एक हाथ बढ़ाकर तो देखिए

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समय मुश्किल-भरा है और परिस्थितियां बहुत विकट, लेकिन मनुष्य ने पूर्व में भी ऐसी महामारियों पर विजय पाई है और अब भी हम विजय पाकर ही रहेंगे। ज़रूरत है तो सबके साथ आने की, एक-दूसरे की सहायता करने की। आज के माहौल को देखकर यह कल्पना करना दूभर है कि एक समय ऐसा भी था जब लोग बिना मास्क और बिना किसी डर के सड़कों पर घूमा करते थे। खुली हवा में सांस लेना आसान था और प्राणवायु सुलभ थी। आज जो स्थिति निर्मित हुई है उसके दोष तो आराम से हर कोई घर बैठे निकाल सकता है किंतु, वर्तमान समय की सबसे बड़ी मांग यह है कि एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के लिए खड़ा हो, हरसम्भव मदद के लिए तत्पर हो। हम सब कोरोना के खि़लाफ़ इस जंग में साथ मिलकर आगे आएं। कैसे और कहां की जाए मदद इसके भी बहुत उपाय हैं। इंसानों की आपस में दूरी ज़रूरी है, लेकिन इंसानियत के फज़ऱ् निभाए जाने चाहिए, पूरी शिद्दत के साथ। हम ऐसा कर सकते हैं। मैं क्या कर सकती हूं? बहुत सारे कार्य हैं जो किए जा सकते हैं। बस पहल कीजिए -यदि आप किसी बड़े शहर में हैं तो ज़ाहिर है कि अस्पतालों में आसपास के कस्बों व नगरों से लोग इलाज के लिए आए होंगे। उनके लिए भोजन या ज़रूरी चीजों का इंतज़ाम कर सकते हैं। मदद की पहल ख़ुद से शुरू होती है। आप घर से खाना बनाकर भेज सकती हैं, इस आशय की सूचना सोशल मीडिया के अपने समूहों में डालकर साझा कीजिए। जहां से भोजन या किसी सामान की मांग आए, वहां भिजवाएं।

यदि आप आस-पड़ोस के घरों से प्रति घर दो व्यतियों के लिए भी भोजन तैयार करवाकर उन्हें ज़रूरतमंदों तक पहुंचाएंगी तो 5 घरों से 10 व्यक्तियों के भोजन का प्रबंध किया जा सकता है। आपके आसपास कोई बुज़ुर्ग दंपती हो या ऐसे लोग हों जो बाहर जाकर स्वयं के लिए राशन आदि का प्रबंध कर पाने में असमर्थ हैं, तो आप अपने साथ उनके लिए भी ज़रूरी चीज़ें या तो स्वयं ला सकते हैं या ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं। मज़दूर वर्ग का एक हिस्सा फिर से पलायन को मजबूर हैं। रोजग़ार बंद होने के कारण जो लोग परेशानी में आ गए हैं उनके लिए राशन के पैकेट्स बना सकते हैं। आटा, दाल, चावल और तेल, नमक जैसी ज़रूरी चीज़ें इसमें शामिल कर सकते हैं। पोहा, सूजी, गुड़ जैसी वस्तुएं भी रख सकते हैं। कई लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं। उन लोगों के साथ जुड़कर आप भी सहायता कर सकते हैं। आप नहीं जा सकते तो जो मदद कर रहे हैं उन्हें पैकेट्स बनाकर दें। अपनी क्षमतानुसार राशि भी मदद करने वाले लोगों तक पहुंचा सकते हैं, किंतु विश्वसनीयता की परख भी कर लें। यदि आप कोरोना से जंग जीत चुके हैं तो उन लोगों से बात करें जो फिलहाल इससे जूझ रहे हैं। हालचाल पूछें, अपना अनुभव बताएं और सकारात्मकता के साथ इस बीमारी से लडऩे के लिए प्रेरित करें। आपके पास ऑक्सीमीटर, नेबुलाइजऱ या कोरोना में उपयोग होने वाली दवाइयां हों, तो लोगों के साथ शेयर करें योंकि इन चीज़ों की भी भारी कि़ल्लत का सामना कई शहरों को करना पड़ रहा है।

