लॉकडाउन उचित विकल्प नही

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कोरोना के विकराल होते रूप के बाद देश फिर से लॉकडाउन के दौर की ओर बढ़ता प्रतीत हो रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2६ अप्रैल तक आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया है। राजस्थान में भी 3 मई तक के लिए पूर्ण बंदी हो गई है। यूपी हाईकोर्ट ने प्रदेश के पांच शहर प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर और गोरखपुर में 26 अप्रैल तक लॉकडाउन के लिए कहा, पर उार प्रदेश सरकार ने आदेश मानने से अभी इनकार कर दिया है, लेकिन राज्य में लगातार केस बढ़ रहे हैं। इसलिए संभावना प्रबल है। महाराष्ट्र के अधिकांश क्षेत्र में नाइट कर्यू व सख्त लॉकडाउन है। गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश, छाीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, प. बंगाल आदि राज्यों में अलग-अलग रूप में पाबंदिया बढ़ा दी गई हैं। जल्द ही अन्य राज्यों में भी लॉकडाउन जैसी स्थिति आने वाली है। कोरोना के नए मरीज आने व मौतों के आंकड़े डराने वाले हैं। हर गुजरते दिन के साथ हालात बिगड़ रहे हैं। 14 अप्रैल के 1.99 लाख नए केस आने के बाद से हर दिन दो लाख से अधिक नए मामले आ रहे हैं।

देश में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या डेढ़ करोड़ से ज्यादा हो गई है। एक्टिव केस का आंकड़ा भी बढ़कर19 लाख से ज्यादा हो गया है। रिकवरी रेट भी करीब 97 फीसदी से घटकर 86 फीसदी हो गया है। अब तक 1.79 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। देश के 63 फीसदी एक्टिव केस केवल पांच राज्यों में हैं। अमेरिका के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक संक्रमित देश बन गया है। अदालतों को रेडमेसिविर दवा की उपलब्धता को लेकर सरकारों को आदेश देने पड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सबसे अधिक प्रभावित 12 राज्यों के मुख्यमंत्रियों, बड़े चिकित्सकों व फार्मा कंपनियों के साथ बैठक कर चुके हैं, ऑक्सीजन व दवा आपूर्ति सुनिश्चित करने के राज्यों को निर्देश दे चुके हैं। यूं तो कोरोना मरीजों के उचित इलाज का प्रबंध करने में सभी सरकारें जुटी हुई हैं, पर केस की रतार इतनी तेज है कि सभी इंतजाम नाकाफी हो जा रहे हैं। आईआईटी कानपुर की स्टडी के मुताबिक भारत में मई के प्रथम सप्ताह में कोरोना का पीक आएगा। अब नीति आयोग ने भी विदेशी शोध के हवा से कोरोना फैलने के दावे को मान लिया है। अब चूंकि गर्मी और बढ़ेगी, इसलिए हवा के जरिए कोविड वायरस के फैलने का खतरा बढ़ गया है। इसका साफ मतलब है कि लोग घरों में भी सुरक्षित नहीं है।

अब अगर देश को कोरोना महामारी के महामानवीय त्रासदी बनने से बचाए रखना है तो सभी नागरिकों को सभी जरूरी एहतियातों का सख्ती से पालन करना है। कोरोना से निपटने में विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका अच्छी रही है, लेकिन समग्रता में देखा जाय तो वह और बेहतर प्रबंधन कर सकता था। डब्ल्यूएचओ ने स्वास्थ्य रक्षा के हॉलिस्टिक एप्रोच पर अधिक ध्यान नहीं दिया, जिसमें प्राकृतिक खानपान से लेकर वैकल्पिक प्रिवेंटिव चिकित्सा प्रणाली को अपनाने पर बल दिया जाना चाहिए था। चिकित्सकों के मुताबिक कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है, बस वैक्सीनेशन, मास्क का प्रयोग करने व दो गज की दूरी बरतने से खतरा कम किया जा सकता है। कोरोना को फैलने से रोकने के लिए सभी उपाय किए जाने चाहिए, इससे देश फिर से पूर्ण लॉकडाउन की तरफ नहीं बढ़ेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आश्वस्त किया है कि पूर्ण बंदी नहीं होगी। सरकार अपने इरादों पर अटल रहती है, तो अर्थव्यवस्था फिर से डिरेल होने से बच जाएगी। हालांकि चिकित्सा विशेषज्ञ जो उचित समझेंगे, सरकार को उसी अनुरूप कदम उठाना चाहिए।

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