बदला बच्चों के सीखने का तरीका

0
231

इस महामारी के दौरान पहली बार बच्चों का सीखने का तरीका काफी हद तक बदल रहा है। अच्छी बात यह है कि माता-पिता, छात्र और शिक्षक सभी को ऑनलाइन टीचिंग के फायदे अब समझ आने लगे हैं। बच्चों को तो ऑनलाइन लर्निंग हमेशा से ही पसंद रही है, लेकिन अब पैरेंट्स की सोच में भी लगातार बदलाव होता नजर आने लगा है।

हमारे एक इंटरनल सर्वे में यह सामने आया है कि करीब 75 फीसदी माता-पिता यह चाहते हैं कि कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद भी उनके बच्चों की ऑनलाइन लर्निंग आगे भी चलती रहे। इसीलिए भविष्य में अब एजुकेशन का एक नया स्वरूप सामने आएगा। हमें अब एजुकेशन का मिला-जुला रूप देखने को मिलेगा। इस स्वरूप में बच्चे स्कूल की क्लास में तो बैठेंगे ही और साथ ही ऑनलाइन लर्निंग का ट्रेंड भी बढ़ेगा। यह हम सभी के लिए बड़ा सकारात्मक बदलाव होगा।

बच्चे स्कूल में तो पढ़ेंगे ही, लेकिन उसके बाद की लर्निंग ऑनलाइन ट्यूशन पर आधारित होगी। आज देश में करीब 26 करोड़ से ज्यादा बच्चे केजी से कक्षा 12 तक पढ़ रहे हैं। लेकिन कुछ तो कारण है कि वैश्विक स्तर पर हम अब तक उतनी बड़ी पहचान नहीं बना पाए हैं, जितनी हमारी क्षमता नजर आती है। परीक्षा के डर वाले एजुकेशन सिस्टम में लंबे समय रटने की परंपरा रही है। बच्चे बस अपनी किताबों को रटते हैं और अपनी मेमोरी के आधार पर परीक्षाएं दे देते हैं। यानी वे समझ से नहीं याददाश्त से परीक्षा देते हैं।

इस कारण बच्चों को गुणवत्ता से समझौता करना पड़ता था। लेकिन अब ऑनलाइन एजुकेशन के दौरा में गुणवत्ता से समझौता करने की जरूरत नहीं है। डिजिटल एजुकेशन में बच्चों को दूर बैठे क्वालिटी टीचर्स से पढ़ने का मौका मिल रहा है। उनके लाइव सेशन हो रहे हैं, जहां बच्चे शिक्षक से अपने डाउट क्लियर करवा सकते हैं। ऑनलाइन सेशन में हर छात्र की समस्याओं को सुलाझाने पर ध्यान दिया जाता है।

आज देशभर के छात्रों को तय समय पर ऑनलाइन क्लास लेने की सुविधा है, जिसमें देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पढ़ा रहे हैं। लाइव चैट हो रही हैं और शिक्षकों व छात्रों में पहले से ज्यादा व्यक्तिगत स्तर पर संवाद हो पा रहा है। हर मेंटर व्यक्तिगत रूप से छात्रों का ध्यान रख रहा है। यह सब सुविधा बच्चों को घर बैठे मिल रही है, वह भी पूरी सुरक्षा के साथ। हर बच्चे को टीचर पर्सनलाइज्ड टीचिंग मेथड से पढ़ा रहे हैं।

यानी उन्हें उसी तरीके से पढ़ाया जाता है, जिसमें वह सबसे अच्छे ढंग से समझ सके। अब एक ही तरीका सभी छात्रों पर लागू नहीं किया जाता। समय-समय पर छात्रों को फीडबैक भी दिया जा रहा है और उनकी परफॉर्मेन्स की ट्रैकिंग हो रही है। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर टीचर पैरेंट्स के साथ बेहतर ढंग से मंथली मीटिंग कर पा रहे हैं। छात्रों के पीरियोडिकल एसेसमेंट हो रहे हैं, हर महीने और क्वाटरली मॉक टेस्ट आयोजित किए जा रहे हैं। यहां तक कि बच्चों की जरूरत के हिसाब से कोर्स डिजाइन किए जा रहे हैं।

ऑनलाइन लर्निंग का एक बड़ा फायदा इस समय बच्चों को इसलिए भी मिल पा रहा है क्योंकि कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि बच्चे अपने सेंस से सीखते हैं, जिसमें 75 फीसदी हिस्सेदारी देखने की होती है। ऐसे में आज की जेनरेशन के बच्चों को स्क्रीन पर देखने की आदत है उन्हें उस पर समझ आता है। यही कारण है कि लॉकडाउन में बच्चों ने बेहद तेजी से ऑनलाइन लर्निंग को अपनाया है। बच्चों को वीडियो और एनिमेशन में समझाना ज्यादा आसान है। वो उस प्लेटफॉर्म पर सीख रहे हैं जिसे अच्छे से समझते हैं और इन्हें इनकी आदत है।

बायजू रवींद्रन
(लेखक लर्निंग एप बायजू के संस्थापक और सीईओ हैं ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here