ईश्वर को मायापति भी कहा गया है। सृष्टि संचालन में वे अपनी माया का उपयोग करते हैं। माया का अर्थ है जादू। ईश्वर दुनिया का बड़ा जादूगर है। जादू यानी जो है, वह दिखता नहीं है व जो दिखता है, वह है नहीं। कोरोना अब अपने मायाजाल के चरण में आ गई है। जब यह आई थी, तो नासमझी का वातावरण था। फिर भ्रम और बाद में भय आया। अब इसने अपना मायाजाल फैलाया है। कई लोगों समझ नहीं पा रहे क्या करना है, कैसे जीना है। कोरोना ने बड़ी बुद्धिमानी से हमारे देश में दो हिस्से कर दिए।
एक सरकार व दूसरे में अवाम है। इससे बचने की सती अवाम को अपनी स्वतंत्रता पर आघात लग रही है। सरकार जब मायाजाल में उलझती है, तो मान लेती है, जो हमने किया वही सही है व निर्देशों, आदेशों में शब्द अपने अर्थ खो देते हैं। मित्र शब्द के लिए श्रीराम ने सुग्रीव को समझाते हुए 6 लक्षण मित्र के और 3 कुमित्र के बताए थे। कोरोना खात्मे के प्रयास में शब्द ‘कोविड मित्र’ भी आया। राम ने कुमित्र के जो तीन लक्षण बताए थे, वे कोविड में पूरी तरह उतरे हैं और मित्र के छह लक्षणों का पता ही नहीं है। इस समय कोविड हमारा सबसे बड़ा शत्रु है। जहां शब्द जीवन मित्र हो सकता था, वहां कोविड मित्र हो जाए, यही माया है।
पं. विजयशंकर मेहता