कोरोना से बचाव करें

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यह सही है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर मंद पड़ चुकी है, इसलिए राज्य सरकारों ने पाबंदियों में ढील देनी भी शुरू की है। लॉकडाउन देशभर में केवल नाम भर रह गया है। अधिक से अधिक रियायतें दी जा रही हैं। लोग भी सड़क, बाजार, हाट, सार्वजनिक जगहों पर उमड़ रहे हैं, लेकिन हमें समझना होगा कि देश से कोरोना अभी गया नहीं है। कोविड-19 वायरस अभी भी मौजूद है और पहले से खतरनाक यूटेंट में है। अभी दूसरी लहर में हमने देखा कि तेजी से लोगों की जान गई।

अभी देश में केवल 26 करोड़ लोगों को ही टीके की पहली डोज लगी है। इनमें से आधे को ही दूसरी डोज भी लगी है। जब तक 70 फीसदी लोगों को टीके नहीं लगेंगे, तब तक हर्ड इयूनिटी नहीं बनेगी। हई इयूनिटी विकसित होने तक कोविड वायरस के संक्रमण का खतरा बना रहेगा। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बाजारों में लोगों के बिना कोविड सुरक्षा के हुजूम को देखकर दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है कि अगर हम सार्वजनिक जगहों पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं करेंगे, तो तीसरी लहर आने में देर नहीं लगेगी।

दिल्ली में आम लोगों की ओर से मास्क का इस्तेमाल नहीं किए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने साथ ही यह टिप्पणी भी की है कि हम कोरोना की तीसरी लहर से ज्यादा दूर नहीं हैं, यदि सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का सती से पालन नहीं कराया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को आगाह किया कि खतरा अभी टला नहीं है, क्योंकि यह वायरस अभी मौजूद है और इसके स्वरूप बदलने की संभावना बनी हुई है। इस बीच कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट जारी किया है कि कोरोना की तीसरी लहर भारत में अक्टूबर तक दस्तक दे सकती है। दुनियाभर के 40 स्वास्थ्य विशेषज्ञों, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, वायरोलॉजिस्ट महामारी विज्ञानियों और प्रोफेसरों के 3.17 जून के स्नैप सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत में टीकाकरण में एक महत्वपूर्ण तेजी आना तीसरी लहर के प्रकोप को थोड़ा कम कर देगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जरूर कहा है कि तीसरी लहर में बच्चे अधिक प्रभावित नहीं होंगे।

इससे पहले सरकार के एक सेक्शन से कहा गया था कि तीसरी लहर में बच्चे अधिक प्रभावित होंगे। बाद में एस के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था। उसके बाद से सरकार की ओर से लगातार कहा गया कि तीसरी लहर में बच्चे अधिक प्रभावित नहीं होंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन-एस के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि वर्ष से कम और 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटी लगभग बराबर है। 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में 8 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटीदर 67 प्रतिशत और 599 है। इसका मतलब है कि तीसरी लहर में बच्चों को अधिक खतरा नहीं है, लेकिन वयस्कों को खतरा पहले की तरह रहेगा।

इसलिए जरूरी है कि हम सतर्क रहें। देश जब तक कोरोना मुक्त नहीं होता है, तब तक हमें कोविड प्रोटोकॉल के सभी मानकों, मास्क, सैनियइजर आदि के प्रयोग करते रहने पड़ेंगे। कोविड वायरस संक्रमण से अगर हमें बचे रहना है, तो दो गज की दूरी का पालन हमें करते रहना होगा। हमें भीड़ का हिस्सा बनने से बचना होगा। इन सबके बीच हमें स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा भी तय करनी होगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आग्रह किया है कि स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए तेजी से कदम उठाए। सरकार के साथ जनता को भी अपने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा का ध्यान रखना होगा।

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