोड़ भी 350 के पार चला गया। अहम सवाल यही है कि बाकी के लिए बचा क्या? कुछ नहीं।
नतीजे इस बात का संकेत है कि भारत भी दो दलीय राजनीतिक सिस्टम की तरफ बढ़ रहा है। मजबूरी में एक दिन हर विपक्षी दल को एक छतरी के नीचे आया ही होगा, जिंदा रहना है तो। दो राय नहीं कि नरेन्द्र मोदी फिर पीएम होने जा रहे है और ज्यादा मजबूत। बस अब शपथ की औपचारिकताएं बाकी हैं। काम भी बेहद बाकी हैं। अगला एजेंडा मोदी तक कर चुके हैं। डांवाडोल होती अर्थव्यवस्था को उन्हें संभालना है। बेरोजगारी के फ्रंट पर लड़ना है। देश में सिप उठा रही असमाजिक ताकतों को ठौर-ठीए पर ले जाना है। अच्छी बात यही है कि जनादेश ऐसा है, वो आसानी के साथ कर सकते हैं। बेहतर तरीके से कर सकते हैं। ये मानने में कोई हर्ज अब नहीं है कि अगर मोदी नहीं कर सकते तो कोई नहीं कर सकता। तो अहम सवाल यही है कि क्या मोदी की इस दूसरी पारी से भारत के स्वर्णिम काल की शुरुआत हो जाएगी? जनता ने जिस तरीके से मोदी पर प्यार लुटाया है उसे देखते हुए तो यकीन भी होता है, आस भी हैं कि मोदी की दूसरी पारी बेहद शानदार होगी।
वो गलतियां नहीं होंगी जिकी वजह से अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर देश पिछड़ा और विपक्ष को वार करने के मौके मिले। वैसे जनादेश ने ये भी बता दिया है कि नोटबंदी व जीएसटी जैसे मामले उसके लिए कोई मायने नहीं रखते। उन्हें दिल्ली के तख्तोताज पर मजबूत चेहरा चाहिए। आज के दौर की जो राजनीति है उसमें मोदी से ज्यादा मजबूत है कौन? साबित हो चुका है। 24 घंटे काम और केवल काम करने की जिद से वो जनता के लिए आइकान भी बन चुके हैं और दुनिया के हर ताकतवर देश के लिए कहीं ज्यादा अहम राजनेता भी। जिनकी हनक अब दुनिया के बाकी देशों में भी सुनाई देगी। देश चाहे दोस्त हो या दुश्मन। आप उन्हें बाहुबली और बाजीराव भी कह सकते हैं जो हर बाजी जीतना जानते हैं तो फिर जनादेश का स्वागत करिए। कम आंकने वालों को माफ किरिए आगे बढ़िए और मोदी की फिर से आ रही सरकार का स्वागत करिए। आखिर जाति का जाल टूटा है।
देशपाल सिंह पंवार