जीवन की सुरक्षा को सतर्कता जरूरी

0
276

एक शिक्षक जवान लड़कों को पेड़ों पर चढऩा सिखाता था। उसके पास एक राजकुमार सीखने के लिए आया हुआ था। राजकुमार ऊपर की चोंटी तक चढ़ गया था, वृक्ष की ऊपर की शाखाओं तक। फिर उतर रहा था, वह बूढा शिक्षक चुपचाप पेड़ के नीचे बैठा हुआ देख रहा था। कोई दस फीट नीचे रह गया होगा वह लड़का, तब वह बूढ़ा खड़ा हुआ और चिल्लाया, सावधान! बेटे सावधान होकर उतरना, होश से उतरना! वह लड़का बहुत चकित हुआ। उसने सोचा, या तो यह बूढा पागल है। जब मैं सौ फीट ऊपर था और जहां से गिरता तो मेरे बचने का कोई अवसर नहीं था। जब मैं बिल्कुल ऊपर की चोटी पर था, तब तो यह कुछ नहीं बोला, चुपचाप आंख बंद किए, पेड़ के नीचे बैठा रहा! और अब! अब जबकि मैं नीचे ही पहुंच गया हूं, अब कोई खतरा नहीं है तो पागल चिल्ला रहा है, सावधान! सावधान! नीचे उतरकर उसने कहा कि मैं हैरान हूं! जब मैं ऊपर था, तब तो आपने कुछ भी नहीं कहा, जब डेंजर था, खतरा था, और जब मैं नीचे आ गया, जहां कोई खतरा न था, उस बूढें ने कहा, मेरे जिंदगी का अनुभव यह हैं कि जहां कोई खतरा नहीं होता, वहीं आदमी सो जाता है। और सोते ही खतरा शुरू हो जाता है। ऊपर कोई खतरा न था, क्योंकि खतरा था और उसकी वजह से तुम जागे हुए थे, सचेत थे, तुम गिर नहीं सकते थे। मैंने आज तक ऊपर की चोटी से किसी को गिरते नहीं देखा। कितने लोगो को मैं सिखा चुका। जब भी कोई गिरता हैं तो दस-पंद्रह फीट नीचे उतरने में क्या चढऩे में गिरता है। क्योकि वहां वह निश्चित हो जाता है। निश्चित होते ही सो जाता है। सोते ही खतरा मौजूद हो जाता है। जहां खतरा मौंजूद है, वहां खतरा मौंजूद नहीं होता, क्योंकि वह सतर्क होता है। जहां खतरा नहीं है, वहां खतरा मौजूद हो जाता है, क्योंकि वह सो जाता है। इंसान सभी पक्षियों से ज्यादा सो गया है। क्योंकि जीवन में उसने सभी पक्षियों पशुओं से ज्यादा सुविधा जुटा ली है। कोई पशु पक्षी इतना हुआ नहीं, जितना आदमी। देखें, किसी कौए को आपके घर के पास बैठा हुआ। जरा आप आंख भी हिलाएं और कौआ अपने पर फैला देगा। आंख हिलाएं! आप जरा हाथ हिलाएं और कौआ तैयार है, सचेत है। जानवरों को भागते हुए देखें, दौड़ते हुए देखें, उनको खड़े हुए देखें। वे सचेत हैं। आदमी ने एक तरह की सुरक्षा अपने चारों तरफ खड़ी कर ली है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here