इस वर्ष यूं तो पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन असम, तमिलनाडू, पुडडूचेरी केरल के मुकाबले पश्चिमी बंगाल का चुनाव अधिक दिलचस्प बनता जा रहा है। देश की साारुढ़ पार्टी भाजपा का फोकस भी इन चार राज्यों की अपेक्षा बंगाल पर अधिक है। अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा भाजपा के दूसरे वरिष्ठ नेता महापुरुषों की जयंती समारोह में शामिल होने के बहाने कई-कई दौरे चुके हैं। भाजपा का मकसद इस बड़े राज्य में पहली बार साा हासिल करना है। अब जबकि चुनाव सिर पर हैं तो जहां पीएम मोदी चुनावी रैली कर रहे हैं, वहीं बंगाल में साारुढ़ टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी भी पूरी ताकत के साथ अपनी साा को बचाने में लगी हैं। दोनों पार्टियों की जोर-आजमाइश से बंगाल का चुनाव राष्ट्रीय स्तर रोचक होता जा रहा है।
अभी हाल ही में पीएम मोदी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी, वामपंथी दल व कांग्रेस पर निशाना साधकर बताना चाहा कि इन दलों ने बंगालवासियों का शोषण किया विकास तो भाजपा करेगी। भाजपा नेताओं ने टीएमसी से असंतुष्ट होकर निकलने वाले नेताओं को अपनाया, वहीं फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को भी अपने पाले में खींच लिया। इसके अलावा भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को भी लाना चाहती है। वैसे भी चुनाव में जीत के लिए भाजपा अपने उन नियमों को भी तोड़ रही है जो उसने वृद्ध नेताओं के लिए बनाए थे। केरल में 89 वर्ष के श्रीधरन को सीएम पद का उमीदवार बनाकर दूसरी पार्टियों को यह कहने का मौका दे दिया कि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और शांता कुमार जैसे नेताओं को क्यों मार्गदर्शक मंडल में भेजा गया है?
यह उन चर्चाओं को खारिज करने का प्रयास है कि जिसमें कहा जा रहा था कि पीएम मोदी 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि उनकी उम्र 75 वर्ष से अधिक हो जाएगी। भाजपा चाहती है कि बंगाल पर 15 वर्ष से काबिज टीएमसी को बाहर का रास्ता दिखाकर साा हासिल की जाए, लेकिन ममता भी आसानी से ये साा देने के मूंड में नहीं है अब दीदी ने प्रदेश की आधी आबादी की सहानुभूति हासिल करने के लिए पद यात्राएं शुरू की हैं। रविवार को सिलीगुड़ी में गैस के बढ़ते दामों के खिलाफ महिला समर्थकों के साथ पद यात्रा की तो सोमवार को महिला दिवस पर भी पद यात्रा करके नारी शक्ति पदर्शन करके जताना चाहा कि वह महिलाओं का समर्थन हासिल करके साा बचाना चाहती हैं। ममता का यह कहना कि बंगाल को बाहरी लोगों की जरूरत नहीं है।
वे बंगाली महिलाओं को गुजरात, उत्तर प्रदेश व बिहार में महिलाओं की स्थिति बताकर उनकी सहानुभूति हासिल करना चाहती हैं। ममता बनर्जी पिछले दो दिन में महिलाओं को लेकर दो मार्च कर चुकी हैं। उनका फोकस राज्य की महिला वोटर्स पर है। बंगाल में कुल 7.18 करोड़ वोटर्स में से 3.15 करोड़ महिलाएं हैं। यानी कुल वोटर्स में से 49 प्रतिशत। टीएमसी प्रमुख चाहती है कि इस बार उनकी गाड़ी प्रदेश की इन महिलाओं के सहारे चलती रहे।
ममता ने पार्टी से 50 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। दोनों ही पार्टियों की सरगर्मी बता रही है कि इस बार का चुनाव बहुत दिलचस्प होगा। वैसे भी भाजपा की ये खूबी रही है कि वह किसी चुनाव को छोटा नहीं आंकती, वह अपनी पूरी ताकत झोंक देती है। चाहे दिल्ली विधान सभा का चुनाव हो या बिहार का चुनाव। वह हर चुनाव सफलता के लिए लड़ती है। चुनाव में जीत-हार किसी की भी हो लेकिन राजनेताओं को मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए ताकि सद्भावना कायम रहे।