ऐसे समय में कई लोग, अपनी-अपनी क्षमता व क्षेत्र में दख़ल के हिसाब से प्रयासरत हैं और देश के हर कोने में मदद कर रहे हैं जैसे लोगों को भोजन सामग्री देना, ऑसीजन सिलेंडर मुहैया करवाना या दवाइयां पहुंचाना आदि। जयपुर के विक्रम मित्रों के साथ मिलकर ज़रूरतमंद व्यक्तियों तक तथा होम आइसोलेशन में मरीज़ों तक दवाइयां पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। इंदौर के एक सज्जन मित्रों के साथ मिलकर तैयार भोजन ज़रूरतमंद लोगों तक पहुंचा रहे हैं। लोगों को जब इस कार्य के बारे में पता चला तो कई लोगों ने अपनी ओर से धनराशि, भोजन सामग्री या पैकेट तैयार करने में मदद की। भोपाल में नवीन ऑसीजन सिलेंडर से सम्बंधित सहायता की हरसम्भव कोशिश कर रहे हैं। एक सज्जन प्लाज़्मा दान करने वाले लोगों की सूची बनाकर प्लाज़्मा दान करने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। ऐसे कई उदाहरण, हर शहर, हर कस्बे, हर गांव में मौजूद हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से आप हज़ारों लोगों से सीधे जुड़ सकते हैं और कई लोगों की मदद कर सकते हैं। ज़रूरी जानकारियों को लोगों के साथ शेयर करना भी एक अच्छा काम ही है और हो सकता है उससे किसी ज़रूरतमंद की मदद हो जाए। लेकिन सोशल मीडिया का उपयोग सतर्कता से भी करें। यदि सोशल मीडिया पर कोई सम्पर्क आपके सामने आता है तो पहले उसे सत्यापित ज़रूर करें। स्वयं ही फ़ोन लगाकर आप उसे सत्यापित कर सकते हैं कि यह सम्पर्क सूत्र सही है या नहीं योंकि अधिकतर फ़ॉरवर्ड होने वाले संम्पर्क फेक या बंद होते हैं। सही सम्पर्कों की एक सूची बनाकर भी आप लोगों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं।

कोई भी जानकारी बिना सत्यापन के आगे प्रेषित न करें। साथ ही कोई भी नकारात्मक ख़बर किसी को न भेजें, योंकि उससे सिफऱ् नकारात्मकता आती है, हल नहीं। सकारात्मक रहें और लोगों के साथ सकारात्मक चीज़ें शेयर करें। लोगों की मदद करना तो ज़रूरी है लेकिन इस मुश्किल समय में अपना और अपने परिवार का ख़्याल रखना भी ज़रूरी है-जब भी बाहर निकलें डबल मास्क और हैंड ग्लव्स ज़रूर पहनें। छोटा सैनिटाइजऱ अपनी जेब में हमेशा रखें। किसी भी चीज़ को न छुएं। बिना ग्लव्स के कुछ छू भी लें तो तुरंत सैनिटाइज़ करें। अपने नाक-मुंह को बिल्कुल न छुएं। किसी भी व्यक्ति की सहायता हेतु आप जा रहे हैं तो सामान का लेन-देन एक निश्चित दूरी से रहें। भोजन पैकेट्स दे रहे हैं तो दरवाज़े के पास या एक निश्चित स्थान पर रखकर सम्बंधित व्यक्ति को सूचना दें। बाहर जाने के लिए कपड़े तय करके रखें और उन्हें अलग ही रखें। बाहर से आने के बाद ज़रूर नहाएं। दिन में दो बार स्टीम लें। यूं मदद का कोई मोल नहीं होता, लेकिन अगर यह कार्य बड़े स्तर पर कर रहे हैं और इसमें धनराशि शामिल है, तो लेनदेन ऑनलाइन करें। वही बेहतर है। जब आप किसी और के लिए भोजन तैयार कर रहे हैं तो कुछ बातों का विशेष तौर पर ख़्याल रखें। भोजन अधिक मिर्च-मसालेदार न हो क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति के लिए दूसरी परेशानियां खड़ी कर सकता है। यदि सम्भव हो तो अच्छी मात्रा में सलाद भी रख सकते हैं जो कि इस समय में सेहत के लिए मुफ़ीद है। अधिक तैलीय एवं ठंडे भोजन से तौबा करें एवं स्वयं भी इसका सेवन न करें।

द्विजराज
(लेखक स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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