ये सुनो आंखों देखा हाल

0
551

ये सुनो आंखों देखा हाल। मशहूर डाक्टर हैं अपना एक पड़ोसी है। नाम उसका जोशी है। बहुत जोश में रहता है। उल्टा सीधा कहता है। जब भी मुंह खोलता है। घटिया शब्द बोलता है। नहीं किसी की सहता है। प्रत्युत्तर में कहता है। कल एक गुंडा आ पहुंचा। जोशी के घर जा पहुंचा। उसको जमकर पीटा था। पकड़ के टांग घसीटा था। पत्नी बच्चे भी नहीं छोड़े। कईयों के तो सिर फोड़े। मोहल्ले भर को कष्ट हुआ। सम्मान सभी का नष्ट हुआ। बेशक जोशी बड़बोला है। पर अंदर से भोला है। सारा मोहल्ला इकट्ठा था। जोशी के घर ठठ्ठा था। गुंडे से बदला लेंगे। उस को सबक सिखा देंगे। तभी जोशी बाहर आया। देख के सबको मुस्काया। काहे भैया जोश में हो। थोड़े बहुत तो होश में हो। कैसी इज्जत कैसा अपमान। श्री मान क्यों हो परेशान। तुमने बिलकुल गलत सुना। मुझे किसी ने नहीं धुना। मेरे घर कोई आया नहीं। मुझे किसी ने धमकाया नहीं। पूरा मोहल्ला दुख में है। पर जोशी जी सुख में है।

-राकेश शर्मा
( गोदी जी से इस कविता का संबंध नहीं है)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here