सालभर पहले साथ आ गए थे लोकतंत्र समर्थक

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चुनाव परिणामों को पलटने के ट्रम्प के प्रयासों के बीच एक अजीब चीज हुई। कॉर्पोरेट जगत के लोगों ने ट्रम्प की आलोचना करना शुरू कर दिया। सैकड़ों बिजनेस लीडर्स, जिनमें कई ट्रम्प की उम्मीदवारी और नीतियों के घोर समर्थक थे, उन्होंने भी ट्रम्प से हार स्वीकार करने के लिए कहा। 2 दिसंबर को ट्रम्प ने कहा कि यह उनके लिए बेहद आश्चर्यजनक था। चुनाव के कुछ दिन बाद, जब कुछ राज्यों में वोटों की गिनती जारी थी, इस बीच भी लोगों को बाइडेन के सिर सेहरा बांधने की जल्दी थी।

ट्रम्प की आशंका सही थी। परदे के पीछे कुछ चल रहा था। दोनों तरफ से प्रदर्शन कम होता जा रहा था और कंपनी के सीईओ की तरफ से प्रतिरोध को साधा जा रहा था। ये अप्रत्याशित घटनाएं वामपंथी कार्यकर्ताओं और बिजनेस प्रमुखों के बीच हुए अनौपचारिक गठबंधन का परिणाम थीं। इस समझौते का संक्षिप्त रूप इलेक्शन डे के दिन यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स और एएफएल-सीआईओ ने साझा रूप से जारी किया।

बिजनेस और लेबर के बीच हुआ यह समझौता अमेरिका चुनावों को बचाने की दिशा में हुए कई प्रयासों में से एक था। उद्देश्य चुनाव जीतना नहीं, बल्कि चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र-निष्पक्ष और भ्रष्टाचार से दूर रखना था। इस तरह की कई गतिविधियां साल भर पहले से हो रही थीं, लेकिन ये बाइडेन के अभियान से बिल्कुल दूर थीं, राजनीतिक विचारधाराओं से तटस्थ लोग इसे आगे ले जा रहे थे। इन शैडो कैंपेनर्स का मूल उद्देश्य ट्रम्प को जीतने से रोकना नहीं, लोकतंत्र बचाना था।

कार्यकर्ताओं ने सारे पहलुओं पर ध्यान दिया। उन्होंने राज्यों को वोटिंग सिस्टम बदलने और कानून बनाने के लिए बाध्य किया, ताकि लाखों डॉलर की पब्लिक और प्राइवेट फंडिंग पर नजर रखी जा सके। मुकदमों का सामना किया, चुनाव कार्यकर्ताओंं की भर्ती की। पहली बार वोटिंग करने वाले लाखों डाक मतदाताओं को जुटाया। सोशल मीडिया कंपनियों पर झूठी खबरों पर एक सख्त स्टैंड लेने के लिए सफलतापूर्वक दबाव बनाया।

लोगों के लिए राष्ट्रीय जन-जागरूकता अभियान चलाया कि कैसे वोटों की गिनती कई दिनों या हफ्तों तक चल सकती है। जीत के झूठे दावे के साथ ट्रम्प के षड्यंत्र को रोकने के लिए यह जरूरी था। चुनाव के दिन के बाद कार्यकर्ताओं ने सभी संभावित दबाव के केंद्रों पर कड़ी नजर रखी ताकि ट्रम्प परिणाम नहीं बदल पाएं। ओबामा प्रशासन के साथ काम करने वाले पूर्व अधिकारी और वकील नॉर्म इसेन के अनुसार चुनाव की अनकही कहानी ये है कि दोनों पार्टियों के हजारों लोगों ने अमेरिकी लोकतंत्र को बचाने के लिए जी-जान से काम किया।

2019 में पत्र से चिंता जाहिर की थी

माइक पोढोर्जर, 25 सालों से अमेरिका के सबसे बड़ी केंद्रीय संघ ‘अमेरिकन फेडरेशन ऑफ लेबर और कांग्रेस ऑफ इंडस्ट्रियल ऑर्गेनाइजेशन’ के अध्यक्ष के वरिष्ठ सलाहकार रहे हैं। 2019 में ही उन्हें यकीन हो गया था कि 2020 का चुनाव आपदा की ओर बढ़ रहा है। महीनों शोध करने के बाद अक्टूबर 2019 में उन्होंने अपनी चिंता एक पत्र के जरिए साझा की। कहा कि जब राष्ट्रपति खुद चुनाव बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में डाटा, विश्लेषण और मतदान के सामान्य टूल्स काफी नहीं होंगे।

चुनाव में जीत के पांच चरण

पोढोर्जर के अनुसार वोट जीतना चुनाव जीतने का पहला कदम था। इसके बाद वोटों की गिनती में जीत, सर्टिफिकेट हासिल करना, इलेक्टोरल कॉलेज के अलावा सत्ता सौंपने की प्रक्रिया भले ही औपचारिकता थी, लेकिन जीत में उतनी ही जरूरी थी क्योंकि ट्रम्प इसे भी अवसर के रूप में देख रहे थे। चुनावों को लेकर चिंता जताने वालों में माइक पोढोर्जर इकलौते नहीं थे।

फाइट बैक टेब नाम के लोकतांत्रिक गठबंधन ने भी हाथ मिलाया। पूर्व निर्वाचित अधिकारियों का एक समूह आपातकालीन शक्तियों पर शोध कर रहा था, उन्हें डर था कि ट्रम्प इनका दुरुपयोग कर सकते हैं। प्रोटेक्ट डेमोक्रेसी नाम के वकालत समूह के सह-संस्थापक इयान बेसिन ने कहा कि चुनाव के सही परिणामों में हस्तक्षेप करने के हर प्रयास को हराया गया।

मॉली बाल
(लेखिका वरिष्ठ अमेरिकी पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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