अंतरिक्ष में नया इतिहास

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सोमवार को चंद्रयान-2 लॉन्च हो गया। एक बार फिर भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने इतिहास रच दिया। पृथ्वी की कक्षा में इसके स्थापित होने के बाद अब इसे चांद की सतह पर उचारने के मिशन की शुरुआत हो गयी है। निश्चित तौर पर हम भारतीयों के लिए गर्व की विषय है। सब कुछ ठीक रहा तो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-2 पहुंचेगा और इस तरह इस क्षेत्र में भारत दुनिया में ऐसा पहला देश होगा। जिसकी पहुंच अब तक चांद के अचीन्हे क्षेत्र में होगी। इससे पहले अमेरिका और रूप जैसे देशों की पहुंच चांद के उत्तरी ध्रुव तक रही है। मिशन मंगल, एंटी मिसाइल सेटेलाइट के बाद अब चंद्रायन-2 की लॉचिंग से स्पष्ट हो गया है कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत अपनी अभिनव पहचान बनाने में कामयाब हो रहा है। इसरो की तकनीकी ताकत और वैज्ञानिकों के हौसले को नमन करने का यह ऐतिहासिक दिन है। देश को यह गौरव मिशन में दिन-रात जुटे रहे वैज्ञानिकों की तपश्चर्या से प्राप्त हुआ है।

चंद्रयान-2 को देश के सबसे शक्तिशाली राकेज जीएसएलवीएमके-3 से लॉच किया गया। यह 21 दिनों बाद चंद्र की कक्षा में पहुंच जाएगा। अभी 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा। खुद इसरो के प्रमुख के. सिवन भी मानते हैं कि यह सफर अभी शुरू हुआ ह, जैसा कि 2022 में भारत से चांद पर मानव भेजने की योजना है। उस पर आगे और फोकस होगा। इसरो चीफ ने एक और महत्वपूर्ण तथ्य उद्धिटित किया। कहा कि भले ही चांद के उत्तरी ध्रुव पर भारत चन्द्रयान उतर रहा है लेकिन इसकी उपादेयता विश्व की समस्त मानव जाति के लिए है। चांद पर यूं तो 1959 में दुनिया ने कदम रखा था पर धीरे-धीरे इसे जानने-परखने का सिलसिला जारी है। यही वैज्ञानिक जुगुप्सा का जादू है, जो शोधों और नये अनुसंधानों के जरिये मनुष्य के लिए सुविधाओं के द्वार खोल रहा है। रूस अमेरिका और चीन जैसे देश तो 2024 तक चांद पर मानव बस्ती बसाने की योजना पर काम कर रहे हैं, विकास की अंधी दौड़ और प्रकृत्ति का अधिकाधिक दोहन के कारण पूरी मानव सभ्यता के लिए संकट खड़ा हो रहा है।

ग्रीन मैसेज के कारण ओजेन परतें छीज रही हैं, पानी के संकट दिन प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है। नगरीय इलाकों की हवा सांस लेने लायक नहीं रह गयी। जंगल खत्म हो रहे, वन्य प्राणियों के वजूद पर भी संकट है। इस तक ह से पूरी इलोलॉजी छिन्न-भिन्न हो रही है। दुनिया के अति समृद्ध देशों में काम हो रहा है। चांद के उत्तरी ध्रुव पर उम्मीद बढ़ी है, इसलिए उसको लेकर कुछ देशों में अग्रिम बुकिंग भी चल रही हैं। एक दृष्टि से निश्चित तौर पर यह रोमांचक है लेकिन दूसरी दृष्टि से चिंतनीय भी, क्योंकि पृथ्वी को खराब हालात में पहुंचाकर किसी अन्य प्लेनेट पर जिन्दगी की तलाश उचित नहीं। अच्छा हो, अपनी पृथ्वी की सभ्यता को सहेजते हुए ब्राह्मण के किसी भी ग्रह की ओर रुख करें। पर जिस तरह अब अंतरिक्ष में भारत ने चन्द्रयान-2 के रूप में बड़ी छलांग लगायी है, वो देश की अपनी मेधा और क्षमता को रेखांकित करती है। आने वाले वर्षों में भारत की तरफ से और नये तकनीकी आयाम उद्धाटित होंगे। चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण ने यह उम्मीद जगाई है कि आगे भारत का मानव मिशन भी कामयाब होगा।

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